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मोकामा-गोपालगंज में अगर RJD की हुई जीत तो 'खेला' हो जाएगा, जानिये कैसे

बिहार विधानसभा की 2 सीटों पर चुनाव हो रहा है. तीन नवंबर काे वोट डाले जाएंग. परिणाम (Bihar assembly by election result) छह नवंबर काे आना है, लेकिन दोनों सीट के रिजल्ट को लेकर कई तरह की चर्चा शुरू हो गई है. अभी महागठबंधन के पास 164 विधायकों का समर्थन है जिसमें यदि जदयू को बाहर निकालते हैं तो महागठबंधन के पास कुल 119 विधायकों का समर्थन हो जाएगा. दोनों उपचुनाव यदि महागठबंधन यानी आरजेडी के पक्ष में गए तो यह संख्या बढ़कर 121 पहुंच जाएगी और बहुमत के लिए केवल एक सीट की जरूरत होगी. अभी कुढ़नी विधानसभा का सीट खाली है.

महागठबंधन का समीकरण
महागठबंधन का समीकरण
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Published : Nov 2, 2022, 8:59 PM IST

पटना:बिहार में 2020 विधानसभा चुनाव में आरजेडी 75 सीट लेकर सबसे बड़ी पार्टी (RJD biggest party) बनी थी. बीजेपी 74 सीट लाकर दूसरे स्थान पर थी और जदयू 43 सीट लाकर तीसरे स्थान पर. 2020 में एनडीए में शामिल अन्य दल जीतन राम मांझी की पार्टी हम को 4 सीट और मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी को भी 4 सीट मिला था और एनडीए ने सरकार बना ली. बाद में जदयू ने बसपा और लोजपा के एक एक विधायक को अपनी पार्टी में मिला लिया सदस्यों की संख्या 45 पहुंच गई. इस बीच दो विधायकों के निधन के कारण सीट भी खाली हुआ और दोनों पर जदयू को जीत भी मिली.

इसे भी पढ़ेंः बिहार में उपचुनाव: गोपालगंज-मोकामा में नीतीश तेजस्वी का पहला लिटमस टेस्ट

राजद की जीत से गड़बड़ा सकता है महागठबंधन का समीकरण.

आरजेडी सबसे बड़ी पार्टीः इधर मुकेश साहनी की पार्टी के एक विधायक के निधन के कारण बोचहा सीट पर उपचुनाव हुआ. आरजेडी को उस सीट पर जीत मिली और सदस्यों की संख्या 76 पहुंच गई. उधर मुकेश सहनी की पार्टी के तीन विधायक बीजेपी में शामिल हो गये और बीजेपी के सदस्यों की संख्या 77 पर पहुंच गई. विधानसभा में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बन गई. लेकिन, नीतीश कुमार बीजेपी से नाता तोड़ महागठबंधन में शामिल हो गए और 7 दलों की सरकार बना ली. सरकार बनाने से ठीक पहले आरजेडी ने एआईएमआईएम के 4 विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया. राजद विधानसभा में 80 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बन गयी.

महागठबंधन का समीकरण
महागठबंधन का समीकरण

रिजल्ट पर सबकी नजरः सरकार बनने के बाद विधानसभा की 3 सीटें खाली हो गई है, जिसमें आरजेडी के 2 विधायकों मोकामा से अनंत सिंह और कुढ़नी से अनिल सहनी की सदस्यता समाप्त हुई है. वहीं बीजेपी के एक विधायक सुभाष सिंह के निधन के कारण सीट खाली हुआ है. 3 नवंबर को मोकामा और गोपालगंज विधानसभा में उपचुनाव (Bihar assembly by election 2022) होना है. मोकामा सीट आरजेडी का सीटिंग सीट है तो गोपालगंज बीजेपी की सीटिंग सीट. ऐसे तो महागठबंधन और बीजेपी दोनों तरफ से जीत के दावे हो रहे हैं. बीजेपी दोनों सीट जीत भी जाती है तब भी विधानसभा में बड़ी पार्टी नहीं होगी. लेकिन आरजेडी को दोनों सीट पर जीत मिलती है तो आरजेडी बिना जदयू के सरकार बनाने के आंकड़े के करीब पहुंच सकता है. इसलिए बीजेपी लगातार यह कह रही है कि नीतीश कुमार उपचुनाव में आरजेडी को हराने में लगे हैं. चुनाव प्रचार में भी नहीं गए.

इसे भी पढ़ेंः बिहार में उपचुनाव: मिशन 2024 से पहले सेमी फाइनल तो नीतीश कुमार के फैसले का होगा लिटमस टेस्ट

महागठबंधन का समीकरण
महागठबंधन का समीकरण

ऐसे समझें आंकड़े काेः अभी महागठबंधन के पास 164 विधायकों का समर्थन है. यदि जदयू को बाहर निकालते हैं तो महागठबंधन के पास कुल 119 विधायकों का समर्थन हो जाएगा. दोनों उपचुनाव यदि महागठबंधन यानी आरजेडी के पक्ष में गए तो यह संख्या बढ़कर 121 पहुंच जाएगी और बहुमत के लिए केवल एक सीट की जरूरत होगी. अभी कुढ़नी विधानसभा का सीट खाली है और यह सीट आरजेडी के विधायक अनिल सहनी की सदस्यता समाप्त होने के बाद खाली हुआ है. ऐसे में इस सीट पर आरजेडी की दावेदारी है. आरजेडी सीट जीत लेता है तो वह बहुमत का जादुई आंकड़ा (power equation in bihar) महागठबंधन के अन्य सहयोगियों के साथ पा सकता है. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह का कहना है कि उपचुनाव के रिजल्ट का सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा. राजनीतिक विशेषज्ञ रवि उपाध्याय का भी कहना है कि जो जादुई आंकड़ा सरकार बनाने के लिए चाहिए आरजेडी इन दोनों सीटों के सहारे उसके नजदीक पहुंच जाएगा.

