ETV Bharat / state

बिहार में श्रिति पांडे ने पुआल से बना दिया कोविड अस्पताल, 'फोर्ब्स' ने भी माना लोहा - कोरोना अस्पताल पटना

कोरोना काल में जब अस्पतालों में बेड की कमी है. ऐसे वक्त में मात्र 80 दिन में श्रिति पांडे ने 50 बेड का कोविड अस्पताल तैयार कर दिया है. देखें रिपोर्ट...

shriti pandey
श्रिति पांडे ने पुआल से बनाया अस्पताल
author img

By

Published : Apr 25, 2021, 6:02 AM IST

Updated : Apr 25, 2021, 7:51 AM IST

पटना: राजधानी पटना से सटे फतुहा के मसाढ़ी गांव में 50 बेड का कोरोना अस्पताल बना है. यह अस्पताल विटेक्स फाउंडेशन का है. उत्तरप्रदेश के गोरखपुर की श्रिति पांडे ने इसे मात्र 80 दिन में तैयार किया गया है. अस्पताल को घास और पुआल (धान की पराली) से बनाया गया है. इस ईको फ्रेंडली अस्पताल में मरीजों को आम अस्पतालों की तुलना में अधिक राहत मिलती है. गर्मी के दिनों में कमरे ठंडे रहते हैं और सर्दी के दिनों में गर्म.

यह भी पढ़ें- कोरोना का खौफ: 20 घंटे तक घर में पड़ा रहा शव, मदद के लिए कराहती रही पत्नी और बेटियां

कौन हैं श्रिति पांडे?
गोरखपुर की रहने वालीं श्रिति पांडे ने न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी से कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट में मास्टर की डिग्री हासिल की है. वह अपनी कंस्ट्रक्शन कंपनी चलाती हैं और देश के कई हिस्सों में काम करती हैं. श्रिति की ख्याति कम पैसों में टिकाऊ घर बनाने की है. भवन बनाने के लिए वह गेहूं के डंठल, धान के पुआल और भूसे का इस्तेमाल करती हैं. इनसे पहले एग्री फाइबर पैनल तैयार किया जाता है फिर उससे घर बनाया जाता है.

देखें रिपोर्ट

फोब्स ने भी माना लोहा
श्रिति ईको फ्रेंडली घर बनाती हैं, जिससे पर्यावरण का संरक्षण होता है. एग्री फाइबर से बनने के चलते घर कंक्रीट के मकान की तरह गर्मी में गर्म नहीं होता. इसके चलते बिजली की भी बचत होती है. मकान बनाने की लागत भी कम आती है. इस प्रयोग के चलते श्रिति को फोर्ब्स मैगजीन ने एशिया के 30 मेधावी लोगों में जगह दी है. फोब्स की लिस्ट में श्रिति का नाम आने के बाद पटना के मसाढ़ी में पिछले दिनों पूरा हुए उनके प्रोजेक्ट की खूब चर्चा हो रही है.

shriti pandey
श्रिति पांडे

30 मरीज करा रहे हैं इलाज
श्रिति ने पटना के फतुहा के मसाढ़ी गांव में जिस अस्पताल का भवन बनाया है उसका संचालन 'डॉक्टर्स फोर यु' नाम की संस्था द्वारा किया जा रहा है. 50 बेड वाले अस्पताल में इस समय कोरोना के 30 मरीज इलाज करा रहे हैं. अस्पताल में एक्स रे और जांच की अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध हैं.

कम होती है बिजली की खपत
'डॉक्टर्स फोर यु' संस्था के प्रोजेक्ट मैनेजर प्रमोद कुमार ने कहा "यह अस्पताल ईको फ्रेंडली है. अगर बाहर गर्मी है तो अंदर गर्मी नहीं लगेगी. वहीं, सर्दी के दिनों में कमरा गर्म रहता है. इससे इलाज करा रहे मरीजों को आराम मिलता है. इसके साथ ही बिजली की खपत भी कम होती है."

covid hospital made from straw
फतुहा के मसाढ़ी गांव में बना कोरोना अस्पताल.

घास और पराली से बना है अस्पताल
प्रमोद कुमार ने कहा "अस्पताल के भवन को घास और धान की पराली से बनाया गया है. इसके लिए घास और पराली में दो-तीन केमिकल डालकर सभी को मिलाते हैं. इसके बाद मिश्रण को हाईप्रेशर पर दबाया और गर्मी से पकाया जाता है. इसके बाद निर्माण सामग्री भवन बनाने के लिए तैयार हो जाती है."

