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'क्या नीतीश आईने में अपनी शक्ल देखते होंगे?..' महागठबंधन सरकार के 1 साल पूरा होने पर सम्राट चौधरी का हमला

महागठबंधन सरकार को एक साल पूरा होने पर बधाई मिल रही है. वहीं बिहार बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने अपने फेसबुक अकाउंट से एक पोस्ट कर नीतीश कुमार पर जमकर हमला किया है. इस पोस्ट के जरिए सम्राट चौधरी ने इन एक साल की सारी बड़ी घटनाओं को याद दिलाया है. पोस्ट के शुरुआत में उन्होंने लिखा है 'जब नाश मनुज पर छाता है पहले विवेक मर जाता है’.

mahagathbandhan government completes 1 year
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Published : Aug 9, 2023, 1:25 PM IST

पटना:बिहार में महागठबंधन सरकार ने 1 साल पूरे कर लिए हैं. 1 साल पूरा होने पर सरकार की ओर से विकास कार्यों को लेकर कोई रिपोर्ट कार्ड पेश नहीं किया गया, लेकिन सरकार विपक्ष के निशाने पर है. भाजपा ने नीतीश कुमार पर चौतरफा हमला बोला है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने सोशल मीडिया के जरिए नीतीश कुमार को कटघरे में खड़ा किया है. फेसबुक में पोस्ट कर बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि राष्ट्रकवि दिनकर जी ने लिखा था-‘जब नाश मनुज पर छाता है पहले विवेक मर जाता है’.

पढ़ें- 22 साल में 8वीं ताजपोशी : 'कुर्सी' से टिके रहने की कला में माहिर हैं नीतीश कुमार!

सम्राट चौधरी का नीतीश पर बड़ा हमला: सम्राट चौधरी ने कहा है कि नीतीश कुमार आज इसी अवस्था से गुजर रहे हैं. नीतीश कुमार अपने कुंद विवेक के कारण विनाश की तरफ खींचते हुए आज से ठीक एक साल पहले जनादेश को नकार दिया था और लालू परिवार की गोद में बैठ गए थे. तब से आज तक में गंगा में बहुत पानी बह चुका है. कभी भाजपा के साथ के कारण सुशासन के प्रतीक बने नीतीश आज राजद की संगत की रंगत में रंगकर कुशासन, अवसरवादिता और पलटी मारने की मिसाल बन चुके हैं.

नीतीश पर जनता से धोखा करने का लगाया आरोप: इस एक साल में लोगों ने देखा है कि कैसे कोई व्यक्ति अतिमहत्वकांक्षा में पड़ कर अपने साथ-साथ 12 करोड़ बिहारवासियों के भविष्य को खतरे में डाल देता है. सम्राट चौधरी ने अपने पोस्ट में आगे लिखा है कि जनता ने भी सबकुछ देखा है. पद के मद में चूर होकर कैसे कोई व्यक्ति जनता की पीठ में बार-बार छूरा घोंपता है. कभी एक दूसरे को पानी पी पीकर कोसने वाले कैसे साथ हो गए.

बक्सर से लेकर कटिहार तक की घटना का जिक्र: इस एक साल में बढ़े अपराध के कारण हजारों माताओं की गोद सुनी हुई है, कितनी ही बहनों का सुहाग उजड़ा. दस लाख सरकारी नौकरी मांगना लोगों को महंगा पड़ा, उनपर लाठियां बरसीं. कटिहार में बिजली की मांग करने वालों को गोलियों से भून दिया गया, बक्सर के चौसा में किसानों के घरों में घुसकर महिलाओं और पुरुषों को पीटा गया. भाजपा के शांतिपूर्ण मार्च में कार्यकर्ताओं को दौड़ा-दौड़ा कर मारा गया. जहानाबाद के विजय सिंह शहीद हो गए और सैंकड़ों की संख्या में हमारे कार्यकर्ता जख्मी हुए.

शराब माफिया और बालू माफिया को लेकर हमला: जेहादियों , शराब माफियाओं, रंगदारों और निर्मम हत्यारों को खूब प्रोत्साहन मिला. बिहार PFI का गढ़ बन गया. कानून बदलकर 2 दर्जन से अधिक दुर्दांत अपराधियों को जेल से रिहा किया गया. शराब माफियाओं द्वारा हर दूसरे दिन पुलिस को पिटने और मारने का सिलसिला चल पड़ा. बालू माफियाओं के आतंक से जनता और अधिकारी खौफजदा हैं. बिहार पुलिस के अनुसार पटना में लगभग हर दिन एक मर्डर होना आम बात हो गई है. हिंदू समाज की आस्थाओं पर सरकार के बड़े नेताओं के अपमानजनक प्रहार होने लगे. शोभा यात्राओं पर पथराव की घटनाएं आम हो गयीं.

'जेपी के संघर्षों का मजाक...': दरअसल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने ईमान और अपनी अंतरात्मा दोनों का गला घोंट चुके हैं. न तो राजद के युवराजों की पालकी ढोने में शर्म आती है और न ही सोनिया गांधी के सामने झुककर जेपी के संघर्षों का मजाक उड़ाने में ग्लानी का भाव उत्पन्न होता है. कभी-कभी सोचता हूं कि क्या नीतीश आईने में अपनी शक्ल देख पाते होंगे? क्या उनकी आत्मा अकेले में उन्हें कुरेदती होगी? क्या बिहार की जनता से गद्दारी करने के लिए उन्हें पछतावा होता होगा?

