पटना: राजधानी पटना के मसौढ़ी के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों शाम ढलते ही किसान अपनी-अपनी खेतों में पराली जलाने का सिलसिला (Farmers are Burning Stubble in fields in Masaurhi) इन दिनों बेरोक टोक चल रहा है. इलाके के कई किसानों के खेतों में गेहूं की कटनी होने के बाद बचे हुए पराली को किसान अपने खेतों में ही जला देते हैं. शायद उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं है कि खेतों में पराली जलाने से न केवल वातावरण प्रदूषित होता है. बल्कि मिट्टी की उर्वरक शक्ति भी कमजोर होती है.
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पराली जलने से परेशानी: केंद्र और राज्य सरकार के रोक के बावजूद भी किसान इन दिनों अपने खेतों में गेहूं के कटनी के बाद बचे हुए पराली को लोग शाम ढलते ही जला देते हैं. यह सिलसिला रोजाना हो रहा है. शाम ढलते ही हर किसान अपने खेतों में बचे हुए पराली को जला रहे हैं. जबकि जिला प्रशासन ने कड़ा निर्देश जारी किया है कि पराली जलाने वाले किसानों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
वायु प्रदूषण का बढ़ेगा खतरा: कृषि वैज्ञानिक के अनुसार खेतों में पराली जलाने से न केवल वायु प्रदूषण का खतरा बढ़ता है. बल्कि मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी खत्म होती है. ऐसे में लगातार खेतों में कटनी के बाद लोगों को किसान पाठशाला के जरिए उन्हें जागरूक किया जाता है. इसके बावजूद किसान इस बात को नहीं मान रहे हैं. जबकि दूसरी ओर कई जगहों पर आग लगने की घटनाएं भी जोर पकड़ रही है. खेत खलिहान में शॉर्ट सर्किट से आग लग जाने से फसल भी जलकर राख हो गई है. वहीं दूसरी ओर कई जगहों पर किसान खुद अपने खेतों में पराली जला रहे हैं. अगर उसकी चिंगारी कहीं दूसरे खेत में चली गई तब लाखों रुपए की क्षति का अनुमान लगाया जा सकता है.
नहीं सुनने वालें किसानों पर सख्त कार्रवाई: प्रखंड कृषि पदाधिकारी ने कहा है कि खेतों में पराली जलाने वाले किसानों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. जिला प्रशासन के आदेश पर वैसे सभी किसानों को चिन्हित किया जाएगा. जो अपने-अपने क्षेत्रों में पराली जला रहे हैं, पराली जलाने से आसपास का वातावरण काफी प्रदूषित होता है. सभी किसान सलाहकार को निर्देशित किया गया है कि अपने-अपने क्षेत्रों में पराली जलाने वाले किसानों को जागरूक करें.
"खेतों में पराली जलाने वाले किसानों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. जिला प्रशासन के आदेश पर वैसे सभी किसानों को चिन्हित किया जाएगा": मोहम्मद शकिल अहमद खां
प्रखंड कृषि पदाधिकारी, मसौढ़ी