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पटनाः मठ तोड़ने के आदेश को लेकर साधु-संतों का हंगामा - संत रामदास

कबीर मठ के साधु-संतों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. कहा, सरकार ने अपने पावर का गलत उपयोग कर उदासीन मठ के जमीन को कब्जा कर रखा है.

हंगामा करते संत
हंगामा करते संत
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Published : Dec 18, 2020, 10:14 PM IST

पटनाः महात्मा गांधी सेतु के समानांतर पुल निर्माण को लेकर सरकार ने जिला प्रशासन को जमीन अधिग्रहण करने का आदेश दिया है. उसी आलोक में जिला प्रशासन जमीन अधिग्रहण करने गायघाट उदासीन मठ बड़ी संगत पहुंची. जहां उन्होंने 400 वर्ष पहले बने मठ को तोड़ने का आदेश दिया. जहां मठ के साधु संतों ने कड़ी आपत्ति जताई.

जमकर की नारेबाजी

मठ तोड़ने के आदेश के बाद मठ के साधु संतों ने सरकार व जिला प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. मठ के संत राम दास ने कहा कि यह जमीन हमारे पूर्वजों की है. जहां इनमें हमारे पूर्वजों की मूर्तियां बनी हैं. इन्हें हम तोड़ने नहीं देंगे. सरकार हमारी जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर रही है. हम ऐसा नहीं होने देंगे.

बैठक करते संत
बैठक करते संत

दोबारा जांच कर लें, जमीन किसकी हैः संत

मठ के संत रामदास ने कहा, सरकार व जिला प्रशासन से हमारी मांग है कि एक बार फिर से जमीन की जांच कर लें कि यह जमीन किसकी है. बता दें कि 400 वर्ष पुरानी मठ को तोड़ने गई जिला प्रसाशन को मठ के साधु-संतों ने रोका. उन्होंने सरकार से कहा कि संतों को यह जमीन विरासत में मिली है.

पटनाः महात्मा गांधी सेतु के समानांतर पुल निर्माण को लेकर सरकार ने जिला प्रशासन को जमीन अधिग्रहण करने का आदेश दिया है. उसी आलोक में जिला प्रशासन जमीन अधिग्रहण करने गायघाट उदासीन मठ बड़ी संगत पहुंची. जहां उन्होंने 400 वर्ष पहले बने मठ को तोड़ने का आदेश दिया. जहां मठ के साधु संतों ने कड़ी आपत्ति जताई.

जमकर की नारेबाजी

मठ तोड़ने के आदेश के बाद मठ के साधु संतों ने सरकार व जिला प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. मठ के संत राम दास ने कहा कि यह जमीन हमारे पूर्वजों की है. जहां इनमें हमारे पूर्वजों की मूर्तियां बनी हैं. इन्हें हम तोड़ने नहीं देंगे. सरकार हमारी जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर रही है. हम ऐसा नहीं होने देंगे.

बैठक करते संत
बैठक करते संत

दोबारा जांच कर लें, जमीन किसकी हैः संत

मठ के संत रामदास ने कहा, सरकार व जिला प्रशासन से हमारी मांग है कि एक बार फिर से जमीन की जांच कर लें कि यह जमीन किसकी है. बता दें कि 400 वर्ष पुरानी मठ को तोड़ने गई जिला प्रसाशन को मठ के साधु-संतों ने रोका. उन्होंने सरकार से कहा कि संतों को यह जमीन विरासत में मिली है.

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