नई दिल्ली/पटना: खरमास बाद बिहार में नये सियासी समीकरण बन सकते हैं. 14 जनवरी के बाद ऐसा संभव है. दरअसल सियासी तौर पर एक दूसरे के विरोधी रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री और रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा और बिहार के सीएम और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार हाथ मिला सकते हैं. उपेंद्र कुशवाहा नीतीश के साथ हो सकते हैं. कुछ दिन पहले उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश से मुलाकात भी की थी. कुशवाहा नीतीश को लेकर नरम रुख अपनाए हुए हैं.
जदयू में रालोसपा का हो सकता है विलय
सूत्रों के अनुसार पूर्व सीएम और ‘हम’ प्रमुख जीतन राम मांझी की तरह नीतीश एनडीए में रालोसपा को भी ला सकते हैं या जदयू में रालोसपा का विलय हो सकता है. एमएलसी बनाकर उपेंद्र कुशवाहा को बिहार में शिक्षा मंत्री भी नीतीश बना सकते हैं. उपेंद्र कुशवाहा पहले भी नीतीश कुमार के साथ काम कर चुके हैं. नीतीश ने उनको बिहार में विपक्ष का नेता भी बनवाया था और राज्यसभा भी भेजा था, लेकिन बाद में कुशवाहा जदयू से अलग होकर अपनी नई पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी बना ली थी.
उपेंद्र कुशवाहा ने बीजेपी से किया था गठबंधन
2014 के लोकसभा चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा ने बीजेपी से गठबंधन किया था. उनकी पार्टी 3 सीट पर लोकसभा चुनाव लड़ी और तीनों जीत गई थी. उपेंद्र कुशवाहा पांच साल तक केंद्र में केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री रहे. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले वह एनडीए से अलग होकर महागठबंधन के साथ आ गए थे. 5 सीटों पर उनकी पार्टी चुनाव लड़ी लेकिन एक भी सीट नहीं जीत पाई. 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी महागठबंधन से अलग होकर ओवैसी और बीएसपी के साथ गठबंधन की लेकिन एक भी सीट नहीं जीत पायी. सियासत में खुद को मजबूत बनाए रखने के लिए कुशवाहा फिर से नया ठिकाना ढूंढ रहे हैं.
नीतीश और उपेंद्र कुशवाहा साथ हो जाते हैं तो बिहार में लव और कुश की जोड़ी का मजबूत सियासी समीकरण बन सकता है, जो नीतीश को राजनीतिक तौर पर मजबूत करने में मुख्य भूमिका अदा कर सकता है. वहीं, इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू सिर्फ 43 सीटें जीत पाई है.