पटना: पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी अब केंद्र की राजनीति की ओर कदम बढ़ा चुके हैं. सुशील मोदी की गैरमौजूदगी में भाजपा के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं था. जिसकी बदौलत भविष्य की राजनीति की रूपरेखा तय की जाए. सुशील मोदी के जाने के बाद पार्टी स्तर पर ऐसे चेहरे की तलाश की जा रही थी. आखिरकार केंद्र की राजनीति में सक्रिय रहे अल्पसंख्यक चेहरा शाहनवाज हुसैन पर पार्टी ने भरोसा जताया और विधान परिषद के जरिए बिहार की राजनीति में एंट्री दिलवाई.
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शाहनवाज के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी
भाजपा शाहनवाज हुसैन पर भविष्य में बड़ा दांव लगा सकती है. पहला तो सरकार में पद देकर अल्पसंख्यकों के हिमायती होने का दावा कर सकती है. भविष्य में भी अल्पसंख्यक वोट बैंक साधने के लिए शाहनवाज हुसैन के नेतृत्व में भाजपा आगे बढ़ सकती है.
''पार्टी में भूमिका तय होती रहती है. कुछ लोग बिहार की राजनीति से केंद्र की राजनीति में जा रहे हैं, तो मुझे केंद्र की राजनीति से बिहार की राजनीति में भेजा गया है. मुझे नीतीश कुमार के साथ काम करने का अनुभव प्राप्त है और मैं इस भूमिका को भी बखूबी निभाऊंगा''- शाहनवाज हुसैन, बीजेपी नेता
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सुशील मोदी की कमी को करेंगे पूरा
फिलहाल जदयू से सामंजस्य स्थापित करने में भाजपा को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था. शाहनवाज हुसैन के आने के बाद शायद वह कमी पूरी हो जाएगी. भाजपा नेता सुशील मोदी ने कहा कि शाहनवाज हुसैन एक बड़ा चेहरा है. खासकर सीमांचल के इलाके में इनके आने से पार्टी को मजबूती मिलेगी.
''भविष्य में भाजपा शाहनवाज हुसैन को मुख्यमंत्री पद के लिए भी उम्मीदवार बना सकती है. हालांकि मुझे भाजपा जैसी पार्टी से इसकी उम्मीद नहीं है''- डीएम दिवाकर, राजनीतिक विश्लेषक
'बीजेपी का एक तीर से कई निशाने'
राजनीतिक विश्लेषक डीएम दिवाकर का मानना है कि शाहनवाज हुसैन को आगे कर भाजपा एक तीर से कई निशाने साध रही है. एक और तो वह अल्पसंख्यकों को संदेश दे पाएगी कि अल्पसंख्यकों से हमारा बैर नहीं है. दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल चुनाव में भी पार्टी को इसका फायदा मिल सकता है.