पटना: एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (ADR ) के बिहार विधानसभा चुनाव 2020 से संबंधित विश्लेषण में खुलासा हुआ है कि 128 दिनों बाद भी राष्ट्रीय जनता दल, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया और लोक जनशक्ति पार्टी समेत नौ दलों ने चुनाव खर्च का ब्यौरा चुनाव आयोग को अबतक नहीं दिया है. यही नहीं, जनता दल यूनाइटेड, कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी ने भी चुनाव आयोग के द्वारा तय समय सीमा के बाद यानि काफी देरी से चुनाव आयोग को चुनावी खर्च का ब्यौरा दिया. एडीआर ने सभी ऐसे राजनीतिक दलों पर कार्रवाई की मांग की है. जिन्होंने निर्धारित प्रारूप और निर्धारित समय में चुनाव खर्च का विवरण चुनाव आयोग को नहीं दिया है.
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भाजपा समेत कई दलों ने देरी से दिया खर्च का ब्यौरा
दरअसल, सभी राजनीतिक दल चुनाव में बताया था कि चुनाव समाप्ति की स्थिति के बीच प्राप्त धन की पूरी जानकारी चुनाव आयोग को सौंपते हैं. एडीआर के विश्लेषण में यह बात सामने आई है कि बिहार विधानसभा चुनाव में चुनाव खर्च का पूरा विवरण जदयू ने तय समय सीमा से 21 दिनों की देरी से, कांग्रेस ने 43 दिनों की देरी से और भारतीय जनता पार्टी ने 48 दिनों की देर से चुनाव आयोग को सौंपा.
चुनाव के 128 दिनों बाद नहीं सौंपा ब्यौरा
वहीं, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, लोक जनशक्ति पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, राष्ट्रीय लोक दल, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी, जनता दल सेकुलर, झारखंड मुक्ति मोर्चा और नेशनल पीपुल्स पार्टी ने चुनाव खत्म होने के 128 दिन बाद तक भी चुनाव खर्च का ब्यौरा चुनाव आयोग को नहीं दिया है. यहां यह बात गौर करने लायक है कि राजनीतिक दलों को अपने चुनाव खर्च का विवरण विधानसभा चुनाव की अंतिम तिथि से 75 दिन के भीतर चुनाव आयोग में जमा करना होता है. इस विवरण में चुनाव के दौरान प्राप्त कुल राशि और दलों का खर्च होता है.
राजद का खर्च ब्यौरा सौंपने का दावा
इस बारे में ईटीवी भारत ने राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता चितरंजन गगन से बात की. चितरंजन गगन का दावा है कि राजद की ओर से चुनाव खर्च का ब्यौरा जमा किया जा चुका है. 'चुनाव आयोग का पत्र मिलने के बाद राजद ने चुनाव खर्च का ब्यौरा सौंप दिया था.' :- चितरंजन गगन, राजद नेता
जिन्होंने ब्यौरा दिये उनके आंकड़े वेबसाइट पर उपलब्ध
जिन नौ दलों ने चुनाव खर्च का विवरण चुनाव आयोग को दिया है. उनके आंकड़े चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं. इन आंकड़ों के मुताबिक भाजपा, कांग्रेस, जदयू और शिवसेना समेत नौ दलों ने कुल ₹185.14 करोड़ रुपए एकत्र किए, जबकि इनका कुल खर्च ₹81.86 करोड़ रहा. विधानसभा चुनाव 2020 के दौरान बीजेपी ने ₹35.83 करोड़ रुपए की आय घोषित की है. वहीं जेडीयू ने ₹55.607 करोड़ बहुजन समाज पार्टी ने ₹44.581 करोड़ और कांग्रेस ने ₹44.536 करोड़ रुपए की राशि की घोषणा की है.
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मीडिया विज्ञापन पर सबसे ज्यादा खर्च
विधानसभा चुनाव 2020 के दौरान इन राजनीतिक दलों ने अपने उम्मीदवारों पर ₹46.59 करोड़, यात्रा पर ₹37.32 करोड़, प्रचार पर ₹36.73 करोड़ और अन्य खर्च पर ₹5.50 करोड़ रुपए खर्च किए. इसके अलावा विभिन्न दलों ने अपने उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि को प्रकाशित करने पर ₹3.899 करोड रुपए खर्च किए. राजनीतिक दलों ने जो खर्च का ब्यौरा दिया है, जिसमें सबसे ज्यादा खर्च मीडिया विज्ञापन पर ₹26.548 करोड़ रुपए दिखाया गया है. इसके बाद पार्टियों ने सार्वजनिक बैठक पर ₹6.149 करोड़ और प्रचार सामग्री पर ₹4.033 करोड़ रुपए का खर्च दिखाया है.
एडीआर की ने कार्रवाई सिफारिश
एडीआर ने सिफारिश की है कि जिन दलों ने चुनाव आयोग को खर्च का ब्यौरा देर से सौंपा है. उन पर कार्रवाई होनी चाहिए क्योंकि यह 4 अप्रैल 1996 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का उल्लंघन है. उन सभी दान दाताओं की जानकारी और योगदान का ब्यौरा सार्वजनिक होना चाहिए. जिन्होंने चुनाव अभियान के दौरान राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों को दान राशि दी हो. जिस तरह से उम्मीदवारों के खर्च की निगरानी के लिए चुनाव आयोग के चुनाव समीक्षक होते हैं. उसी तरह राजनीतिक दलों के खर्च की निगरानी के लिए भी समीक्षक होने चाहिए.