पटना: गणतंत्र दिवस (Republic Day 2022) के मौके पर पूरे देश भर में हर्षोल्लास का माहौल है. भले ही इस बार गणतंत्र दिवस कोरोना के साए में मनाया जा रहा है लेकिन जब देश के सम्मान की बात आए तो हर किसी में उत्साह देखी जाती है. ऐसे में हम बात कर रहे हैं स्वतंत्रता सेनानियों की. जिनके बदौलत आज हम सभी आजाद मुल्क में खुली हवा में सांस ले रहे हैं. पटना से सटे मसौढ़ी अनुमंडल में ऐसे तो सरकारी सूची में 23 स्वतंत्रता सेनानी है. जिसमें आधे से अधिक काल काल्वित हो गए. वहीं मसौढ़ी के छोटकी बेर्रा गांव की रहने वाले भगजोगा देवी (Freedom Fighter Bhagjoga Devi) एक महिला स्वतंत्रता सेनानी है. जिनकी उम्र लगभग 105 वर्ष है.
स्वतंत्रता सेनानी भगजोगी देवी के बारे में कहा जाता है कि आंदोलन के वक्त में यह क्रांतिकारियों के लिए नारे लिखा करती थी. वे स्लोगन तैयार करती थे और एक जगह से दूसरी जगह जाकर मैसेंजर का काम करती थी. वे अपने नारों के जरिए उन आंदोलनकारियों के दिलों में देश के जोश और जुनून को जिंदा रखती थी. इनके पति भी स्वतंत्र सेनानी के रूप में काम किया करते थे. बीमारी होने के बाद उनकी मृत्यु हो गई. इसके बावजूद भगजोगा देवी हिम्मत नहीं हारी और आजादी के दीवानों के साथ देश की आंदोलन में लगी रही.
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'इनकी उम्र करीब 105 वर्ष हो चुकी है. ये कान से अब कम सुनती है और आंख से तो ना के बराबर दिखायी देता है. क्रांतिकारियों के लिए मैसेंजर का काम करती थी. क्रांतिकारियों के लिए नारा लिखा करती थी. सरकार से उत्तराधिकारी के लिए कोई भी सुविधा नहीं दी गयी है. बिहार सरकार ने 2017 में कृष्ण मेमोरियल हॉल में सम्मानित किया था. उसके बाद से सरकार हमलोगों की ओर ध्यान ही नहीं दिया.' -अशोक कुमार सिंह, स्वतंत्रता सेनानी के बेटे
स्वतंत्रता सेनानी भगजोगा देवी की उम्र भले ही 105 वर्ष हो गई हो लेकिन अपनी अंग्रेजी हुकूमत में आंदोलनकारियों को अपने नारों के जरिए उन्हें बुलंद करती थी. उनकी आवाज को बुलंद करती थी. भगजोगा देवी के पुत्र अशोक कुमार आज भी उत्तराधिकारी के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं. पूरे बिहार भर में स्वतंत्रा सेनानीयों के उतराधिकारी के हक के लिए लगातार आंदोलन कर रहे हैं. बता दें कि भगजोगा देवी इन दिनों काफी अस्वस्थ चल रही हैं. वे ठीक से सुन और देख नहीं पाती हैं और न चल-फिर पा रही हैं.
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