पटनाः देश में जो माहौल है, उसमें शुभ दीपावली (Diwali) के मैसेज इतना तेजी से आ रहे हैं कि शायद ही किसी के मोबाइल का इनबॉक्स बचा हुआ हो. मैसेज आने के जिस भी माध्यम को लोगों ने चालू कर रखा है उसमें इतने मैसेज आ रहे हैं कि लोग जवाब देने को समय निकालकर पूरा कर रहे हैं. इस खुशी के माहौल में पूरा देश है लेकिन दीपावली में बिहार रो रहा है. बिहार में जहरीली शराब पीने से 21 लोगों की जान चली गई है (Death due to Drinking Spurious Liquor). अब इसे बिहार के लिए सुशासन वाली सरकार की चौकसी की सौगात कहें या फिर बिहार की नीति. क्योंकि निकलते हुए आंसू और रोते हुए गलों में संवेदनाओं की आस सिर्फ इतनी होती है कोई अपनों को एक नजर भर देख ले या नजरें उन्हें उस हाल में देख लें. जिससे वह खुशहाल रहती थी, लेकिन बिहार के गोपालगंज और बेतिया में 21 परिवारों की जिंदगी बेनूर हो गई दीपावली का हर दीया बुझ गया. क्योंकि बिहार की जहरीली शराब ने इन लोगों की जीवन लीला ही समाप्त कर दी.
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शब्दों में कहें कि महिलाओं के कहने पर ही उन्होंने पूरे बिहार में शराबबंदी कर दी. कानून पूरी शक्ति के साथ काम कर रहा है और किसी भी गलत आदमी को छोड़ा नहीं जाएगा, लेकिन वर्दी पहन करके जिस तरीके से कानून के नाक के नीचे यह काला खेल हो रहा है. ऐसा नहीं है कि नीतीश कुमार नहीं जानते. कई मंच से तो खुद नीतीश कुमार कह चुके हैं कि कुछ लोग हैं जो थोड़ा इधर-उधर करते हैं. बात ज्यादा पुरानी नहीं है राजगीर के कांस्टेबल पासिंग आउट परेड में जहां पुलिस के आला अधिकारी मौजूद थे. नीतीश ने कहा था कि पुलिस विभाग के कई ऐसे अधिकारी हैं जो यह जानते हैं कि बिहार में अभी भी शराब के कालाबाजारी का खेल चल रहा है और उसमें कुछ लोग हैं जो इधर-उधर करते हैं.
अब सवाल यह उठ रहा है कि जिस सरकार पर नीतीश कुमार इतनी लंबी पकड़ है. इतने लंबे समय से वह सरकार को चला भी रहे हैं फिर इस तरह के काली रात को देखने की सौगात बिहार को क्यों मिल जाती है. आखिर उन लोगों को जेल की कालकोठरी में क्यों नहीं डाला जाता जो 21 मौत के जिम्मेदार हैं. वर्दी पहनकर के सरेआम बिहार को बदनाम करने वाले ऐसे तमाम लोगों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती. आखिर यह कौन लोग हैं जिन्हें नीतीश कुमार की सरपरस्ती है. सवाल इसलिए उठ रहा है कि दीपावली के दिन खुशी का जो दीया बिहार में जलना था 21 जिंदगी लील करके इन्हीं के कारनामों ने इस परिवार की पूरी जिंदगी ही बेरंग कर दी. सवाल यह उठता है कि जो लोग शराब पीते हैं उन्हें शराब न मिले यह नीतीश चाहते थे, लेकिन उन लोगों को शराब मिल जा रही है तो सवाल यह उठ रहा है कि चाह कौन रहा है. थाने के थाना प्रभारी को पूरे थाने के चप्पे-चप्पे की जानकारी होती है तो फिर यह जानकारी क्यों नहीं थी कि शराब कहां थी. बिहार के गोपालगंज में 13 लोगों की मौत जहरीली शराब से हो गई तो पश्चिमी चंपारण में कुल 8 लोगों की जान अब तक जा चुकी है.
