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पटना: PMCH में शोध कार्य हो चुका है बंद, छात्र करते हैं सीधा प्रशिक्षण और इलाज - एमबीबीएस

पीएमसीएच में रिसर्च काउंसिल ही नहीं है तो छात्र शोध नहीं कर पा रहे है. छात्र सीधे प्रशिक्षण और इलाज करते हैं. वहीं खुलासा होने के बाद कॉलेज द्वारा दी जा रही डिग्री संदेह के घेरे में आ गई है.

पीएमसीएच , पटना
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Published : May 5, 2019, 4:09 PM IST

पटना: सूबे के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में शोध कार्य बंद हो गया है. कॉलेज में पिछले एक दशक से रिसर्च काउंसिल का गठन नहीं हुआ है. यहां कोई भी शोध कार्य नहीं किया जा रहा है. वहीं, पीएमसीएच में छात्रों मुख्य कार्य प्रशिक्षण, मेडिकल रिसर्च और मरीजों का इलाज करना है, लेकिन यहां फिलहाल छात्रों को प्रशिक्षण एवं इलाज करने के लिए ही मिलता है.

PMCH में रिसर्च के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति

राज्य सरकार ने मेडिकल कॉलेज में फिलहाल एमबीबीएस की 150 सीटें कर दी हैं. लगभग 200 पीजी की भी सीटें हैं. छात्रों के लिए शोध अनिवार्य है, उनका प्रकाशन भी जरूरी है. पीएमसीएच से प्रतिवर्ष 200 मेडिकल छात्रों को बिना रिसर्च के डिग्री प्रदान की जा रही है. क्योंकि कॉलेज में रिसर्च काउंसिल ही नहीं है. ऐसे में बड़ा सवाल है कि जब रिसर्च ही नहीं हो रही है तो कॉलेज में छात्रों को पीजी की डिग्री कैसे दी जा रही है. ऐसे में कॉलेज की ओर से दी जा रही डिग्री संदेह के घेरे में आ गई है. जानकार बताते हैं कि रिसर्च के नाम पर पीएमसीएच में खानापूर्ति की जा रही है.

जानकारी देते पीएमसीएच के प्रोफेसर

रिसर्च को लेकर कॉलेज प्रशासन पूरी तरह से है उदासीन

पीएमसीएच में पिछले 20 वर्षों से एक भी ऐसा रिसर्च नहीं किया गया जिसके बारे में देश या प्रदेश में प्रसिद्धि मिली हो. पीएमसीएच के ही पद्म श्री डॉ. सीपी ठाकुर ने कालाजार पर रिसर्च कर विश्व में नाम कमाया था. लेकिन अभी कॉलेज प्रशासन रिसर्च को लेकर पूरी तरह उदासीन है. पीएमसीएच के कई विभागों के विभागाध्यक्ष का कहना है कि किसी भी बीमारी पर रिसर्च करने के लिए काफी धन की जरूरत होती है, लेकिन कॉलेज प्रशासन छात्रों को धन नहीं मुहैया करा पाता है. ऐसे में कॉलेज प्रशासन ही रिसर्च में खानापूर्ति को बढ़ावा दे रहा है.

पटना: सूबे के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में शोध कार्य बंद हो गया है. कॉलेज में पिछले एक दशक से रिसर्च काउंसिल का गठन नहीं हुआ है. यहां कोई भी शोध कार्य नहीं किया जा रहा है. वहीं, पीएमसीएच में छात्रों मुख्य कार्य प्रशिक्षण, मेडिकल रिसर्च और मरीजों का इलाज करना है, लेकिन यहां फिलहाल छात्रों को प्रशिक्षण एवं इलाज करने के लिए ही मिलता है.

PMCH में रिसर्च के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति

राज्य सरकार ने मेडिकल कॉलेज में फिलहाल एमबीबीएस की 150 सीटें कर दी हैं. लगभग 200 पीजी की भी सीटें हैं. छात्रों के लिए शोध अनिवार्य है, उनका प्रकाशन भी जरूरी है. पीएमसीएच से प्रतिवर्ष 200 मेडिकल छात्रों को बिना रिसर्च के डिग्री प्रदान की जा रही है. क्योंकि कॉलेज में रिसर्च काउंसिल ही नहीं है. ऐसे में बड़ा सवाल है कि जब रिसर्च ही नहीं हो रही है तो कॉलेज में छात्रों को पीजी की डिग्री कैसे दी जा रही है. ऐसे में कॉलेज की ओर से दी जा रही डिग्री संदेह के घेरे में आ गई है. जानकार बताते हैं कि रिसर्च के नाम पर पीएमसीएच में खानापूर्ति की जा रही है.

