पटना: लॉक डाउन की वजह से कोरोना संक्रमण के चेन को तोड़ने में काफी हद तक मदद मिलती दिख रही है. लेकिन, इस लॉक डाउन ने गरीबों के लिए खासी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. हर दिन कमाने के बाद 2 जून की रोटी का जुगाड़ करने वालों को ना सिर्फ रहने बल्कि खाने के दिक्कत भी हो रही है.
गरीबों के लिए मसीहा बन गई हैं सामाजिक संस्थाएं
ऐसे में लोगों की मदद के लिए कई संस्थाएं आगे आ कर काम कर रही हैं, जिनकी वजह से फुटपाथ पर रह रहे लोगों की परेशानी काफी हद तक कम होती दिख रही है. पटना के अशोक राजपथ स्थित साइंस कॉलेज के पास ईटीवी भारत की टीम ने कई लोगों को फुटपाथ किनारे बैठे देखा. इन लोगों ने बताया कि कई महीनों से रैन बसेरा बंद पड़ा है. अगर यह रैन बसेरा खुल जाए तो इनके रहने की परेशानी दूर हो जाएगी.
पटना पुलिस की तरफ उपलब्ध कराए जा रहे हैं खाने के पैकेट
इन लोगों का यह भी कहना था कि सरकार की तरफ से खाने-पीने के लिए कोई इंतजाम नहीं किया गया है, लेकिन समाज सेवा में लगे एसडी संजय, अंकित खेमानी और मुकेश हिसारिया जैसे कई लोग हर दिन इन्हें खाने के पैकेट पहुंचा जाते हैं. हालांकि, पटना पुलिस की तरफ से भी इन्हें खाने के पैकेट उपलब्ध कराए जा रहे हैं.
24 मार्च से ही भूखे लोगों को भोजन कराने में लगे हैं समाजसेवी
ईटीवी भारत ने खाने के पैकेट बांट रहे अंकित खेमानी और समाजसेवी मुकेश हिसारिया से जब बात की तो उनका कहना था कि हम लोग हर दिन इन्हें खाने के पैकेट पहुंचाते हैं ताकि इन्हें भूखा ना सोना पड़े. समाजसेवियों ने यह भी बताया कि 24 मार्च से ही पटना के विभिन्न जगहों पर भूखे लोगों को भोजन कराने का काम हमलोग कर रहे हैं. पटना के साइंस कॉलेज, कदम कुआं और पटना मार्केट के फुटपाथ किनारे रह रहे लोगों के लिए नियमित रूप से खाने के पैकेट उपलब्ध कराते हैं. वहीं सरकार और प्रशासन की मदद को लेकर पूछे गए सवाल पर मुकेश हिसारिया ने कहा कि सरकार से कोई शिकायत नहीं है. सरकार अपना काम कर रही है और हम अपना काम कर रहे हैं.