मसौढी: पटना के मसौढी (pollution in Masaurhi) में इन दिनों प्रदूषण का लेवल काफी बढ़ गया है. मसौढी अनुमंडल के मसौढी,धनरूआ एवं पुनपुन प्रखंड के विभिन्न गांव में इन दिनों धड़ल्ले से खेतों में पराली जलाई जा रही है. किसानों द्वारा पराली जलाने (Farmers Are Burning Stubble) के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. खेतों में पराली जलाने से न केवल मिट्टी की उर्वरा शक्ति क्षीण होती है बल्कि वातावरण मे प्रदूषण का खतरा बढ़ता है.
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खुलेआम पराली जलाई जाती हैः जिला प्रशासन की अपील के बाद किसान पराली (Stubble Burning Cause Of Pollution) जलाना नहीं छोड़ रहे हैं. मसौढी अनुमंडल के मसौढी,धनरूआ एवं पुनपुन प्रखंड के विभिन्न गांव में खेतों में किसान खुलेआम पराली जलाते हुए नजर आ रहे हैं. मसौढ़ी प्रखंड कृषि कार्यालय (Bihar Agriculture Department) के द्वारा लगातार किसानों को पराली प्रबंधन के गुर भी बताए जा रहे हैं. वैज्ञानिकों द्वारा पराली न जलाने और उन्हें प्रबंधन के तौर-तरीके भी सिखाए जाते हैं. बावजूद लगातार सभी किसान धड़ल्ले से पराली जला रहे हैं.
मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो रही है : पराली जला रहे किसानों को शायद इस बात का अंदाजा नहीं है कि पराली जलाने से न केवल मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम होती है बल्कि वातावरण पर भी खतरा मंडराने लगता है. जिसको लेकर सरकार द्वारा लगातार पराली जलाने को लेकर जन जागरूकता अभियान और उन सबके बीच कार्रवाई करने की चेतावनी दी जाती है.खेत में पराली जलाने वाले किसानों पर सरकार द्वारा कार्रवाई के रूप में 3 साल तक सभी सरकारी योजनाओं से उन्हें वंचित कर दिया जाता है. उनका पंजीयन रद्द कर दिया जाता है.
"लगातार किसानों को जन जागरूकता अभियान चलाकर उन्हें समझाया जा रहा है. अगर नहीं माने तो उन पर कार्रवाई की जा रही है. खेतों में पराली जलाने से न केवल मिट्टी की उर्वरा शक्ति क्षीण होती है बल्कि वातावरण मे प्रदूषण का खतरा बढ़ता है." -शकिल, अहमद खां, कृषि पदाधिकारी, मसौढी
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