जानकारी देते पीएमसीएच के प्रोफेसर

रिसर्च को लेकर कॉलेज प्रशासन पूरी तरह से है उदासीन

पीएमसीएच में पिछले 20 वर्षों से एक भी ऐसा रिसर्च नहीं किया गया जिसके बारे में देश या प्रदेश में प्रसिद्धि मिली हो. पीएमसीएच के ही पद्म श्री डॉ. सीपी ठाकुर ने कालाजार पर रिसर्च कर विश्व में नाम कमाया था. लेकिन अभी कॉलेज प्रशासन रिसर्च को लेकर पूरी तरह उदासीन है. पीएमसीएच के कई विभागों के विभागाध्यक्ष का कहना है कि किसी भी बीमारी पर रिसर्च करने के लिए काफी धन की जरूरत होती है, लेकिन कॉलेज प्रशासन छात्रों को धन नहीं मुहैया करा पाता है. ऐसे में कॉलेज प्रशासन ही रिसर्च में खानापूर्ति को बढ़ावा दे रहा है.

Intro:पीएमसीएच से रिसर्च हुआ गायब,बस ईलाज ही बना चेहरा
पटना से शशि तुलस्यान कि खास रिपोर्ट


* *कॉलेज में रिसर्च काउंसिल ही नहीं है, तो शोध कैसे हो रहा है? जब रिसर्च नहीं हो रही है तो कॉलेज में छात्रों को पीजी की डिग्री कैसे दी जा रही है? फिलहाल तो कॉलेज द्वारा दी जा रही डिग्री संदेह के घेरे में आ गई है।


Body:सुबे के सबसे बड़े अस्पताल पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में शोध कार्य बंद हो गया है, कॉलेज में पिछले एक दशक से रिसर्च काउंसिल का गठन नहीं हुआ है, यहां कोई भी शोध नहीं किया जा रहा है, पीएमसीएच का मुख्य काम छात्रों को प्रशिक्षण, मेडिकल रिसर्च एवं मरीजों का इलाज करना है, लेकिन यहां फिलहाल छात्र का प्रशिक्षण एवं इलाज ही हो रहा है, राज्य सरकार ने मेडिकल कॉलेज में फिलहाल एमबीबीएस की 150 सीटें कर दी है, लगभग 200 पीजी की भी सीटें हैं। छात्रों के लिए शोध अनिवार्य हैं, उनका प्रकाशन भी जरूरी है, पीएमसीएच से प्रतिवर्ष 200 मेडिकल छात्रों को या तो बिना रिसर्च की डिग्री प्रदान की जा रही है या रिसर्च के नाम पर केवल खानापूर्ति ही की जा रही है, अब सवाल उठता है कि कॉलेज में रिसर्च काउंसिल ही नहीं है तो शोध कैसे हो रहा है? जब रिसर्च नहीं हो रही है तो कॉलेज में छात्रों को पीजी की डिग्री कैसे दी जा रही है? फिलहाल तो कॉलेज द्वारा दी जा रही डीग्री संदेह के घेरे में आ गई है, जानकार बताते हैं कि रिसर्च के नाम पर पीएमसीएच में खाना पूर्ति की जा रही है ।


Conclusion:पूर्व के वर्षों में रिसर्च को लेकर पीएमसीएच के डॉक्टर दुनियाभर में प्रसिद्धि बटोरी है, लेकिन पिछले 20 वर्षों में पीएमसीएच में एक भी ऐसा रिसर्च नहीं किया जिसके बारे में देश या प्रदेश में प्रसिद्धि मिली हो, पीएमसीएच के ही पदम श्री डॉ सीपी ठाकुर ने कालाजार पर रिसर्च कर विश्व में नाम कमाया था, परंतु वर्तमान में रिसर्च को लेकर कॉलेज प्रशासन पूरी तरह से उदासीन है। पीएमसीएच के कई विभागों के विभाग अध्यक्ष का कहना है कि किसी भी बीमारी पर रिसर्च करने के लिए काफी धन की जरूरत है लेकिन कॉलेज प्रशासन छात्रों को धन नहीं मुहैया करा पाता है ऐसे में कॉलेज प्रशासन ही रिसर्च में खानापूर्ति को बढ़ावा देता है



1.बाईट--डॉ सच्चिदानंद सिंह,सचिव,इंडियन मेडिकल एसोसिएशन
सह एसोसिएट प्रोफेसर, पीएमसीएच
2.बाईट-माईक्रोबॉटनी,विभागाध्यक्ष
3.बाईट-पदमश्री डॉ सीपी ठाकुर,(कालाजार पर रिसर्च)
4.बाईट-डॉ राजीव रंजन प्रसाद, अधीक्षक, पीएमसीएच

पी टू सी-शशि तुलस्यान,संवाददाता, ईटीवी
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