पटना: बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी (BJP MP Sushil Kumar Modi) ने मगध विश्वविद्यालय के कुलपति राजेंद्र प्रसाद (Magadh University VC Rajendra Prasad) को अविलंब बर्खास्त करने की मांग की है. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि जिनके यहां निगरानी छापे में करोड़ों नगद मिले और जिन पर 30 करोड़ से ज्यादा के अनियमितता के आरोप हैं. पटना उच्च न्यायालय की ओर से भी अग्रिम जमानत याचिका रद्द कर दी गई है. ऐसे में फौरन बर्खास्त कर देना चाहिए. ऐसे भ्रष्ट कुलपति के पद पर बने रहने से शिक्षा जगत कलंकित हो रहा है.
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मगध विश्वविद्यालय के कुलपति राजेंद्र प्रसाद पर हो कार्रवाई: बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने अपने टिवटर हैंडल पर लिखा, "मगध विश्वविद्यालय के कुलपति श्री राजेंद्र प्रसाद जिनके यहां निगरानी छापे में करोड़ों नगद मिले और जिन पर 30 करोड़ से ज्यादा के अनियमितता के आरोप हैं कि पटना उच्च न्यायालय द्वारा अग्रिम जमानत याचिका रद्द किए जाने के बाद अविलंब बर्खास्त कर देना चाहिए."
उच्च शिक्षा की छवि खराब: सुशील मोदी ने अपने दूसरे ट्वीट में लिखा, "उल्लेखनीय है कि कल ही हाईकोर्ट के आदेश में भृगुनाथ प्रसाद के आरोप का जिक्र था. निगरानी ब्यूरो ने 26 नवंबर, 2021 को राज्यपाल को पत्र लिखकर उनके निजी सचिव विजय सिंह और लखनऊ के अतुल श्रीवास्तव सहित 27 लोगों पर भ्रष्टाचार से जुड़े आपराधिक मामले में अनुमति मांगी थी, परंतु आज तक वह अनुमति नहीं मिली है. उपरोक्त घटनाओं से बिहार की उच्च शिक्षा की छवि खराब हो रही है. अतः सरकार हस्तक्षेप कर महामहिम राज्यपाल से मुलाकात कर अविलंब कार्रवाई करे."
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मगध विश्वविद्यालय के कुलपति श्री राजेंद्र प्रसाद जिनके यहां निगरानी छापे में करोड़ों नगद मिले और जिन पर 30 करोड़ से ज्यादा के अनियमितता के आरोप हैं कि पटना उच्च न्यायालय द्वारा अग्रिम जमानत याचिका रद्द किए जाने के बाद अविलंब बर्खास्त कर देना चाहिए ।
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— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) May 25, 2022
भृगुनाथ प्रसाद के आरोप का जिक्र: सुशील मोदी ने कहा कि राजेंद्र प्रसाद की मदद करने के लिए जयप्रकाश विश्वविद्यालय के कुलसचिव रवि प्रकाश बबलू जिन पर निगरानी थाना कांड संख्या 15/2010 में भ्रष्टाचार के मामले में आरोप-पत्र समर्पित हैं, को मगध विश्वविद्यालय के कुलसचिव का अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया है. वहीं कुलपति के भ्रष्टाचार के मामले में मुख्य गवाह तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक प्रोफेसर भृगुनाथ प्रसाद जिन्होंने कहा था, उन पर कुलपति के लोगों द्वारा दबाव बनाया जा रहा है, का मुख्यालय गया से औरंगाबाद तबादला कर दिया गया., जबकि हाईकोर्ट के आदेश में भृगुनाथ प्रसाद के आरोप का जिक्र था.
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