"यहां 24 घंटे डॉक्टर तैनात रहते हैं. हमारे यहां ऑक्सीजन की सुविधा है. अभी 10-12 मरीज ऑक्सीजन पर हैं. इस अस्पताल से हमने करीब 100 मरीजों को स्वस्थ्य कर घर भेजा है. यहां करीब 6 हजार लोगों की जांच की गई है."- प्रमोद कुमार, प्रोजेक्ट मैनेजर, डॉक्टर्स फोर यु संस्था

यह भी पढ़ें- बोले मंत्री आर के सिंह- डॉक्टर से मारपीट करने वाले जाएंगे जेल, वहां भी होगी पिटाई

पटना: राजधानी पटना से सटे फतुहा के मसाढ़ी गांव में 50 बेड का कोरोना अस्पताल बना है. यह अस्पताल विटेक्स फाउंडेशन का है. उत्तरप्रदेश के गोरखपुर की श्रिति पांडे ने इसे मात्र 80 दिन में तैयार किया गया है. अस्पताल को घास और पुआल (धान की पराली) से बनाया गया है. इस ईको फ्रेंडली अस्पताल में मरीजों को आम अस्पतालों की तुलना में अधिक राहत मिलती है. गर्मी के दिनों में कमरे ठंडे रहते हैं और सर्दी के दिनों में गर्म.

यह भी पढ़ें- कोरोना का खौफ: 20 घंटे तक घर में पड़ा रहा शव, मदद के लिए कराहती रही पत्नी और बेटियां

कौन हैं श्रिति पांडे?
गोरखपुर की रहने वालीं श्रिति पांडे ने न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी से कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट में मास्टर की डिग्री हासिल की है. वह अपनी कंस्ट्रक्शन कंपनी चलाती हैं और देश के कई हिस्सों में काम करती हैं. श्रिति की ख्याति कम पैसों में टिकाऊ घर बनाने की है. भवन बनाने के लिए वह गेहूं के डंठल, धान के पुआल और भूसे का इस्तेमाल करती हैं. इनसे पहले एग्री फाइबर पैनल तैयार किया जाता है फिर उससे घर बनाया जाता है.

देखें रिपोर्ट

फोब्स ने भी माना लोहा
श्रिति ईको फ्रेंडली घर बनाती हैं, जिससे पर्यावरण का संरक्षण होता है. एग्री फाइबर से बनने के चलते घर कंक्रीट के मकान की तरह गर्मी में गर्म नहीं होता. इसके चलते बिजली की भी बचत होती है. मकान बनाने की लागत भी कम आती है. इस प्रयोग के चलते श्रिति को फोर्ब्स मैगजीन ने एशिया के 30 मेधावी लोगों में जगह दी है. फोब्स की लिस्ट में श्रिति का नाम आने के बाद पटना के मसाढ़ी में पिछले दिनों पूरा हुए उनके प्रोजेक्ट की खूब चर्चा हो रही है.

shriti pandey
श्रिति पांडे

30 मरीज करा रहे हैं इलाज
श्रिति ने पटना के फतुहा के मसाढ़ी गांव में जिस अस्पताल का भवन बनाया है उसका संचालन 'डॉक्टर्स फोर यु' नाम की संस्था द्वारा किया जा रहा है. 50 बेड वाले अस्पताल में इस समय कोरोना के 30 मरीज इलाज करा रहे हैं. अस्पताल में एक्स रे और जांच की अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध हैं.

कम होती है बिजली की खपत
'डॉक्टर्स फोर यु' संस्था के प्रोजेक्ट मैनेजर प्रमोद कुमार ने कहा "यह अस्पताल ईको फ्रेंडली है. अगर बाहर गर्मी है तो अंदर गर्मी नहीं लगेगी. वहीं, सर्दी के दिनों में कमरा गर्म रहता है. इससे इलाज करा रहे मरीजों को आराम मिलता है. इसके साथ ही बिजली की खपत भी कम होती है."

covid hospital made from straw
फतुहा के मसाढ़ी गांव में बना कोरोना अस्पताल.

घास और पराली से बना है अस्पताल
प्रमोद कुमार ने कहा "अस्पताल के भवन को घास और धान की पराली से बनाया गया है. इसके लिए घास और पराली में दो-तीन केमिकल डालकर सभी को मिलाते हैं. इसके बाद मिश्रण को हाईप्रेशर पर दबाया और गर्मी से पकाया जाता है. इसके बाद निर्माण सामग्री भवन बनाने के लिए तैयार हो जाती है."

"यहां 24 घंटे डॉक्टर तैनात रहते हैं. हमारे यहां ऑक्सीजन की सुविधा है. अभी 10-12 मरीज ऑक्सीजन पर हैं. इस अस्पताल से हमने करीब 100 मरीजों को स्वस्थ्य कर घर भेजा है. यहां करीब 6 हजार लोगों की जांच की गई है."- प्रमोद कुमार, प्रोजेक्ट मैनेजर, डॉक्टर्स फोर यु संस्था

यह भी पढ़ें- बोले मंत्री आर के सिंह- डॉक्टर से मारपीट करने वाले जाएंगे जेल, वहां भी होगी पिटाई

Last Updated : Apr 25, 2021, 7:51 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.