'जनता लेगी हिसाब': बहरहाल नीतीश कुमार यह जान और मान लें कि सिर्फ ठगबंधन सरकार का एक वर्ष नहीं बीता है बल्कि हमेशा बैसाखी पर चलने वाली उनकी राजनीति का भी एक साल कम हो गया है. कुछ दिन और हैं उन्हें जितनी लाठियां और गोलियां चलवानी हों, चला लें. उनका घड़ा भर चुका है. आने वाले समय में बिहार की जनता और उनके अशुभचिंतक साथी उनका जो हाल करेंगे वह हर किसी के लिए एक उदहारण होगा. जनता हिसाब जरूर लेगी.

पटना:बिहार में महागठबंधन सरकार ने 1 साल पूरे कर लिए हैं. 1 साल पूरा होने पर सरकार की ओर से विकास कार्यों को लेकर कोई रिपोर्ट कार्ड पेश नहीं किया गया, लेकिन सरकार विपक्ष के निशाने पर है. भाजपा ने नीतीश कुमार पर चौतरफा हमला बोला है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने सोशल मीडिया के जरिए नीतीश कुमार को कटघरे में खड़ा किया है. फेसबुक में पोस्ट कर बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि राष्ट्रकवि दिनकर जी ने लिखा था-‘जब नाश मनुज पर छाता है पहले विवेक मर जाता है’.

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सम्राट चौधरी का नीतीश पर बड़ा हमला: सम्राट चौधरी ने कहा है कि नीतीश कुमार आज इसी अवस्था से गुजर रहे हैं. नीतीश कुमार अपने कुंद विवेक के कारण विनाश की तरफ खींचते हुए आज से ठीक एक साल पहले जनादेश को नकार दिया था और लालू परिवार की गोद में बैठ गए थे. तब से आज तक में गंगा में बहुत पानी बह चुका है. कभी भाजपा के साथ के कारण सुशासन के प्रतीक बने नीतीश आज राजद की संगत की रंगत में रंगकर कुशासन, अवसरवादिता और पलटी मारने की मिसाल बन चुके हैं.

नीतीश पर जनता से धोखा करने का लगाया आरोप: इस एक साल में लोगों ने देखा है कि कैसे कोई व्यक्ति अतिमहत्वकांक्षा में पड़ कर अपने साथ-साथ 12 करोड़ बिहारवासियों के भविष्य को खतरे में डाल देता है. सम्राट चौधरी ने अपने पोस्ट में आगे लिखा है कि जनता ने भी सबकुछ देखा है. पद के मद में चूर होकर कैसे कोई व्यक्ति जनता की पीठ में बार-बार छूरा घोंपता है. कभी एक दूसरे को पानी पी पीकर कोसने वाले कैसे साथ हो गए.

बक्सर से लेकर कटिहार तक की घटना का जिक्र: इस एक साल में बढ़े अपराध के कारण हजारों माताओं की गोद सुनी हुई है, कितनी ही बहनों का सुहाग उजड़ा. दस लाख सरकारी नौकरी मांगना लोगों को महंगा पड़ा, उनपर लाठियां बरसीं. कटिहार में बिजली की मांग करने वालों को गोलियों से भून दिया गया, बक्सर के चौसा में किसानों के घरों में घुसकर महिलाओं और पुरुषों को पीटा गया. भाजपा के शांतिपूर्ण मार्च में कार्यकर्ताओं को दौड़ा-दौड़ा कर मारा गया. जहानाबाद के विजय सिंह शहीद हो गए और सैंकड़ों की संख्या में हमारे कार्यकर्ता जख्मी हुए.

शराब माफिया और बालू माफिया को लेकर हमला: जेहादियों , शराब माफियाओं, रंगदारों और निर्मम हत्यारों को खूब प्रोत्साहन मिला. बिहार PFI का गढ़ बन गया. कानून बदलकर 2 दर्जन से अधिक दुर्दांत अपराधियों को जेल से रिहा किया गया. शराब माफियाओं द्वारा हर दूसरे दिन पुलिस को पिटने और मारने का सिलसिला चल पड़ा. बालू माफियाओं के आतंक से जनता और अधिकारी खौफजदा हैं. बिहार पुलिस के अनुसार पटना में लगभग हर दिन एक मर्डर होना आम बात हो गई है. हिंदू समाज की आस्थाओं पर सरकार के बड़े नेताओं के अपमानजनक प्रहार होने लगे. शोभा यात्राओं पर पथराव की घटनाएं आम हो गयीं.

'जेपी के संघर्षों का मजाक...': दरअसल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने ईमान और अपनी अंतरात्मा दोनों का गला घोंट चुके हैं. न तो राजद के युवराजों की पालकी ढोने में शर्म आती है और न ही सोनिया गांधी के सामने झुककर जेपी के संघर्षों का मजाक उड़ाने में ग्लानी का भाव उत्पन्न होता है. कभी-कभी सोचता हूं कि क्या नीतीश आईने में अपनी शक्ल देख पाते होंगे? क्या उनकी आत्मा अकेले में उन्हें कुरेदती होगी? क्या बिहार की जनता से गद्दारी करने के लिए उन्हें पछतावा होता होगा?

'जनता लेगी हिसाब': बहरहाल नीतीश कुमार यह जान और मान लें कि सिर्फ ठगबंधन सरकार का एक वर्ष नहीं बीता है बल्कि हमेशा बैसाखी पर चलने वाली उनकी राजनीति का भी एक साल कम हो गया है. कुछ दिन और हैं उन्हें जितनी लाठियां और गोलियां चलवानी हों, चला लें. उनका घड़ा भर चुका है. आने वाले समय में बिहार की जनता और उनके अशुभचिंतक साथी उनका जो हाल करेंगे वह हर किसी के लिए एक उदहारण होगा. जनता हिसाब जरूर लेगी.

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