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कोरोना वारियर्स की कहानी, टूटे हाथ के सहारे 16 से 17 घंटे ड्यूटी कर रहे हैं सिविल सर्जन

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Published : Apr 25, 2020, 9:17 PM IST

Updated : Apr 26, 2020, 11:30 AM IST

हाथ फ्रैक्चर होने के बावजूद 16 से 17 घंटे तक काम करते हैं पटना के सिविल सर्जन डॉ. राजकिशोर चौधरी. कहते हैं देश मुश्किल घड़ी से गुजर रहा है. साथ कैसे छोड़ सकता हूं. जब मैने मेडिकल प्रोफेशन चुना तभी मै समाज का हो गया.

पटना
पटना

पटना: देश मुश्किल घड़ी से गुजर रहा है. ऐसे में डॉक्टर्स और नर्सिंग स्टाफ कोरोना वारियर्स बनकर लोगों की सुरक्षा कर रहे हैं. ऐसे ही एक कोरोना वॉरियर्स हैं पटना के सिविल सर्जन डॉ. राजकिशोर चौधरी. जिनका बायां हाथ टूटा हुआ है, बावजूद इसके महामारी को देखते हुये पूरी निष्ठा से दिन में 15 से 16 घंटे तक लगातार ड्यूटी कर रहे हैं. हाथ टूटे होने के बावजूद काम दिनभर काम के लिये इतनी ऊर्जा कहां से लाते हैं? इस सवाल पर डॉ. राजकिशोर चौधरी हंसते हुये बताते हैं कि जब उन्होंने मेडिकल प्रोफेशन में आने का विचार बनाया तभी से उन्होंने यह सोच लिया कि जनता को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराना उनका प्रमुख कार्य है.

पटना
सिविल सर्जन डॉक्टर राजकिशोर चौधरी

राजकिशोर चौधरी बताते हैं जब तक दिन का कार्य समाप्त नहीं हो जाता वह काम करते रहते हैं. कोरोना जैसी गंभीर महामारी के समय में परिवारिक समर्थन के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि परिवार के सभी सदस्य मेडिकल की क्षेत्र से जुड़े हुए है. उनकी पत्नी और दोनों बच्चे भी डॉक्टर हैं. इस वजह से उन्हें घर वालों को ज्यादा नहीं समझाना पड़ता. काम का लगन इतना कि देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुये महामारी काल में सिविल सर्जन पिछले 50 दिनों से ज्यादा समय से बिना छुट्टी लिए ही काम कर रहे हैं.

'संसाधनों को लेकर वह पहले से रहते हैं सचेत'
इस सवाल पर कि क्या उन्हें छुट्टी लेने का मन नहीं करता है? जवाब में बेबाकी से कहते हैं कि कोरोना के बढ़ते प्रकोप के कारण छुट्टी लेना ही भूल गए हैं. सारा ध्यान इस महामारी के खिलाफ लड़ाई पर है. उन्होंने बताया कि उन्हें शुरू से छुट्टी नहीं लेने की आदत रही है. वहीं, हाथ टूटने के बाद हॉस्पिटल में सर्जरी के दौरान मात्र 2 दिनों की छुट्टी ली थी. गौरतलब है कि पटना में आये-दिन स्वास्थ्य विभाग में संसाधनों की कमी की बात सामने आती है. इस पर सिविल सर्जन ने बताया कि संसाधनों को लेकर वह पहले से सचेत रहते हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'सरकारी दिशानिर्देशों को अपनाएं स्वास्थ्यकर्मी'
सिविल सर्जन डॉक्टर राजकिशोर चौधरी ने बताया कि संसाधन की कमी होने पर एक कमेटी बनाकर लोकल परचेस कर स्वास्थ्य कर्मियों सुरक्षा किट प्रोवाइड कराया जाता है. साथ ही पटना जिले में किसी भी स्वास्थ्यकर्मी में संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई है. वहीं, कोरोना जैसी बीमारी को लेकर स्वास्थ्यकर्मी चिंतित नजर आते हैं. इस मसले पर डॉ. राजकिशोर चौधरी ने बताया कि बीमारी ही ऐसी है कि लोगों का चिंतित होना स्वभाविक है. मगर जो ड्यूटी है उसे पूरी तो करनी ही है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य कर्मियों को प्रिकॉशन लेते हुए सरकार के सभी दिशानिर्देशों को अपनाते हुए काम करना चाहिए.

पटना
ऑफिस में काम करते सिविल सर्जन

'दिनभर काम करते रहने की है आदत'
गौरतलब है कि ड्यूटी के समय डॉ. राजकिशोर चौधरी के चेहरे पर हमेशा मुस्कान बनी रहती है. उनके बारे में एक बात प्रसिद्ध है कि वह ड्यूटी के समय में अपना पूरा समय मरीजों को देते हैं. वही, दिन भर 16 घंटे तक काम करने के सवाल पर उन्होंने बताया कि वह एक सर्जन हैं. इस महामारी के पहले भी एक-एक सर्जरी में 8 से 10 घंटे तक लगातार काम करते रहने की आदत रही है. यही कारण है कि मेरे चेहरे पर दिन भर काम करने के बावजूद थकान नहीं नजर आती.

