पटना: कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) की कांग्रेस (Congress) में एंट्री के बाद से ही महागठबंधन (Mahagathbandhan) में महाबखेड़ा शुरू हो गया है. विधानसभा उपचुनाव (By-Election) में उम्मीदवारी को लेकर कांग्रेस और राजद (RJD) का रुख अड़ियल है. राजद के एकतरफा ऐलान के बाद कांग्रेस नेतृत्व सकते में है. कांग्रेस की ओर से भी जवाबी कार्रवाई की तैयारी चल रही है.
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बिहार उपचुनाव से ठीक पहले महागठबंधन में तकरार देखी जा रही है. राजद और कांग्रेस के बीच आर-पार की लड़ाई लड़ी जा रही है और ऐसा कम्युनिस्ट पोस्टर-बॉय कन्हैया कुमार के कांग्रेस में शामिल होने के बाद हुआ है. उपचुनाव की 2 सीटों के लिए राष्ट्रीय जनता दल (Rashtriya Janata Dal) ने बगैर कांग्रेस की सहमति के उम्मीदवार खड़े कर दिए हैं. राजद के एकतरफा ऐलान के बाद कांग्रेस नेताओं में बेचैनी है, लेकिन राजद के तेवर के आगे कांग्रेसी भी झुकने के लिए तैयार नहीं है.
''काफी मंथन के बाद यह नतीजा निकला है कि राजद के कैंडिडेट अगर होंगे तो जीत की संभावना ज्यादा होगी. इसलिए पार्टी में दोनों सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए हैं. कांग्रेस को भी एनडीए के खिलाफ मुहिम में सहयोग करना चाहिए.''- रामानुज यादव, राजद प्रवक्ता
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आपको बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में कुशेश्वरस्थान विधानसभा सीट कांग्रेस के खाते में थी, लेकिन इस बार राजद ने वहां से भी उम्मीदवार खड़ा कर दिया है. राजद के रुख से कांग्रेस नेता नाराज है. कांग्रेसी नेताओं का आरोप है कि राजद ने गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया है. राजद की तरह कांग्रेस भी दोनों सीटों पर उम्मीदवार देने की तैयारी में है.
''जिस सीट पर हम पिछले चुनाव में लड़े थे उस पर उम्मीदवार देना ठीक नहीं है. राजद को उम्मीदवार वापस लेना चाहिए, नहीं तो हम दोनों सीटों पर उम्मीदवार खड़े करने के लिए तैयार हैं. कन्हैया कुमार सरीखे और कई नेता कांग्रेस के साथ आएंगे इससे महागठबंधन मजबूत होगा.''- अजीत शर्मा, कांग्रेस विधायक दल के नेता
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''दोनों दलों के बीच नौटंकी चल रही है, ये हमेशा चलती रहती है, चार दिन के बाद इन दोनों पार्टियों में समझौता भी हो जाएगा. कांग्रेस की कहां क्षमता है कि अकेले लड़ेगी. आरजेडी की बैसाखी पर कांग्रेस खड़ी है.''- ललन पासवान, जदयू नेता और पूर्व विधायक
''कहीं ना कहीं कन्हैया कुमार के एंट्री से तेजस्वी के मन में नाराजगी थी. नाराजगी के ही चलते शायद दोनों सीटों पर राजद में उम्मीदवार खड़े किए हैं. इस चुनाव में दोनों युवा नेताओं के बीच एक तरीके का शक्ति प्रदर्शन भी देखने को मिल सकता है.''- डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक
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दरअसल, कन्हैया कुमार की कांग्रेस में इंट्री के बाद से ही महागठबंधन में दरार देखी जा रही है. तेजस्वी यादव नहीं चाहते थे कि कन्हैया कुमार के इंट्री कांग्रेस में हो. लोकसभा चुनाव के दौरान भी कन्हैया कुमार के चलते राजद और सीपीआई में गठबंधन नहीं हो सका था. बेगूसराय से राजद ने उम्मीदवार खड़ा किया था, कांग्रेस नेता ने कन्हैया कुमार को लेकर राजद के शीर्ष नेताओं से सहमति नहीं ली थी, इसके चलते दोनों दलों के बीच दूरियां बढ़ गई.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि लोकसभा चुनाव में बेगूसराय सीट से गिरिराज सिंह की बड़ी जीत में कहीं ना कहीं आरजेडी सुप्रीमो का भी हाथ था. बेगूसराय से कन्हैया कुमार की जीत होती तो तेजस्वी यादव का राजनीतिक भविष्य खतरे में पड़ सकता था, इसलिए राजद ने अपने उम्मीदवार तनवीर हसन को चुनाव में उतारकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया था.