पटना: 'जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम' को लेकर कृषि विभाग की ओर से मुख्यमंत्री सचिवालय संवाद में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्यमंत्री ने किया. प्रदेश में अनियमित बारिश और सुखाड़ से निपटने के लिए ही 'जलवायु परिवर्तन के अनुकूल कृषि कार्यक्रम' की शुरुआत की गई है. उम्मीद जतायी जा रही है कि इसका लाभ सूबे को मिलेगा.
कार्यक्रम को उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने संबोधित करते हुए कहा की जलवायु परिवर्तन का बिहार जैसे राज्यों पर जबरदस्त असर पड़ रहा है. खासकर मध्यम और सीमांत किसानों को जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़ और सुखाड़ जैसी स्थिति का सामना करना पड़ता है. इससे उनकी फसल का बहुत नुकसान हो रहा है. फसल नुकसान की भारपाई के लिए सरकार को भी बड़ी राशि खर्च करनी पड़ रही है.
2019 में जलवायु परिवर्तन का दिखा 3 बार असर
सुशील मोदी ने कहा कि 2019 में ही जलवायु परिवर्तन का 3 बार असर देखने को मिला. इस वजह से सरकार को 2 हजार करोड़ से अधिक की राशि अनुदान के रूप में किसानों को देनी पड़ी. आंकड़ा बताते हुए उप मुख्यमंत्री ने कहा कि 2017 में भी बाढ़ और सुखाड़ से किसानों को बड़ी क्षति हुई थी. सरकार को उस साल भी 2 हजार करोड़ से अधिक की राशि खर्च करनी पड़ी थी.
जलवायु परिवर्तन से मुकाबला के लिए कार्यक्रम की शुरूआत
उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि पिछले 3 सालों की बात करें तो सरकार ने बाढ़ और सुखाड़ से नुकसान की भरपाई के लिए किसानों को 5 हजार करोड़ की राशि अनुदान के रूप में दी है. यदि इस राशि का प्रयोग हम अपने प्रदेश के विकास में करते तो उसका लाभ मिलता, लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण इतनी बड़ी राशि का नुकसान हुआ है. इसीलिए सरकार ने जलवायु परिवर्तन से मुकाबला करने के लिए इस कार्यक्रम की शुरुआत की है. उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तारीफ करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम बिहार के हित में होगा.