पटना: देश मुश्किल घड़ी से गुजर रहा है. ऐसे में डॉक्टर्स और नर्सिंग स्टाफ कोरोना वारियर्स बनकर लोगों की सुरक्षा कर रहे हैं. ऐसे ही एक कोरोना वॉरियर्स हैं पटना के सिविल सर्जन डॉ. राजकिशोर चौधरी. जिनका बायां हाथ टूटा हुआ है, बावजूद इसके महामारी को देखते हुये पूरी निष्ठा से दिन में 15 से 16 घंटे तक लगातार ड्यूटी कर रहे हैं. हाथ टूटे होने के बावजूद काम दिनभर काम के लिये इतनी ऊर्जा कहां से लाते हैं? इस सवाल पर डॉ. राजकिशोर चौधरी हंसते हुये बताते हैं कि जब उन्होंने मेडिकल प्रोफेशन में आने का विचार बनाया तभी से उन्होंने यह सोच लिया कि जनता को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराना उनका प्रमुख कार्य है.

पटना
सिविल सर्जन डॉक्टर राजकिशोर चौधरी

राजकिशोर चौधरी बताते हैं जब तक दिन का कार्य समाप्त नहीं हो जाता वह काम करते रहते हैं. कोरोना जैसी गंभीर महामारी के समय में परिवारिक समर्थन के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि परिवार के सभी सदस्य मेडिकल की क्षेत्र से जुड़े हुए है. उनकी पत्नी और दोनों बच्चे भी डॉक्टर हैं. इस वजह से उन्हें घर वालों को ज्यादा नहीं समझाना पड़ता. काम का लगन इतना कि देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुये महामारी काल में सिविल सर्जन पिछले 50 दिनों से ज्यादा समय से बिना छुट्टी लिए ही काम कर रहे हैं.

'संसाधनों को लेकर वह पहले से रहते हैं सचेत'
इस सवाल पर कि क्या उन्हें छुट्टी लेने का मन नहीं करता है? जवाब में बेबाकी से कहते हैं कि कोरोना के बढ़ते प्रकोप के कारण छुट्टी लेना ही भूल गए हैं. सारा ध्यान इस महामारी के खिलाफ लड़ाई पर है. उन्होंने बताया कि उन्हें शुरू से छुट्टी नहीं लेने की आदत रही है. वहीं, हाथ टूटने के बाद हॉस्पिटल में सर्जरी के दौरान मात्र 2 दिनों की छुट्टी ली थी. गौरतलब है कि पटना में आये-दिन स्वास्थ्य विभाग में संसाधनों की कमी की बात सामने आती है. इस पर सिविल सर्जन ने बताया कि संसाधनों को लेकर वह पहले से सचेत रहते हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'सरकारी दिशानिर्देशों को अपनाएं स्वास्थ्यकर्मी'
सिविल सर्जन डॉक्टर राजकिशोर चौधरी ने बताया कि संसाधन की कमी होने पर एक कमेटी बनाकर लोकल परचेस कर स्वास्थ्य कर्मियों सुरक्षा किट प्रोवाइड कराया जाता है. साथ ही पटना जिले में किसी भी स्वास्थ्यकर्मी में संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई है. वहीं, कोरोना जैसी बीमारी को लेकर स्वास्थ्यकर्मी चिंतित नजर आते हैं. इस मसले पर डॉ. राजकिशोर चौधरी ने बताया कि बीमारी ही ऐसी है कि लोगों का चिंतित होना स्वभाविक है. मगर जो ड्यूटी है उसे पूरी तो करनी ही है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य कर्मियों को प्रिकॉशन लेते हुए सरकार के सभी दिशानिर्देशों को अपनाते हुए काम करना चाहिए.

पटना
ऑफिस में काम करते सिविल सर्जन

'दिनभर काम करते रहने की है आदत'
गौरतलब है कि ड्यूटी के समय डॉ. राजकिशोर चौधरी के चेहरे पर हमेशा मुस्कान बनी रहती है. उनके बारे में एक बात प्रसिद्ध है कि वह ड्यूटी के समय में अपना पूरा समय मरीजों को देते हैं. वही, दिन भर 16 घंटे तक काम करने के सवाल पर उन्होंने बताया कि वह एक सर्जन हैं. इस महामारी के पहले भी एक-एक सर्जरी में 8 से 10 घंटे तक लगातार काम करते रहने की आदत रही है. यही कारण है कि मेरे चेहरे पर दिन भर काम करने के बावजूद थकान नहीं नजर आती.

Last Updated : Apr 26, 2020, 11:30 AM IST
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