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बोले श्रवण कुमार- मनरेगा योजना के तहत लगाये जाएंगे 2 करोड़ पौधे

ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा है कि मनरेगा के तहत 2 करोड़ पौधे लगाये जायेंगें. साथ ही निजी भूमि पर पौधारोपण को प्रोत्साहन दिया जायेगा.

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Published : May 30, 2021, 6:29 PM IST

MNREGA scheme in bihar
MNREGA scheme in bihar

पटना: ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि बढ़ते प्रदूषण और जलवायु परिवर्त्तन को ध्यान में रखकर बिहार सरकार वन और हरित आच्छादन को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासरत है. इसमें ग्रामीण विकास विभाग द्वारा संचालित मनरेगा योजना की महत्वपूर्ण भूमिका है. वित्तीय वर्ष 2021-22 में मनरेगा योजना के तहत 2 करोड़ पौधा लगाने का लक्ष्य ग्रामीण विकास विभाग ने रखा है. इसकी तैयारी विभाग द्वारा जोर-शोर से शुरू की जा चुकी है.

ये भी पढ़ेंः Third Wave of Corona: बच्चों को संक्रमण से बचाने को लेकर UNICEF की तैयारी, अभिभावकों की भूमिका अहम

निजी भूमि पर पौधारोपण
मनरेगा के तहत सामाजिक वानिकी योजना अन्तर्गंत राज्य के सभी 38 जिलों के सभी ग्राम पंचायतों में सघन पौधारोपण अभियान चलाकर इस वित्तीय वर्ष में 2 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है. जिसमें 1 करोड़ 50 लाख काष्ठ पौधे और 50 लाख फलदार पौधे शामिल हैं. इस योजना के तहत ग्रामीण कार्य विभाग की सड़कों के किनारे वृक्षारोपण, जल सरंक्षण/संचयन संरचनाओं के किनारे वृक्षारोपण और निजी भूमि पर वृक्षारोपण पर फोकस किया जाएगा. विगत वित्तीय वर्ष में मनरेगा योजना के तहत 1 करोड़ 20 लाख पौधे लगाए गए थे.

भूमि मालिक का होगा हक
विभागीय मंत्री श्रवण कुमार ने निजी भूमि पर वृक्षारोपण की चर्चा करते हुए बताया कि निजी भूमि पर काष्ठ अथवा फलदार दोनों पौधे लगाए जा सकते हैं. फलदार पौधों में आम, लीची, जामुन, कटहल, आंवला, बेल, नींबू, अमरूद आदि का चयन स्थल जलवायु और मिट्टी के आधार पर किया जा सकता है. निजी भूमि पर लगाये जाने वाले पौधों से प्राप्त लकड़ी और फल पर भूमि मालिक का ही हक होगा. एक परिवार के पास 200 पौधों के लिए भूमि उपलब्ध नहीं होने पर 2 से 3 परिवारों को 1 इकाई यानी 200 पौधे लगाये जाने का प्रावधान मनरेगा योजना में किया गया है. ताकि छोटे किसानों को भी इसका लाभ मिल सके.

मजदूरी भुगतान का प्रावधान
अनुमान्य श्रेणी के व्यक्तियों के निजी भूमि पर लगाये गये पौधों की सुरक्षा के लिए गेबियन के साथ ही सिंचाई के लिए चापाकल अथवा ट्राली से पटवन की सुविधा भी प्रदान की जाती है. निजी भूमि के मामले में यदि दो इकाई के क्लस्टर 200 मीटर की दूरी के अन्दर उपलब्ध हो तो, उन दो इकाईयों के लिए एक चापाकल का प्रावधान किया जा सकता है. निजी भूमि पर क्लस्टर की अनुपलब्धता की स्थिति में एक इकाई पर भी एक चापाकल का प्रावधान है.

