पटना: कहते हैं ‘जब दीयों से हो सकता है उजियारा तो क्यों ले हम चाइनीज लाइटों का सहारा’… लेकिन बिहार की राजधानी पटना में इसका उल्टा असर देखने को मिल रहा है. जिले में दीपावली के त्योहार पर मिट्टी के दीये की मांग न होने के कारण बिहटा और मनेर के कुम्हार परेशान हो गए हैं. बाजारों में चाइनीज लाइट की मांग बढ़ गई है, जिससे कुम्हारों की बिक्री न के बराबर हो गई है.
दीयों की मांग पड़ी फिकी
प्रकाश के पर्व दीपावली में सिर्फ एक दिन ही बचा हुआ हैं. दीपावली को रौशनी और दीयों का त्यौहार कहा जाता है. इस दिन हर तरफ दीये, कैंडल और रंग-बिरंगी लाइटों की जगमगाहट देखने को मिलती है. हर साल दीपावली के समय मिट्टी के दीये की काफी डिमांड होती है, लेकिन इस बार इसकी डिमांड फिकी पड़ गई है. इससे दीये बनाने वाले कुम्हार काफी निराश हैं. अधिकांश कुम्हार दीये की जगह मिट्टी के कुल्हड़ बनाते नजर आ रहे हैं.
पटना: दूसरों के घर रोशन करने वाले कुम्हार खुद हो रहे परेशान - दीपावली पर मिट्टी के दीयों की मांग कम
इस वर्ष कोविड-19 के कारण सभी त्योहारों का मजा किरकिरा हो गया है. वहीं इस वर्ष दीपावली के त्योहार पर भी लोगों में उत्साह काफी कम देखने को मिल रही है. इसके साथ ही पवित्र दीयों को बनाने वाले कुम्हारों की बिक्री भी ठप हो गई है.
पटना: कहते हैं ‘जब दीयों से हो सकता है उजियारा तो क्यों ले हम चाइनीज लाइटों का सहारा’… लेकिन बिहार की राजधानी पटना में इसका उल्टा असर देखने को मिल रहा है. जिले में दीपावली के त्योहार पर मिट्टी के दीये की मांग न होने के कारण बिहटा और मनेर के कुम्हार परेशान हो गए हैं. बाजारों में चाइनीज लाइट की मांग बढ़ गई है, जिससे कुम्हारों की बिक्री न के बराबर हो गई है.
दीयों की मांग पड़ी फिकी
प्रकाश के पर्व दीपावली में सिर्फ एक दिन ही बचा हुआ हैं. दीपावली को रौशनी और दीयों का त्यौहार कहा जाता है. इस दिन हर तरफ दीये, कैंडल और रंग-बिरंगी लाइटों की जगमगाहट देखने को मिलती है. हर साल दीपावली के समय मिट्टी के दीये की काफी डिमांड होती है, लेकिन इस बार इसकी डिमांड फिकी पड़ गई है. इससे दीये बनाने वाले कुम्हार काफी निराश हैं. अधिकांश कुम्हार दीये की जगह मिट्टी के कुल्हड़ बनाते नजर आ रहे हैं.