पटना: कई बार अदालत की प्रक्रिया से गुजरने, कई तकनीकी मामलों में उलझने और अभ्यर्थियों के लंबे संघर्ष के बाद वर्ष 2019 के छठे चरण के शिक्षक नियोजन (Shikshak Niyojan) की प्रक्रिया ने जुलाई महीने में रफ्तार पकड़ी. 5 जुलाई से 12 जुलाई के बीच काउंसलिंग की प्रक्रिया चली जिसमें करीब 15000 अभ्यर्थी काउंसलिंग कराने में सफल हुए हैं. लेकिन इस दौरान 473 पंचायत नियोजन इकाइयों में गड़बड़ी की शिकायत मिलने के बाद काउंसलिंग रद्द हो गई. इन स्थानों पर फिर से मेधा सूची जारी कर काउंसलिंग कराई जाएगी.
ये भी पढ़ें: 473 नियोजन इकाइयों में 3688 पदों पर अगले महीने के बाद हो सकती है काउंसलिंग
इन सब के बीच 2 अगस्त से 9 अगस्त के बीच उन नियोजन इकाइयों में काउंसलिंग होगी जहां नए दिव्यांग अभ्यर्थियों ने आवेदन दिया है. इनके अलावा माध्यमिक शिक्षकों के 30,000 पदों पर नियोजन की प्रक्रिया भी चल रही है लेकिन इन सब पर ग्रहण लगना तय माना जा रहा है. दरअसल, सरकार ने हाल ही में प्रखंड और नगर निकायों के कार्यपालक अधिकारी पदाधिकारियों के पदस्थापन को लेकर एक बड़ा निर्णय लिया है. इसका सीधा असर शिक्षक नियोजन की प्रक्रिया पर पड़ेगा.
प्रखंड और नगर निकायों के कार्यपालक पदाधिकारी होने के कारण विभिन्न नियोजन इकाइयों की समितियों में डीडीसी और प्रखंड विकास पदाधिकारी सदस्य सचिव हुआ करते थे. अब इनके अलग हो जाने से शिक्षा विभाग को एक बार फिर से नियोजन इकाईयों की समितियों का पुनर्गठन करना पड़ेगा. इस प्रक्रिया में समय लगेगा और जिसका सीधा असर नियोजन पर पड़ेगा.
हालांकि सरकार चाहे तो निवर्तमान अधिकारियों से अगली व्यवस्था होने तक नियोजन का काम पूरा करवा सकती है. इस बात की पुष्टि शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों ने भी की है कि अगर ऐसी नौबत आयी तो निवर्तमान पदाधिकारी इस जिम्मेदारी को पूरा करेंगे.
शिक्षक नियोजन की प्रक्रिया में एक और सबसे बड़ी बाधा पंचायत चुनाव भी है. निर्वाचन आयोग के सूत्रों के मुताबिक इस माह के अंत तक या अगले महीने तिथियों की घोषणा हो सकती है. इसके साथ ही आचार संहिता लागू हो जाएगी. छठे चरण के शिक्षक नियोजन में अभी ज्यादातर जगहों पर काउंसलिंग बाकी है. माध्यमिक शिक्षकों के नियोजन की प्रक्रिया अभी चल ही रही है. ऐसे में चुनाव आचार संहिता लागू होने पर प्राथमिक से लेकर माध्यमिक, उच्च माध्यमिक तक के शिक्षक नियोजन के छठे चरण पर ग्रहण लगना तय है.
हालांकि कुछ लोगों का यह भी कहना है कि सरकार ने पहले से ही सभी प्रक्रियाओं और शेड्यूल की घोषणा कर दी है. इसलिए शिक्षक नियोजन पर चुनाव का असर नहीं पड़ेगा. दूसरी ओर जानकारों का कहना है कि शिक्षक नियोजन के सभी अधिकार पंचायती राज व्यवस्था के पास हैं. जब पंचायती राज व्यवस्था के तहत मुखिया, सरपंच और समिति के कार्यकाल खत्म हो जाएंगे तो पंचायत से लेकर जिला परिषद तक सरकार के निर्णय के अनुसार जो प्राधिकार बनाए गए हैं, वे किस नाते अध्यक्ष या सदस्य के रूप में भाग लेंगे क्योंकि अंतिम रूप से मेधा सूची और चयनित सूची को अप्रूवल उन्हीं को देना है.
जाहिर तौर पर वर्तमान अध्यक्ष, सदस्य, प्रखंड प्रमुख और वार्ड पार्षद आगामी चुनाव में प्रत्याशी भी होंगे तो वे कैसे मेधा सूची और नियोजन की प्रक्रिया में भाग ले सकते हैं. ऐसे में एक बार फिर शिक्षक नियोजन की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए नए निर्वाचित प्रतिनिधियों का इंतजार शिक्षक अभ्यर्थियों को करना पड़ेगा.