पटना: रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए अब बिहार के स्कूलों की संरचना का भी उपयोग होगा. जल जीवन हरियाली अभियान के तहत शिक्षा विभाग ने राज्य के ऐसे स्कूल बिल्डिंग, जहां 3000 वर्ग फीट या उससे अधिक क्षेत्रफल के साथ उपलब्ध हैं, वहां रेन वाटर हार्वेस्टिंग संरचना का निर्माण योजना तैयार कर दी गई है.
जल संचयन संरचना की मॉनिटरिंग
रेन वाटर हार्वेस्टिंग की योजना को सख्ती से लागू करने के लिए शिक्षा विभाग ने जल संचयन संरचना की मॉनिटरिंग का जिम्मा जिला शिक्षा पदाधिकारियों को दे दिया है. शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि इस योजना में जिलों के प्राथमिक विद्यालयों को शामिल नहीं किया गया है.
कई जिलों की प्रगति असंतोषजनक
माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने 2019- 20 से अगले 3 साल तक के लिए जिलावार यह संरचना बनाने की संख्या तय कर रखी है. लेकिन 2019-20 में योजना के लिए राशि दिए जाने के बावजूद सिर्फ 1773 भवनों में ही जल संचयन संरचना का निर्माण कार्य हो सका है. जबकि कुल 4483 भवनों में यह निर्माण होना था. इसमें विशेष रूप से सीतामढ़ी सहरसा और सारण समेत कई जिलों की प्रगति काफी असंतोषजनक है.
बच्चों को किया जाएगा जागरूक
माध्यमिक स्कूलों के अलावा प्रारंभिक स्कूलों में भी जलवायु परिवर्तन से संबंधित एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम लागू किया जा रहा है. इसे पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन विभाग wwf-india के सहयोग से लागू कर रहा है. इसके तहत सभी प्रारंभिक स्कूलों में एक पृथ्वी एक घर शैक्षणिक कार्यक्रम लागू किया जाएगा. जिसके तहत पर्यावरण और जीव-जंतुओं के संरक्षण को लेकर बच्चों को जागरूक किया जाएगा.
26 हफ्ते का मातृत्व अवकाश
बिहार में महा दलित, दलित, अल्पसंख्यक और अति पिछड़ा वर्ग अक्षर आंचल योजना में काम कर रही महिला शिक्षा सेवियों को अब 26 हफ्ते का मातृत्व अवकाश मिलेगा. जबकि पुरुष शिक्षा सेवकों को भी दो बच्चों तक 15 दिन का पितृत्व अवकाश मिल सकेगा.
शिक्षा सेवकों के लिए कई सुविधाएं
शिक्षा विभाग ने साक्षरता की इस योजना में कार्यरत शिक्षा सेवकों के लिए कई सुविधाएं लागू कर दी है. शिक्षा विभाग ने आदेश संविदा पर नियोजित कर्मियों के लिए गठित उच्च स्तरीय कमिटी की अनुशंसा पर किया है. वहीं माध्यमिक उच्च माध्यमिक स्कूलों में स्मार्ट क्लास के संचालन में भी सभी स्कूल ध्यान नहीं दे रहे.
शिक्षा परियोजना ने जताई नाराजगी
इसको लेकर बिहार शिक्षा परियोजना ने नाराजगी जताई है. जानकारी के मुताबिक स्मार्ट क्लास संचालन में बिहार के 15 जिले काफी उदासीन नजर आ रहे हैं. यही नहीं जिन जिलों को स्मार्ट क्लास संचालन के लिए राशि भेजी गई थी, उसके खर्च का ब्यौरा भी बिहार शिक्षा परियोजना को अब तक नहीं मिली है.