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सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को PM ने जातीय जनगणना पर मिलने का समय नहीं दिया, यह बिहार का अपमान- RJD - PM Narendra Modi

आरजेडी सांसद डॉ. मनोज झा (RJD MP Manoj Jha) ने कहा कि जातीय जनगणना (Caste Census) होनी चाहिए. पीएम मोदी सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को मिलने का वक्त नहीं दे रहे हैं, लेकिन व्यापक बहुजन समुदाय अब इंतजार के मूड में नहीं है. लिहाजा केंद्र सरकार को हमारी मांग पर गंभीरता से विचार करना होगा.

Manoj Jha
Manoj Jha
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Published : Aug 17, 2021, 6:39 PM IST

नई दिल्ली/पटना: आरजेडी के राज्यसभा सांसद डॉ. मनोज झा (RJD MP Manoj Jha) ने कहा कि 4 अगस्त को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को पत्र लिखा था. सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल लेकर वे पीएम से जातीय जनगणना (Caste Census) के मुद्दे पर मिलना चाहते हैं, लेकिन अब तक उनकी तरफ से मिलने के लिए समय नहीं दिया गया है. यह पूरे बिहार का अपमान है. उन्होंने कहा कि सीएम इंतजार में बैठे हुए हैं कि कब समय मिलेगा, लेकिन मैं उनसे कहना चाहता हूं कि व्यापक बहुजन समुदाय अब इंतजार के मूड में नहीं है.

ये भी पढ़ें: जातीय जनगणना पर JDU में दो फाड़, नीतीश और RCP के अलग-अलग सुर!

आरजेडी नेता मनोज झा ने कहा ने कहा कि ठेला चलाने वाला, गिट्टी-बालू ढोने वाला यह कौन है, लोग जानना चाहते हैं. आखिर उनकी वास्तविक संख्या क्या है? जातीय जनगणना नहीं होने से कमजोर वर्ग की जातियों को सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. आरजेडी सहित सभी दल इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेर रहे हैं. केंद्र सरकार पर जबरदस्त दबाव बढ़ रहा है.

डॉ. मनोज झा से बातचीत

मनोज झा ने कहा कि अगर जातीय जनगणना नहीं कराई गई तो इतना बड़ा आंदोलन होगा कि सरकार की जड़े हिल जाएंगी. हर वर्ग के लोगों का ख्याल बिना जातीय जनगणना के रख पाना बहुत मुश्किल है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इसे जल्द कराएं, वरना उसे ही नुकसान उठाना पड़ेगा.

ये भी पढ़ें: 'जातीय जनगणना की बजाय देश में आर्थिक जनगणना होनी चाहिए'

बिहार में आरजेडी, जेडीयू और अन्य विपक्षी दल भी जातीय जनगणना की मांग कर रहे हैं. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी पीएम मोदी को जातीय जनगणना कराने के लिए पत्र लिखा है.हालांकि बिहार में जेडीयू की सहयोगी बीजेपी जातीय जनगणना के पक्ष में नहीं दिख रही है. पार्टी का मानना है कि जातीय जनगणना की बजाय आर्थिक जनगणना होनी चाहिए.

आपको बता दें केंद्र सरकार ने कुछ समय पहले कहा था कि 2021 के जनगणना में अनुसूचित जाति एवं जनजाति की गणना होगी. सरकार हर वर्ग के लोगों ख्याल रख रही है. बीजेपी का तर्क है कि जातीय जनगणना से समाज में तनाव हो सकता है. दूसरी तरफ जानकारों का तर्क यह है कि जातीय जनगणना अगर होती है और उसमें जिसकी संख्या कम होगी, वह जनसंख्या बढ़ाने में लग जाएंगे. जिसके चलते जनसंख्या नियंत्रण नहीं हो पाएगी. जिनकी संख्या ज्यादा होगी वह नए सिरे से आरक्षण की मांग करेंगे. एक तर्क यह भी है कि बीजेपी की सियासत हिंदुत्व पर टिकी है. जातीय जनगणना होगी तो हिंदू जातियां जाति के आधार पर बंट सकती है, जिससे बीजेपी को नुकसान हो जाएगा.

नई दिल्ली/पटना: आरजेडी के राज्यसभा सांसद डॉ. मनोज झा (RJD MP Manoj Jha) ने कहा कि 4 अगस्त को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को पत्र लिखा था. सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल लेकर वे पीएम से जातीय जनगणना (Caste Census) के मुद्दे पर मिलना चाहते हैं, लेकिन अब तक उनकी तरफ से मिलने के लिए समय नहीं दिया गया है. यह पूरे बिहार का अपमान है. उन्होंने कहा कि सीएम इंतजार में बैठे हुए हैं कि कब समय मिलेगा, लेकिन मैं उनसे कहना चाहता हूं कि व्यापक बहुजन समुदाय अब इंतजार के मूड में नहीं है.

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आरजेडी नेता मनोज झा ने कहा ने कहा कि ठेला चलाने वाला, गिट्टी-बालू ढोने वाला यह कौन है, लोग जानना चाहते हैं. आखिर उनकी वास्तविक संख्या क्या है? जातीय जनगणना नहीं होने से कमजोर वर्ग की जातियों को सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. आरजेडी सहित सभी दल इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेर रहे हैं. केंद्र सरकार पर जबरदस्त दबाव बढ़ रहा है.

डॉ. मनोज झा से बातचीत

मनोज झा ने कहा कि अगर जातीय जनगणना नहीं कराई गई तो इतना बड़ा आंदोलन होगा कि सरकार की जड़े हिल जाएंगी. हर वर्ग के लोगों का ख्याल बिना जातीय जनगणना के रख पाना बहुत मुश्किल है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इसे जल्द कराएं, वरना उसे ही नुकसान उठाना पड़ेगा.

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बिहार में आरजेडी, जेडीयू और अन्य विपक्षी दल भी जातीय जनगणना की मांग कर रहे हैं. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी पीएम मोदी को जातीय जनगणना कराने के लिए पत्र लिखा है.हालांकि बिहार में जेडीयू की सहयोगी बीजेपी जातीय जनगणना के पक्ष में नहीं दिख रही है. पार्टी का मानना है कि जातीय जनगणना की बजाय आर्थिक जनगणना होनी चाहिए.

आपको बता दें केंद्र सरकार ने कुछ समय पहले कहा था कि 2021 के जनगणना में अनुसूचित जाति एवं जनजाति की गणना होगी. सरकार हर वर्ग के लोगों ख्याल रख रही है. बीजेपी का तर्क है कि जातीय जनगणना से समाज में तनाव हो सकता है. दूसरी तरफ जानकारों का तर्क यह है कि जातीय जनगणना अगर होती है और उसमें जिसकी संख्या कम होगी, वह जनसंख्या बढ़ाने में लग जाएंगे. जिसके चलते जनसंख्या नियंत्रण नहीं हो पाएगी. जिनकी संख्या ज्यादा होगी वह नए सिरे से आरक्षण की मांग करेंगे. एक तर्क यह भी है कि बीजेपी की सियासत हिंदुत्व पर टिकी है. जातीय जनगणना होगी तो हिंदू जातियां जाति के आधार पर बंट सकती है, जिससे बीजेपी को नुकसान हो जाएगा.

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