नई दिल्ली/पटना: केंद्र सरकार की ओर से किसानों के हित के लिए संसद से 2 बिल पारित करवाया गया. इस बिल के पास होने के समय सदन में विपक्ष ने काफी हंगामा किया. इस वजह से विपक्ष के 8 सांसदों को निलंबित किया गया है. इस निर्णय को बिहार बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गोपाल नारायण सिंह ने सही फैसला कहा है.
राज्यसभा सांसद और बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गोपाल नारायण सिंह ने कहा कि राज्यसभा में हंगामा करने वाले विपक्ष के 8 सांसदों को निलंबित किया गया है. यह बहुत ही सही निर्णय है. बिल पास होने के समय में जिस तरह का व्यवहार विपक्षी सांसद कर रहे थे, वो शर्मनाक था. उन लोगों ने उपसभापति को अपशब्द बोला. मंच तक पहुंच गए थे. टेबल पर खड़े होकर नारेबाजी कर रहे थे. रूल बुक को उपसभापति के सामने फाड़ दिया गया. ऐसा संसद में पहले कभी नहीं हुआ था.
'किसानों के हित के लिए है बिल'
इसके साथ ही गोपाल नारायण सिंह ने कहा कि कृषि क्षेत्र से जुड़े दो विधेयक जो राज्यसभा में पारित हुए वह किसान के हित के लिए हैं. यह देश के किसानों को सशक्त बनाएगा. एमएसपी की व्यवस्था भी जारी रहेगी. किसानों की आय दुगनी करने के प्रयासों को बल मिलेगा. इन बिलों से उपज बढ़ेगी. इस बिल से किसानों को बिचौलियों से आजादी मिल गई. किसानों की पहुंच भविष्य की टेक्नोलॉजी तक आसानी से होगी. किसानों की भूमि के साथ कोई छेड़छाड़ ना हो इसका भी प्रावधान बिल में किया गया है. साथ ही उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस ने तो कभी भी किसानों के लिए कुछ नहीं किया.
विपक्ष के हंगामे के बीच 2 विधेयक पारित
बता दें कल राज्यसभा में विपक्ष के हंगामे के बीच कृषि क्षेत्र से जुड़े दो विधेयक पारित हुए. जिसमें पहला कृषक उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (सर्वधन और सरलीकरण) विधेयक 2020 है और दूसरा विधेयक कृषक(सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 है. वहीं, विपक्ष कृषि बिल को किसान विरोधी बता रहा है. विपक्षी दलों का आरोप है कि इससे पूंजीपतियों को फायदा होगा. यह किसानों के हित के लिए नहीं है. फसलों के लिए एमएसपी की व्यवस्था बंद हो जाएगी.
सरकार के खिलाफ विपक्ष का हंगामा
संसद में भारी हंगामे के बीच दोनों विधेयक ध्वनिमत से पारित हुए हैं. विपक्ष का कहना है कि इस पर वोटिंग होनी चाहिए थी. सरकार के पास विधयेक पारित कराने के लिए संख्या बल नहीं थी. असंवैधानिक तरीके से इसको ध्वनिमत से पारित कराया गया है. विपक्ष के सांसद किसान के हित के लिए आवाज उठा रहे थे, लेकिन उनको निलंबित करके सरकार ने निरंकुश मानसिकता दिखाई है. इसके खिलाफ विपक्षी पार्टियां राष्ट्रपति से भी मिलेगी और कृषि बिल को वापस राज्यसभा भेजने की गुजारिश करेगी.