"नीतीश कुमार चाहते हैं आरजेडी दोनों सीट हार जाए क्यों कि उसे पता है दोनों सीट जीतने पर आरजेडी सत्ता के करीब पहुंच जाएगी और इसी कारण चुनाव प्रचार में भी नहीं गए"- अरविंद सिंह, प्रवक्ता, बीजेपी






पटना:बिहार में 2020 विधानसभा चुनाव में आरजेडी 75 सीट लेकर सबसे बड़ी पार्टी (RJD biggest party) बनी थी. बीजेपी 74 सीट लाकर दूसरे स्थान पर थी और जदयू 43 सीट लाकर तीसरे स्थान पर. 2020 में एनडीए में शामिल अन्य दल जीतन राम मांझी की पार्टी हम को 4 सीट और मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी को भी 4 सीट मिला था और एनडीए ने सरकार बना ली. बाद में जदयू ने बसपा और लोजपा के एक एक विधायक को अपनी पार्टी में मिला लिया सदस्यों की संख्या 45 पहुंच गई. इस बीच दो विधायकों के निधन के कारण सीट भी खाली हुआ और दोनों पर जदयू को जीत भी मिली.

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राजद की जीत से गड़बड़ा सकता है महागठबंधन का समीकरण.

आरजेडी सबसे बड़ी पार्टीः इधर मुकेश साहनी की पार्टी के एक विधायक के निधन के कारण बोचहा सीट पर उपचुनाव हुआ. आरजेडी को उस सीट पर जीत मिली और सदस्यों की संख्या 76 पहुंच गई. उधर मुकेश सहनी की पार्टी के तीन विधायक बीजेपी में शामिल हो गये और बीजेपी के सदस्यों की संख्या 77 पर पहुंच गई. विधानसभा में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बन गई. लेकिन, नीतीश कुमार बीजेपी से नाता तोड़ महागठबंधन में शामिल हो गए और 7 दलों की सरकार बना ली. सरकार बनाने से ठीक पहले आरजेडी ने एआईएमआईएम के 4 विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया. राजद विधानसभा में 80 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बन गयी.

महागठबंधन का समीकरण
महागठबंधन का समीकरण

रिजल्ट पर सबकी नजरः सरकार बनने के बाद विधानसभा की 3 सीटें खाली हो गई है, जिसमें आरजेडी के 2 विधायकों मोकामा से अनंत सिंह और कुढ़नी से अनिल सहनी की सदस्यता समाप्त हुई है. वहीं बीजेपी के एक विधायक सुभाष सिंह के निधन के कारण सीट खाली हुआ है. 3 नवंबर को मोकामा और गोपालगंज विधानसभा में उपचुनाव (Bihar assembly by election 2022) होना है. मोकामा सीट आरजेडी का सीटिंग सीट है तो गोपालगंज बीजेपी की सीटिंग सीट. ऐसे तो महागठबंधन और बीजेपी दोनों तरफ से जीत के दावे हो रहे हैं. बीजेपी दोनों सीट जीत भी जाती है तब भी विधानसभा में बड़ी पार्टी नहीं होगी. लेकिन आरजेडी को दोनों सीट पर जीत मिलती है तो आरजेडी बिना जदयू के सरकार बनाने के आंकड़े के करीब पहुंच सकता है. इसलिए बीजेपी लगातार यह कह रही है कि नीतीश कुमार उपचुनाव में आरजेडी को हराने में लगे हैं. चुनाव प्रचार में भी नहीं गए.

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महागठबंधन का समीकरण
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ऐसे समझें आंकड़े काेः अभी महागठबंधन के पास 164 विधायकों का समर्थन है. यदि जदयू को बाहर निकालते हैं तो महागठबंधन के पास कुल 119 विधायकों का समर्थन हो जाएगा. दोनों उपचुनाव यदि महागठबंधन यानी आरजेडी के पक्ष में गए तो यह संख्या बढ़कर 121 पहुंच जाएगी और बहुमत के लिए केवल एक सीट की जरूरत होगी. अभी कुढ़नी विधानसभा का सीट खाली है और यह सीट आरजेडी के विधायक अनिल सहनी की सदस्यता समाप्त होने के बाद खाली हुआ है. ऐसे में इस सीट पर आरजेडी की दावेदारी है. आरजेडी सीट जीत लेता है तो वह बहुमत का जादुई आंकड़ा (power equation in bihar) महागठबंधन के अन्य सहयोगियों के साथ पा सकता है. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह का कहना है कि उपचुनाव के रिजल्ट का सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा. राजनीतिक विशेषज्ञ रवि उपाध्याय का भी कहना है कि जो जादुई आंकड़ा सरकार बनाने के लिए चाहिए आरजेडी इन दोनों सीटों के सहारे उसके नजदीक पहुंच जाएगा.

"नीतीश कुमार चाहते हैं आरजेडी दोनों सीट हार जाए क्यों कि उसे पता है दोनों सीट जीतने पर आरजेडी सत्ता के करीब पहुंच जाएगी और इसी कारण चुनाव प्रचार में भी नहीं गए"- अरविंद सिंह, प्रवक्ता, बीजेपी






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