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डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी की बैठक शुरू

उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी की बैठक शुरू हो गई है. बैठक में सीडी रेशियो और किसान क्रेडिट कार्ड के साथ बिहार में बैंकों की स्थिति को लेकर चर्चा हो रही है. पढ़ें पूरी खबर...

State level Bankers Committee meeting
राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी की बैठक
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Published : Sep 16, 2021, 12:49 PM IST

पटना: उपमुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद (Tarkishore Prasad) की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी की 77वीं और 78वीं बैठक हो रही है. पटना के होटल चाणक्य में हो रही बैठक में उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन (Shahnawaz Hussain) भी कुछ देर शामिल हुए, लेकिन दूसरे कार्यक्रम के चलते वह बीच में ही चले गए. इसके अलावा ग्रामीण विकास मंत्री भी बैठक में मौजूद हैं. सभी बैंकों के वरीय अधिकारी और बिहार सरकार के कई आला अधिकारी बैठक में शामिल हैं.

यह भी पढ़ें- पटना के 'मरीन ड्राइव' से गंगा नदी का अद्भुत नजारा, जिसे देख आप भी यहां जाने से खुद को रोक नहीं पाएंगे

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से भी बैंक के अधिकारी बैठक में जुड़े हुए हैं. बैठक में पिछली बार जो टास्क दिया गया था उस पर चर्चा हो रही है. सीडी रेशियो, किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card) के साथ बैंकों की शाखाओं को लेकर चर्चा हो रही है. डिजिटल लेनदेन पर भी सरकार का फोकस है. इसपर भी रणनीति तैयार हो रही है. सरकार बिहार में निवेश को लेकर लगातार प्रयास कर रही है. सरकार की कोशिश है कि बैंकों का रुख सकारात्मक हो.

देखें वीडियो

पिछली बैठक में राज्य सरकार की ओर से जो टारगेट दिया गया था बैंकों ने उसपर कितना काम किया उसकी भी समीक्षा हो रही है. बिहार में अभी भी सीडी रेशियो राष्ट्रीय औसत से काफी कम है. सरकार की ओर से मुख्यमंत्री ने भी कई बार इसको लेकर अपनी नाराजगी जताई है. बिहार में ग्रामीण इलाकों में दूसरे राज्यों की तुलना में बैंकों की शाखाएं काफी कम हैं. सरकार का दबाव लगातार रहा है कि बैंक ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक से अधिक शाखाएं खोलें. बिहार में बैंकों का निवेश अधिक हो और अधिक से अधिक लोन बैंक दें.

इस साल बैंकर्स कमेटी की पहली बैठक मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई थी. इससे पहले पिछले साल दिसंबर में उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद की अध्यक्षता में बैठक हुई थी. बता दें कि पिछली बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बैंकों से ऋण-जमा अनुपात में सुधार लाने को कहा था. उन्होंने कहा था कि 2020-21 में राज्य का ऋण-जमा अनुपात 46-40 प्रतिशत रहा, जबकि पूरे देश में 76.5 प्रतिशत रहा. बिहार के लोगों का पैसा यहां के बैंकों में जमा होता है और विकसित राज्यों में चला जाता है.

यह भी पढ़ें- 'बिहार पिछड़ा हुआ राज्य नहीं है, जहां रहता है मस्त रहता है, बेचैनी तो जानता ही नहीं'

पटना: उपमुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद (Tarkishore Prasad) की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी की 77वीं और 78वीं बैठक हो रही है. पटना के होटल चाणक्य में हो रही बैठक में उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन (Shahnawaz Hussain) भी कुछ देर शामिल हुए, लेकिन दूसरे कार्यक्रम के चलते वह बीच में ही चले गए. इसके अलावा ग्रामीण विकास मंत्री भी बैठक में मौजूद हैं. सभी बैंकों के वरीय अधिकारी और बिहार सरकार के कई आला अधिकारी बैठक में शामिल हैं.

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वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से भी बैंक के अधिकारी बैठक में जुड़े हुए हैं. बैठक में पिछली बार जो टास्क दिया गया था उस पर चर्चा हो रही है. सीडी रेशियो, किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card) के साथ बैंकों की शाखाओं को लेकर चर्चा हो रही है. डिजिटल लेनदेन पर भी सरकार का फोकस है. इसपर भी रणनीति तैयार हो रही है. सरकार बिहार में निवेश को लेकर लगातार प्रयास कर रही है. सरकार की कोशिश है कि बैंकों का रुख सकारात्मक हो.

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पिछली बैठक में राज्य सरकार की ओर से जो टारगेट दिया गया था बैंकों ने उसपर कितना काम किया उसकी भी समीक्षा हो रही है. बिहार में अभी भी सीडी रेशियो राष्ट्रीय औसत से काफी कम है. सरकार की ओर से मुख्यमंत्री ने भी कई बार इसको लेकर अपनी नाराजगी जताई है. बिहार में ग्रामीण इलाकों में दूसरे राज्यों की तुलना में बैंकों की शाखाएं काफी कम हैं. सरकार का दबाव लगातार रहा है कि बैंक ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक से अधिक शाखाएं खोलें. बिहार में बैंकों का निवेश अधिक हो और अधिक से अधिक लोन बैंक दें.

इस साल बैंकर्स कमेटी की पहली बैठक मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई थी. इससे पहले पिछले साल दिसंबर में उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद की अध्यक्षता में बैठक हुई थी. बता दें कि पिछली बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बैंकों से ऋण-जमा अनुपात में सुधार लाने को कहा था. उन्होंने कहा था कि 2020-21 में राज्य का ऋण-जमा अनुपात 46-40 प्रतिशत रहा, जबकि पूरे देश में 76.5 प्रतिशत रहा. बिहार के लोगों का पैसा यहां के बैंकों में जमा होता है और विकसित राज्यों में चला जाता है.

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