पटना: राजधानी पटना में रंगो के त्योहार होली आने में कुछ दिन शेष बचे हैं. इस बार रंगों का त्योहार होली को लेकर बच्चों में खासा उत्साह देखा जा सकता है. इस होली पर सबसे खास बात है कि पटना स्थित बाल किलकारी भवन में बच्चों के द्वारा हर्बल गुलाल (Herbal Gulal Made In Patna Kilkari) बनाया जा रहा है. इस रंग से होली खेलने पर किसी प्रकार से शरीर को साइड इफेक्ट नहीं हो सकता है. जानकारी के मुताबिक हर साल किलकारी के बच्चे हर्बल गुलाल तैयार करते हैं.
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तीन तरह से बनाए हर्बल गुलाल: बच्चों के द्वारा तीन तरह से हर्बल गुलाल बनाने की तैयारी है. पीला हर्बल गुलाल तैयार करने में पीले हल्दी का इस्तेमाल होता है. हर्बल गुलाल बनाने के लिए पहले दिन अखरोट और नेचुरल कलर को मिलाया जाता है. उसके बाद दूसरे दिन धूप में सुखाने के बाद छननी से छाना जाता है. उसे सुगंधित बनाने के लिए गुलाब जल और अभ्रक मिक्स किया जाता है. ताकि उसमें चमक बढ़ जाए और खुशबू भी बरकरार रहे. वहीं, गुलाबी हर्बल गुलाल बनाने के लिए चुकंदर मिलाया जाता है.
हर्बल कलर का डिमांड तेज: किलकारी छात्र शुभम सौरव ने बताया कि हर साल होली के लिए हर्बल गुलाल तैयार किया जाता है. इस गुलाल से मांसपेशियों पर किसी प्रकार का कोई असर नहीं होता. उन्होंने कहा कि हर्बल गुलाल का डिमांड काफी ज्यादा है. इस साल में अभी तक 80 किलो हर्बल गुलाल बेच दिए हैं. ज्यादा डिमांड होने के कारण अभी भी तैयार करने में जुटे हैं. वहीं एक और छात्र विशाल कुमार के द्वारा किलकारी के द्वारा फूड कलर से 7 तरह के हर्बल तैयार हो रहा है.
25 रुपये किलो हर्बल कलर: किलकारी के बच्चों के द्वारा 80 किलो हर्बल गुलाल बेचने के साथ ही ऑर्डर के बाद तैयार किया जा रहा है. वहीं विशाल ने बताया कि नेचुरल गुलाल तैयार करने पर इसका लाइफ 5-6 दिन तक रहता है. उसके मुताबिक फूड कलर से तैयार किया गया हर्बल गुलाल का लाइफ ज्यादा अधिक होता है. हर्बल गुलाल रंगो के त्योहार होली में जो लोग भी उपयोग करेंगे. उन लोगों के शरीर पर कोई साइड इफेक्ट नहीं होगा. अभी ऑर्डर के बाद 100 किलोग्राम का पैकेट बनाया जा रहा है. इसकी कीमत 25 रुपये बताई जा रही है.
अबीर का युक्त रंग से बना हर्बल कलर: किलकारी बाल भवन के बच्चों का कहना है कि हम छात्रों का बस एक मकसद है कि होली में लोग केमिकल युक्त रंग और अबीर का उपयोग करते हैं. ऐसे में केमिकल युक्त रंग शरीर को काफी नुकसान पहुंचाती है. इसलिए हमलोग हर्बल कलर बनाकर मार्केट में बेच रहे हैं. ताकि किसी को भी कहीं कोई परेशानी न होने पाए. इस बार हर्बल गुलाल बनाने वाले टीम में सीनियर स्टूडेंट और कुछ दिव्यांग यानी 22 छात्रों मिलकर हर्बल गुलाल तैयार कर रहे हैं.
22 बच्चों की टीम ने बनाई हर्बल कलर: बच्चों ने बताया कि हरा गुलाल बनाने के लिए पालक का रस मिलाया जाता है. उसके बाद सुखाकर उसमें अभ्रक और गुलाब जल मिलाकर सुगंध बढ़ाया जाता है. इस बार हर्बल गुलाल बनाने वाले टीम में सीनियर स्टूडेंट और कुछ दिव्यांग मिलाकर 22 छात्र मिलकर हर्बल गुलाल तैयार करने में जुटे हैं.
"हर साल होली के लिए हर्बल गुलाल तैयार किया जाता है. इस गुलाल से मांसपेशियों पर किसी प्रकार का कोई असर नहीं होता. उन्होंने कहा कि हर्बल गुलाल का डिमांड काफी ज्यादा है. इस साल में अभी तक 80 किलो हर्बल गुलाल बेच दिए हैं".- शुभम सौरव, छात्र