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नीतीश से कुशवाहा की मुलाकात पर RLSP में बगावत! कोषाध्यक्ष ने लिखा 'विस्फोटक' खत

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Published : Dec 7, 2020, 8:54 PM IST

कुछ दिन पहले उपेंद्र कुशवाहा ने गुपचुप तरीके से नीतीश कुमार से उनके आवास पर मुलाकात की थी. जिसके बाद से माना जा रहा है कि दोनों साथ आ सकते हैं. चर्चा आरएलएसपी के जेडीयू में विलय और उनके विधान पार्षद बनाए जाने को लेकर भी होने लगी है. हालांकि अभी खुलकर इस बारे में दोनों दलों के नेता कहने से बच रहे हैं.

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पटना: जेडीयू के साथ सियासी गठजोड़ की अटकलों के बीच आरएलएसपी में बगावत शुरू हो गई है. कोषाध्यक्ष राजेश यादव ने पार्टी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से हालिया मुलाकात और उनकी राजनीतिक सूझबूझ पर गंभीर सवाल उठाए हैं. इसको लेकर उन्होंने कार्यकर्ताओं के नाम खुला पत्र जारी किया है.

इस खत में उन्होंने लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के लिए सीधे तौर पर पार्टी नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराया है. साथ ही हालिया विधानसभा चुनाव में बीएसपी और एआईएमआईएम से गठबंधन को लेकर भी गंभीर प्रश्न उठाए हैं.

और
फाइल फोटो

एनडीए क्यों छोड़ा?
दो पन्ने के इस पत्र में कोषाध्यक्ष राजेश यादव ने साफ-साफ लिखा है कि उपेंद्र कुशवाहा ने किन परिस्थितियों में एनडीए छोड़ा और महागठबंधन से नाता जोड़ा. फिर यहां आकर भी लोकसभा चुनाव में अपनी दो जीती हुई सीट जहानाबाद और सीतामढ़ी के लिए डिमांड नहीं की. वहीं, गठबंधन के तहत मिली 5 में से 2 पर खुद लड़े. वहीं मोतिहारी और बेतिया सीट बेहद ही कमजोर और नए उम्मीदवारों को टिकट थमा दिया. गलत रणनीतियों के कारण पार्टी का खाता भी नहीं खुला.

उपचुनाव में दूरी क्यों बनाई?
राजेश यादव ने आगे लिखा है कि लोकसभा चुनाव के बाद जब कुछ सीटों पर उपचुनाव हुए तो कुशवाहा ने महागठबंधन से दूरी बना ली. न तो प्रचार किया और न ही अपना रूख स्पष्ट किया, जिस वजह से लोगों और कार्यकर्ताओं में गलत संदेश गया.

'तेजस्वी पर तकरार बेमतलब'
आरएलएसपी के कोषाध्यक्ष ने तेजस्वी यादव की सीएम उम्मीदवारी को लेकर भी लिखा है. उन्होंने कहा कि आश्चर्य की बात है कि आरजेडी ने दिसंबर 2019 में ही तेजस्वी को अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित कर दिया, फिर भी ऐन विधानसभा चुनाव से पहले हमारी ओर से इसका विरोध किया जाने लगा. अगर उनका चेहरा पसंद नहीं था तो 3 सदस्यीय कमिटी बनाने का नाटक क्यों किया गया?

'महागठबंधन छोड़ना बड़ी गलती'
राजेश यादव ने अपने इस पत्र के माध्यम से महागठबंधन में जाने और छोड़ने को लेकर भी सवाल उठाया है. उन्होंने पूछा है कि अध्यक्ष महोदय बताएं कि हमारी बात लालू यादव से हुई थी या राहुल गांधी से, आखिर आरजेडी के माध्यम से हम लोग महागठबंधन में शामिल हुए थे या कांग्रेस के जरिए? उन्होंने आगे ये भी लिखा है कि तेजस्वी का विरोध करने कुशवाहा क्यों नहीं लोगों को मजबूत विकल्प दे पाए, ये बताना चाहिए.