अब जरा नीतीश कुमार के बयान और उसकी हकीकत को समझ लीजिए कि बिहार में प्रशासन किस तरीके से सरकार के आदेश का माहौल बनाता है. नीतीश कुमार ने राजगीर में पुलिस के इधर-उधर करने की बात कही तो 28 अक्टूबर 2021 को मुजफ्फरपुर जिले में 8 लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हो गई. 28 अक्टूबर 2021 तक बिहार में शराब के कुल 13 मामले आए, जो जहरीली शराब के थे. जिसमें कुल 66 लोगों की जान चली गई थी. 28 अक्टूबर 2021 तक कुल 66 लोगों की मौत हो गई थी. सबसे बड़ी बात यह है कि जिस बेतिया में आज 8 लोगों की मौत हुई. जुलाई 2021 में लोरिया के देवला गांव में 16 लोगों की मौत हुई थी. हालांकि नीतीश के तत्कालीन चहेते अधिकारी इस पर लीपापोती कर दिए थे और उन लोगों का कहना था कि शराब से तो सिर्फ 10 लोगों की मौत हुई है बाकी लोगों की मौत दूसरी बीमारियों से हुई है. बेतिया में यह मामला भी ठंडे बस्ते में गया ही नहीं था कि फिर 8 लोगों की मौत ने सारे मामले को जिंदा कर दिया. नवंबर 2021 तक बिहार में 14 मामले जहरीली शराब के आ चुके हैं. अगर इन में मरने वालों की बात करें तो 66 लोग पहले मरे थे और गोपालगंज और बेतियां में जिन 20 लोगों की मौत हुई है, अगर उसे जोड़ दिया जाए तो मौत का आंकड़ा 85 हो जाता है.
वैसे कहने के लिए तो बिहार में 2016 से ही शराब बंदी है. नीतीश कुमार ने 2016 में पूर्ण शराबबंदी कर दी थी लेकिन शराब बंद कहां है कहा नहीं जा सकता. क्योंकि जहां भी आपको शराब की जरूरत है बिहार में एक संगठित अपराध गिरोह इस पर काम कर रहा है. क्योंकि व्यापार लगभग 5000 करोड़ से ऊपर का है तो ऐसे में सरकार के तमाम लोग इतने पैसे में तो अपनी ईमान बेचने को तैयार ही रहते हैं और आरोप नीतीश और उनकी सरकार पर इसलिए भी लग रहा है कि आज जिन 20 लोगों ने अपनी जान गवाई है. वह इसी प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा है. अगर प्रशासन पूरे तौर पर सजग होता तो बिहार के लिए आज उजाला करने वाली दिवाली काली दिवाली नहीं बन जाती.
बहरहाल 2021 की दिवाली बिहार के लिए एक ऐसा अध्याय लिख गई है. जिसमें कई परिवार ऐसे हैं जो हर दिवाली के दिन सिर्फ रोने का काम करेंगे क्योंकि दीपावली के लिए जिस रंग की जरूरत होती है. उसकी रंगोली बनेगी नहीं और जिस दीए से उजाले की जरूरत है, उसमें कई मांग अब हमेशा के लिए सूनी हो गई है. कई बेटे के सिर से पिता का साया छिन गया, कई बहनों की कलाई हमेशा के लिए अब राखी नहीं बांध पाएगी, कई मां के आंचल आंसुओं से ही भींग जाएंगे. क्योंकि ममता के बीच अपनों को देखकर खुश होने वाला मन हमेशा के लिए प्रशासनिक लापरवाही के कारण श्याह सुर्ख हो चुका है. अब इनके लिए तो पूरी जिंदगी ही न तो दीपावली की कोई रंगोली है और न ही दीए का उजाला. हां राजनीतिक दलों के लिए जरूर है और खासतौर से जनता दल यूनाइटेड के लिए कि कुछ भी होने दो, बिहार में अपने लिए तो बहार है काहे कि 'नीतीशे कुमार' जो है.
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