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बोचहां में जीत के बाद बढ़ेगा तेजस्वी का कद, एमएलसी चुनाव की तरह नई लकीर खींच सकेंगे नेता प्रतिपक्ष

आरजेडी को उम्मीद है कि बोचहां विधानसभा सीट में जीत पक्की है. एटूजेड समीकरण को साध कर तेजस्वी यादव ने नई लकीर खींचने की कोशिश की है. वहीं पार्टी के कार्यकर्ता व नेता का दावा है कि तेजस्वी यादव का राजनैतिक कद और बड़ा हुआ है. पढ़ें रिपोर्ट..

तेजस्वी यादव
तेजस्वी यादव
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Published : Apr 13, 2022, 9:55 PM IST

पटना: बिहार में हाल ही में संपन्न हुए एमएलसी चुनाव में जिस प्रकार से आरजेडी के प्रत्याशियों को जीत मिली है, उससे पार्टी के अंदर खुशी है. पार्टी को यह उम्मीद है कि नेता प्रतिपक्ष के रूप में तेजस्वी गाहे बगाहे सरकार पर जो प्रहार करते रहते हैं, उससे उनकी राजनैतिक पहचान और मजबूत हो रही है. अब पार्टी को यह उम्मीद है कि बोचहां में राजद प्रत्याशी की जीत (RJD claims victory in Bochaha) होगी, जिससे तेजस्वी यादव का राजनैतिक कद और बड़ा हो जाएगा.

ये भी पढ़ें: Bochahan assembly By Election: मतदान के बाद अब जीत को लेकर दावों का दौर शुरू

नयी लकीर खीचने की तैयारीः दरअसल एमएलसी चुनाव में तेजस्वी यादव ने एटूजेड समीकरण के अनुसार टिकट का वितरण किया. पार्टी के उम्मीद के अनुरूप सफलता भी मिली. जाहिर है कि राजद पर अभी तक एमवाई समीकरण को भुना कर ही सत्ता हासिल करने के राजनैतिक आरोप लगते रहे हैं. ऐसे में सवर्ण जाति के एमएलसी का राजद के टिकट पर चुना जाना नयी रवानी लेकर आया है. खुद पार्टी भी यह मानती है कि तेजस्वी यादव ने एटूजेड यानि हर किसी के लिए राजद की जो रूपरेखा तैयार की थी, उसमें सफलता मिल सकती है.

एटूजेड समीकरण को मिलेगी मजबूतीः बोचहां विधानसभा सीट में चुनाव (Bochaha assembly by election) से पार्टी की उम्मीद के लगने के और भी कई कारण हैं. बोचहां राजद के कद्दावर नेताओं में शुमार होने वाले रमई राम की परंपरागत सीट रही है. यहां पर हालात चाहे जैसे भी रहे हों लेकिन जीत रमई राम की होती रहती थी. यहां पर तेजस्वी यादव ने रमई राम की बेटी को टिकट न देकर नये प्रत्याशी को मैदान में उतार कर बड़ा संदेश दिया है. राजनैतिक जानकारों की मानें तो तेजस्वी की मंशा यह है कि अगर लीक से हटकर प्रत्याशी के चुनाव करने और राजद के टिकट पर उसकी जीत हासिल हो जाती है तो एटूजेड समीकरण को और मजबूती मिलेगी. पार्टी आने वाले चुनाव में और जोश से चुनावी मैदान में उतर सकती है.

बीजेपी के साथ होगी नेक टू नेक फाइटः दूसरी बात यह कि अगर इस उपचुनाव में राजद को जीत मिलती है तो वह बीजेपी के साथ नेक टू नेक फाइट करने की मुद्रा में आ जाएगी. ज्ञात हो कि विधानसभा में बीजेपी की अभी 77 सीटें हैं. वहीं राजद की 75 सीटें हैं. इस उपचुनाव में अगर राजद को सफलता मिलती है तो उसकी सीट में इजाफा होगा और वह 76 हो जाएगी तो बीजेपी से महज एक सीट कम है. इस उपचुनाव में राजद को यह पूरा यकीन है कि मुसाफिर पासवान के निधन से अमर पासवान को क्षेत्र की जनता की सहानुभूति वाला वोट जरूर मिल सकता है. हालांकि इसके अलावा पार्टी ने महंगाई, बेरोजगारी व अन्य दूसरे मसले को भी प्रमुखता से उठाया है. खुद राजद प्रवक्ता एजाज अहमद भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि इस सीट पर अगर राजद को जीत मिलती है तो इससे तेजस्वी की स्वीकार्यता को और बल मिलेगी.

जदयू ने कसा तंजः वहीं दूसरी ओर सता पक्ष के जदयू का कहना है कि कम से कम राजद इस बात को तो अब मान रहा है कि वह अब जाकर सर्वसमाज की पार्टी बनने की कोशिश कर रहा है. राजद पर प्रहार करते हुए जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा कहते हैं कि ये तो माना कि पहले ये लोग एटूजेड के नहीं थे. पहले खास समाज के ठेकेदार बनते थे. अब सवर्ण समाज के हितैषी होने की बात कर रहे हैं. उन्होंने सवाल उठाया कि राजद सही में एटूजेड की पार्टी है तो सवर्ण आरक्षण का विरोध, ईडब्ल्यूएस का विरोध राजद ने क्यों किया. वे कहते हैं, राजद चाहे जितना झांसा दे, सवर्ण समाज साथ नहीं आएगा. बहरहाल, बोचहां उपचुनाव के चाहे जो भी परिणाम आएं लेकिन इतना तो तय है कि राजद पूरी तरीके से अपने राजनैतिक समीकरण में बदलाव लाने की तैयारी में है. अगर बोचहां उपचुनाव में राजद को सफलता मिलती है तो तेजस्वी कामयाबी की एक लकीर को खींचने में कामयाब तो हो ही जाएंगे.