'तेजस्वी की राजनीतिक हत्या की साजिश'
अपने पत्र के अंत में आरएलएसपी के कोषाध्यक्ष राजेश यादव ने लिखा है, 'ऐसा लगता है कि कार्यकर्ताओं के हितों को दरकिनार कर राष्ट्रीय अध्यक्ष की यह चिंता कभी नहीं रही कि हम अधिक सीटों पर चुनाव लड़ें. बल्कि वे जीतनराम मांझी, मुकेश सहनी, शरद यादव, कांग्रेस प्रभारी और कुछ वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के साथ मिलकर तेजस्वी यादव की राजनीतिक हत्या कैसे हो, इसी षडयंत्र में लगे रहे.'

पटना: जेडीयू के साथ सियासी गठजोड़ की अटकलों के बीच आरएलएसपी में बगावत शुरू हो गई है. कोषाध्यक्ष राजेश यादव ने पार्टी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से हालिया मुलाकात और उनकी राजनीतिक सूझबूझ पर गंभीर सवाल उठाए हैं. इसको लेकर उन्होंने कार्यकर्ताओं के नाम खुला पत्र जारी किया है.

इस खत में उन्होंने लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के लिए सीधे तौर पर पार्टी नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराया है. साथ ही हालिया विधानसभा चुनाव में बीएसपी और एआईएमआईएम से गठबंधन को लेकर भी गंभीर प्रश्न उठाए हैं.

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एनडीए क्यों छोड़ा?
दो पन्ने के इस पत्र में कोषाध्यक्ष राजेश यादव ने साफ-साफ लिखा है कि उपेंद्र कुशवाहा ने किन परिस्थितियों में एनडीए छोड़ा और महागठबंधन से नाता जोड़ा. फिर यहां आकर भी लोकसभा चुनाव में अपनी दो जीती हुई सीट जहानाबाद और सीतामढ़ी के लिए डिमांड नहीं की. वहीं, गठबंधन के तहत मिली 5 में से 2 पर खुद लड़े. वहीं मोतिहारी और बेतिया सीट बेहद ही कमजोर और नए उम्मीदवारों को टिकट थमा दिया. गलत रणनीतियों के कारण पार्टी का खाता भी नहीं खुला.

उपचुनाव में दूरी क्यों बनाई?
राजेश यादव ने आगे लिखा है कि लोकसभा चुनाव के बाद जब कुछ सीटों पर उपचुनाव हुए तो कुशवाहा ने महागठबंधन से दूरी बना ली. न तो प्रचार किया और न ही अपना रूख स्पष्ट किया, जिस वजह से लोगों और कार्यकर्ताओं में गलत संदेश गया.

'तेजस्वी पर तकरार बेमतलब'
आरएलएसपी के कोषाध्यक्ष ने तेजस्वी यादव की सीएम उम्मीदवारी को लेकर भी लिखा है. उन्होंने कहा कि आश्चर्य की बात है कि आरजेडी ने दिसंबर 2019 में ही तेजस्वी को अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित कर दिया, फिर भी ऐन विधानसभा चुनाव से पहले हमारी ओर से इसका विरोध किया जाने लगा. अगर उनका चेहरा पसंद नहीं था तो 3 सदस्यीय कमिटी बनाने का नाटक क्यों किया गया?

'महागठबंधन छोड़ना बड़ी गलती'
राजेश यादव ने अपने इस पत्र के माध्यम से महागठबंधन में जाने और छोड़ने को लेकर भी सवाल उठाया है. उन्होंने पूछा है कि अध्यक्ष महोदय बताएं कि हमारी बात लालू यादव से हुई थी या राहुल गांधी से, आखिर आरजेडी के माध्यम से हम लोग महागठबंधन में शामिल हुए थे या कांग्रेस के जरिए? उन्होंने आगे ये भी लिखा है कि तेजस्वी का विरोध करने कुशवाहा क्यों नहीं लोगों को मजबूत विकल्प दे पाए, ये बताना चाहिए.

'तेजस्वी की राजनीतिक हत्या की साजिश'
अपने पत्र के अंत में आरएलएसपी के कोषाध्यक्ष राजेश यादव ने लिखा है, 'ऐसा लगता है कि कार्यकर्ताओं के हितों को दरकिनार कर राष्ट्रीय अध्यक्ष की यह चिंता कभी नहीं रही कि हम अधिक सीटों पर चुनाव लड़ें. बल्कि वे जीतनराम मांझी, मुकेश सहनी, शरद यादव, कांग्रेस प्रभारी और कुछ वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के साथ मिलकर तेजस्वी यादव की राजनीतिक हत्या कैसे हो, इसी षडयंत्र में लगे रहे.'

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