पटना/नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सुशांत सिंह राजपूत सुसाइड मामले के संबंध में सीबीआई या एनआईए को जांच स्थानांतरित करने के लिए बिहार सरकार को निर्देश देने की याचिका को शुक्रवार को खारिज कर दिया, क्योंकि यह मामला पहले ही सीबीआई के पास है.
प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि दिवंगत अभिनेता के पिता पहले से ही इस मामले को आगे बढ़ा रहे हैं. पीठ ने याचिकाकर्ता कानून के छात्र से पूछा, 'आप इस अपराध से किस तरह से संबंधित हैं?'
पहले ही मिल चुकी सीबीआई जांच की जिम्मेदारी
केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ के समक्ष कहा कि सीबीआई जांच की जिम्मेदारी पहले ही ले चुकी है और मुंबई का मामला अभी तय नहीं हुआ है. मुख्य न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा, 'आप कौन हैं? आप पूरी तरह से एक अजनबी व्यक्ति हैं जो बिना किसी मतलब के मामले में दखल दे रहे हैं. पीड़ित के पिता इस मामले को आगे बढ़ा रहे हैं. हम आपकी याचिका को खारिज करते हैं.'
'यह दलील निष्फल'
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यह पहले से ही व्यापक रूप से बताया गया है कि सीबीआई ने एक प्राथमिकी दर्ज की है. मेहता ने जवाब दिया कि मुंबई जांच अभी स्थानांतरित नहीं हुई है. प्रधान न्यायाधीश ने जवाब दिया, फिर तो यह दलील निष्फल है?
न दें बेतुका बयान- मुख्य न्यायाधीश
मुख्य न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि अदालत बिना किसी कारण के इसे खारिज कर देगी. याचिकाकर्ता के वकील ने जोर देकर कहा, 'क्या मैं आपको कानून के बारे में बता सकता हूं? क्या आपका आधिपत्य चाहता है कि इस मामले की जांच न हो?' मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि बेतुके बयान न दें, क्योंकि जांच पिता की शिकायत के आधार पर की गई है. उन्होंने इस याचिका खारिज कर दिया.
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सुप्रीम कोर्ट ने 30 जुलाई को सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में सीबीआई जांच की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था. प्रधान न्यायाधीश बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि जनहित याचिकाकर्ता अलका प्रिया के पास मामले में कोई अधिस्थिति (लोकस स्टैंडी) नहीं है.
इस पीठ में प्रधान न्यायाधीश के अलावा न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और वी. रामासुब्रमण्यन भी शामिल थे. पीठ ने कहा था, 'मुंबई पुलिस इस मामले की जांच कर रही है. अगर आप चाहें तो बॉम्बे हाईकोर्ट के पास जा सकते हैं और उचित राहत प्राप्त कर सकते हैं.'