इसके अतिरिक्त पौधों की देखभाल के लिए वनपोषकों की मजदूरी भुगतान का प्रावधान है. लाभुक/लाभुकों को निजी भूमि पर लगाये गये एक इकाई पौधों की देख-रेख के लिए वृक्षारोपण वर्ष से अगले पांच वर्ष तक प्रतिमाह 8 मानव दिवस की मजदूरी मनरेगा योजना से दिया जाता है.

पटना: ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि बढ़ते प्रदूषण और जलवायु परिवर्त्तन को ध्यान में रखकर बिहार सरकार वन और हरित आच्छादन को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासरत है. इसमें ग्रामीण विकास विभाग द्वारा संचालित मनरेगा योजना की महत्वपूर्ण भूमिका है. वित्तीय वर्ष 2021-22 में मनरेगा योजना के तहत 2 करोड़ पौधा लगाने का लक्ष्य ग्रामीण विकास विभाग ने रखा है. इसकी तैयारी विभाग द्वारा जोर-शोर से शुरू की जा चुकी है.

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निजी भूमि पर पौधारोपण
मनरेगा के तहत सामाजिक वानिकी योजना अन्तर्गंत राज्य के सभी 38 जिलों के सभी ग्राम पंचायतों में सघन पौधारोपण अभियान चलाकर इस वित्तीय वर्ष में 2 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है. जिसमें 1 करोड़ 50 लाख काष्ठ पौधे और 50 लाख फलदार पौधे शामिल हैं. इस योजना के तहत ग्रामीण कार्य विभाग की सड़कों के किनारे वृक्षारोपण, जल सरंक्षण/संचयन संरचनाओं के किनारे वृक्षारोपण और निजी भूमि पर वृक्षारोपण पर फोकस किया जाएगा. विगत वित्तीय वर्ष में मनरेगा योजना के तहत 1 करोड़ 20 लाख पौधे लगाए गए थे.

भूमि मालिक का होगा हक
विभागीय मंत्री श्रवण कुमार ने निजी भूमि पर वृक्षारोपण की चर्चा करते हुए बताया कि निजी भूमि पर काष्ठ अथवा फलदार दोनों पौधे लगाए जा सकते हैं. फलदार पौधों में आम, लीची, जामुन, कटहल, आंवला, बेल, नींबू, अमरूद आदि का चयन स्थल जलवायु और मिट्टी के आधार पर किया जा सकता है. निजी भूमि पर लगाये जाने वाले पौधों से प्राप्त लकड़ी और फल पर भूमि मालिक का ही हक होगा. एक परिवार के पास 200 पौधों के लिए भूमि उपलब्ध नहीं होने पर 2 से 3 परिवारों को 1 इकाई यानी 200 पौधे लगाये जाने का प्रावधान मनरेगा योजना में किया गया है. ताकि छोटे किसानों को भी इसका लाभ मिल सके.

मजदूरी भुगतान का प्रावधान
अनुमान्य श्रेणी के व्यक्तियों के निजी भूमि पर लगाये गये पौधों की सुरक्षा के लिए गेबियन के साथ ही सिंचाई के लिए चापाकल अथवा ट्राली से पटवन की सुविधा भी प्रदान की जाती है. निजी भूमि के मामले में यदि दो इकाई के क्लस्टर 200 मीटर की दूरी के अन्दर उपलब्ध हो तो, उन दो इकाईयों के लिए एक चापाकल का प्रावधान किया जा सकता है. निजी भूमि पर क्लस्टर की अनुपलब्धता की स्थिति में एक इकाई पर भी एक चापाकल का प्रावधान है.

इसके अतिरिक्त पौधों की देखभाल के लिए वनपोषकों की मजदूरी भुगतान का प्रावधान है. लाभुक/लाभुकों को निजी भूमि पर लगाये गये एक इकाई पौधों की देख-रेख के लिए वृक्षारोपण वर्ष से अगले पांच वर्ष तक प्रतिमाह 8 मानव दिवस की मजदूरी मनरेगा योजना से दिया जाता है.

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