पटना: बिहार में होने वाले नगर निकाय चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण को लागू (Supreme Court On Municipality Election in Bihar) करने पर बिहार सरकार की याचिका पर सुनवाई करने के लिए हाईकोर्ट को कहा है. बताया जाता है कि दिसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर कहा था कि स्थानीय निकायों में ओबीसी आरक्षण की अनुमति नहीं दी जायेगी, जब तक कि राज्य सरकार उच्चतम न्यायालय के 2010 में दिये गये आदेश में ‘तीन जांच' को नहीं मान लेती.
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सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिये तीन जांच के प्रावधान: सुप्रीम कोर्ट ने तीन जांच के प्रावधान (Supreme Court On OBC Reservation) के तहत राज्य को प्रत्येक स्थानीय निकाय में ओबीसी के पिछड़ेपन पर आंकड़े जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और आयोग की सिफारिशों के आलोक में प्रत्येक स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात तय करने की जरूरत बताई है. साथ ही, यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, और ओबीसी के लिए इस तरह के आरक्षण की सीमा में कुल सीटों की संख्या के 50 प्रतिशत को पार नहीं कर पाये.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जब तक ‘तीन जांच' की अर्हता को राज्य सरकार पूरी नहीं करती है. तबतक राज्य के निकाय चुनाव में ओबीसी सीट को सामान्य श्रेणी की सीट ही मानकर पुन: बताया जाये. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की इस बात का जिक्र किया कि अगर नगर निकाय चुनाव 10 अक्टूबर 2022 को है और हाईकोर्ट इस याचिका पर पहले ही सुनवाई कर देता है, तो यह नगर निकाय चुनाव के उम्मीदवारों के लिए सही होगा. हाईकोर्ट के बेंच की पीठ ने कहा है कि ‘मुख्य न्यायाधीश 23 सितंबर 2022 को समाप्त हो रहे मौजूदा सप्ताह के दौरान सुविधानुसार याचिका की सुनवाई कर सकते हैं'.
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हाईकोर्ट में याचिका पर सुनवाई: पटना उच्च न्यायालय ने सुनील कुमार नामक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए इन बातों को दोहराया कि राज्य सरकार ने एक अप्रैल 2022 की तिथि में पत्र को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया था. इस चिट्ठी के जरिये बिहार सरकार ने राज्य निर्वाचन आयोग को नगर निकाय चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू को सूचित किया था. वहीं इस मामले पर ओबीसी आरक्षण के लिए न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों को लागू करने के लिए राज्य सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया था.