पटनाः राजधानी के दीदारगंज के पुनाडीह पंचायत में माता सती की खप्पर की परंपरा सदियों से चली आ रही है. इस पूजा का मकसद महामारी से निजात पाना है. ग्रामीणों की मानें तो मां सती की पूजन से महामारी गांव में नहीं फैलता है. इसलिए पूरा गांव खुशहाल रहे इसके लिए ये पूजा की जाती है. ये पूजा होली के दो दिन बाद की जाती है. जिसे लोग बसियौरा मेला के रूप में जानते हैं. गांव के लोगों को इस दिन का बेसब्री से इंतजार रहता है.
सती मेला का आयोजन
दीदारगंज पुनाडीह सती स्थान से माता का खप्पर मेला का आयोजन किया गया. जहां ग्रामीणों ने कुवांरी कन्याओं का पूजन कर, नागा साधुओं की अगुआई में सैकड़ों श्रद्धालुओं के बीच बैंड-बाजा, पारम्परिक गीत और वैदिक मंत्रों के साथ मां सती और भगवान की कई झांकियां पूरे गांव में घुमाया. जहां सभी श्रद्धालु माता सती की जयकारा लगाते भक्तिमय वातावरण में खुशियां मनाते नजर आये.
मां सती की घुमाई जाती है झांकियां
माता सती के खप्पर की पौराणिक मान्यता यह है कि पुनाडीह सती स्थान में सैकड़ों वर्ष पहले एक महिला आग में झुलसकर सती हो गई थी. उस आग की ज्वाला पूरे गांव में महामारी के शक्ल में बदल गया. इस महामारी से उस गांव में सैकड़ों लोग मरने लगे. फिर मां सती की पूजा हुई, तब जाकर महामारी पर अंकुश लगा. उस समय से लेकर अब तक यह सती मेला के रूप में जाना जाता है. जो कुमारी कन्या का पूजन कर नागा साधु के अगुआई में किया जाता है.