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पटना: बिहार में हाल ही में संपन्न हुए एमएलसी चुनाव में जिस प्रकार से आरजेडी के प्रत्याशियों को जीत मिली है, उससे पार्टी के अंदर खुशी है. पार्टी को यह उम्मीद है कि नेता प्रतिपक्ष के रूप में तेजस्वी गाहे बगाहे सरकार पर जो प्रहार करते रहते हैं, उससे उनकी राजनैतिक पहचान और मजबूत हो रही है. अब पार्टी को यह उम्मीद है कि बोचहां में राजद प्रत्याशी की जीत (RJD claims victory in Bochaha) होगी, जिससे तेजस्वी यादव का राजनैतिक कद और बड़ा हो जाएगा.

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नयी लकीर खीचने की तैयारीः दरअसल एमएलसी चुनाव में तेजस्वी यादव ने एटूजेड समीकरण के अनुसार टिकट का वितरण किया. पार्टी के उम्मीद के अनुरूप सफलता भी मिली. जाहिर है कि राजद पर अभी तक एमवाई समीकरण को भुना कर ही सत्ता हासिल करने के राजनैतिक आरोप लगते रहे हैं. ऐसे में सवर्ण जाति के एमएलसी का राजद के टिकट पर चुना जाना नयी रवानी लेकर आया है. खुद पार्टी भी यह मानती है कि तेजस्वी यादव ने एटूजेड यानि हर किसी के लिए राजद की जो रूपरेखा तैयार की थी, उसमें सफलता मिल सकती है.

एटूजेड समीकरण को मिलेगी मजबूतीः बोचहां विधानसभा सीट में चुनाव (Bochaha assembly by election) से पार्टी की उम्मीद के लगने के और भी कई कारण हैं. बोचहां राजद के कद्दावर नेताओं में शुमार होने वाले रमई राम की परंपरागत सीट रही है. यहां पर हालात चाहे जैसे भी रहे हों लेकिन जीत रमई राम की होती रहती थी. यहां पर तेजस्वी यादव ने रमई राम की बेटी को टिकट न देकर नये प्रत्याशी को मैदान में उतार कर बड़ा संदेश दिया है. राजनैतिक जानकारों की मानें तो तेजस्वी की मंशा यह है कि अगर लीक से हटकर प्रत्याशी के चुनाव करने और राजद के टिकट पर उसकी जीत हासिल हो जाती है तो एटूजेड समीकरण को और मजबूती मिलेगी. पार्टी आने वाले चुनाव में और जोश से चुनावी मैदान में उतर सकती है.

बीजेपी के साथ होगी नेक टू नेक फाइटः दूसरी बात यह कि अगर इस उपचुनाव में राजद को जीत मिलती है तो वह बीजेपी के साथ नेक टू नेक फाइट करने की मुद्रा में आ जाएगी. ज्ञात हो कि विधानसभा में बीजेपी की अभी 77 सीटें हैं. वहीं राजद की 75 सीटें हैं. इस उपचुनाव में अगर राजद को सफलता मिलती है तो उसकी सीट में इजाफा होगा और वह 76 हो जाएगी तो बीजेपी से महज एक सीट कम है. इस उपचुनाव में राजद को यह पूरा यकीन है कि मुसाफिर पासवान के निधन से अमर पासवान को क्षेत्र की जनता की सहानुभूति वाला वोट जरूर मिल सकता है. हालांकि इसके अलावा पार्टी ने महंगाई, बेरोजगारी व अन्य दूसरे मसले को भी प्रमुखता से उठाया है. खुद राजद प्रवक्ता एजाज अहमद भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि इस सीट पर अगर राजद को जीत मिलती है तो इससे तेजस्वी की स्वीकार्यता को और बल मिलेगी.

जदयू ने कसा तंजः वहीं दूसरी ओर सता पक्ष के जदयू का कहना है कि कम से कम राजद इस बात को तो अब मान रहा है कि वह अब जाकर सर्वसमाज की पार्टी बनने की कोशिश कर रहा है. राजद पर प्रहार करते हुए जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा कहते हैं कि ये तो माना कि पहले ये लोग एटूजेड के नहीं थे. पहले खास समाज के ठेकेदार बनते थे. अब सवर्ण समाज के हितैषी होने की बात कर रहे हैं. उन्होंने सवाल उठाया कि राजद सही में एटूजेड की पार्टी है तो सवर्ण आरक्षण का विरोध, ईडब्ल्यूएस का विरोध राजद ने क्यों किया. वे कहते हैं, राजद चाहे जितना झांसा दे, सवर्ण समाज साथ नहीं आएगा. बहरहाल, बोचहां उपचुनाव के चाहे जो भी परिणाम आएं लेकिन इतना तो तय है कि राजद पूरी तरीके से अपने राजनैतिक समीकरण में बदलाव लाने की तैयारी में है. अगर बोचहां उपचुनाव में राजद को सफलता मिलती है तो तेजस्वी कामयाबी की एक लकीर को खींचने में कामयाब तो हो ही जाएंगे.

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