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'राजनीति में आने से पहले पीके को अपनी आइडियोलॉजी बतानी पड़ेगी, सिद्धांत विहीन होकर वो आगे नहीं बढ़ पाएंगे'

बिहार की राजनीति में अपने सक्रिय होने के एलान के बाद प्रशांत किशोर आज पहली बार मीडिया के सामने आए. इस दौरान उन्होंने साफ कर दिया कि अभी वो कोई पार्टी बनाने नहीं जा रहे. लेकिन बिहार की राजनीतिक पार्टियां उनकी इस नई पारी पर बड़े सवाल खड़े कर रही हैं, जहां राजद का कहना है कि वो पीके को नोटिस ही नहीं करते. वहीं, कांग्रस उन्हें सिद्धांत विहीन बता रही है.

प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर
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Published : May 5, 2022, 3:05 PM IST

पटनाः बिहार की राजनीति में प्रशांत किशोर (Prashant Kishor in Bihar politics) की एंट्री को सभी राजनीतिक दल अपने-अपने नजरीये से देख रहे हैं. राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने साफ-साफ कहा कि हम प्रशांत किशोर के बातों को नोटिस ही नहीं करते. वहीं, कांग्रेस के विधान पार्षद प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा कि प्रशांत किशोर का कोई राजनीतिक सिद्धांत नहीं है, वो कई राजनीतिक पार्टियों के साथ काम कर चुके हैं, इसलिए पहले उन्हें खुद की विचारधारा को विकसित करना पड़ेगा.

ये भी पढ़ें- नीतीश के साथ सियासी संबंधों के सवाल पर मुस्कुराए PK- 'सारे कयास गलत, साथ काम करना और सहमति दोनों अलग विषय'

'राज्य की जनता ने तेजस्वी मॉडल को स्वीकार किया है. तेजस्वी यादव ने जिस तरह से बढ़ती महंगाई और राज्य में बेरोजगारी को लेकर आवाज उठाई है. जनता तेजस्वी यादव के साथ है. जनता सीधे-सीधे तेजस्वी यादव के मॉडल पर विश्वास कर रही है और चाहती है कि वो आगे आएं. जनता का पूरा समर्थन तेजस्वी यादव को मिल रहा है. इसीलिए कोई भी लोग किसी भी तरह का राजनीतिक पार्टी बना लें, कोई बात कर लें बिहार में कोई फर्क नहीं पड़ता. पूरे देश से थक कर पीके अब बिहार आये हैं, अब यहां कुछ होने वाला है'- मृत्युंजय तिवारी, प्रवक्ता , आरजेडी


ये भी पढ़ें- pk का जन सुराज 'प्लान': अभी पार्टी का ऐलान नहीं, बिहार में करूंगा 3 हजार KM की पदयात्रा

''सबको राजनीति करने का हक है. प्रशांत किशोर बिहार आए हैं, राजनीति करेंगे हम उनका स्वागत कर रहे हैं. लेकिन प्रशांत किशोर विभिन्न राज्यों में विभिन्न राजनीतिक दल का प्रचार प्रसार कर चुके हैं. सबकी विचारधारा को उन्होंने आगे बढ़ाया है. उनका अपना क्या सिद्धांत है यह साफ नहीं है. पहले वो अपने सिद्धांतों की घोषणा करें, ऐसे सिद्धांत विहीन होकर अगर वह कह रहे हैं कि बिहार को आगे बढ़ाएंगे. 10 साल बिहार में राजनीति करेंगे तो हमको नहीं लगता है कि वह बिहार में सफल हो पाएंगे.''- प्रेमचंद्र मिश्रा, विधान पार्षद, कांग्रेस

'अभी नई पार्टी नहीं बनाएंगे': वहीं, पॉलिटिकल स्ट्रेटजिस्ट प्रशांत किशोर ने गुरुवार को पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर साफ कर दिया कि वो नई पार्टी नहीं बनाएंगे. हालांकि उन्होंने ये जरूर कहा कि बिहार की दशा और दिशा बदलने की जरूरत है. आने वाले 10-15 साल में बिहार को अग्रणी श्रेणी में आना है, लेकिन जिन रास्तों पर बिहार अभी चल रहा है उससे ये संभव नहीं हो सकता हैं. बिहार आज 30 साल के लालू और नीतीश के राज के बाद भी देश का सबसे पिछड़ा और गरीब राज्य है. विकास के कई मानकों पर बिहार आज भी देश के सबसे निचले पायदान पर है. बिहार अगर आने वाले समय में अग्रणी राज्यों की सूची में आना चाहता है तो इसके लिए नई सोच और नए प्रयास की जरूरत है.

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पटनाः बिहार की राजनीति में प्रशांत किशोर (Prashant Kishor in Bihar politics) की एंट्री को सभी राजनीतिक दल अपने-अपने नजरीये से देख रहे हैं. राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने साफ-साफ कहा कि हम प्रशांत किशोर के बातों को नोटिस ही नहीं करते. वहीं, कांग्रेस के विधान पार्षद प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा कि प्रशांत किशोर का कोई राजनीतिक सिद्धांत नहीं है, वो कई राजनीतिक पार्टियों के साथ काम कर चुके हैं, इसलिए पहले उन्हें खुद की विचारधारा को विकसित करना पड़ेगा.

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''सबको राजनीति करने का हक है. प्रशांत किशोर बिहार आए हैं, राजनीति करेंगे हम उनका स्वागत कर रहे हैं. लेकिन प्रशांत किशोर विभिन्न राज्यों में विभिन्न राजनीतिक दल का प्रचार प्रसार कर चुके हैं. सबकी विचारधारा को उन्होंने आगे बढ़ाया है. उनका अपना क्या सिद्धांत है यह साफ नहीं है. पहले वो अपने सिद्धांतों की घोषणा करें, ऐसे सिद्धांत विहीन होकर अगर वह कह रहे हैं कि बिहार को आगे बढ़ाएंगे. 10 साल बिहार में राजनीति करेंगे तो हमको नहीं लगता है कि वह बिहार में सफल हो पाएंगे.''- प्रेमचंद्र मिश्रा, विधान पार्षद, कांग्रेस

'अभी नई पार्टी नहीं बनाएंगे': वहीं, पॉलिटिकल स्ट्रेटजिस्ट प्रशांत किशोर ने गुरुवार को पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर साफ कर दिया कि वो नई पार्टी नहीं बनाएंगे. हालांकि उन्होंने ये जरूर कहा कि बिहार की दशा और दिशा बदलने की जरूरत है. आने वाले 10-15 साल में बिहार को अग्रणी श्रेणी में आना है, लेकिन जिन रास्तों पर बिहार अभी चल रहा है उससे ये संभव नहीं हो सकता हैं. बिहार आज 30 साल के लालू और नीतीश के राज के बाद भी देश का सबसे पिछड़ा और गरीब राज्य है. विकास के कई मानकों पर बिहार आज भी देश के सबसे निचले पायदान पर है. बिहार अगर आने वाले समय में अग्रणी राज्यों की सूची में आना चाहता है तो इसके लिए नई सोच और नए प्रयास की जरूरत है.

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