पटना: सूबे के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में शोध कार्य बंद हो गया है. कॉलेज में पिछले एक दशक से रिसर्च काउंसिल का गठन नहीं हुआ है. यहां कोई भी शोध कार्य नहीं किया जा रहा है. वहीं, पीएमसीएच में छात्रों मुख्य कार्य प्रशिक्षण, मेडिकल रिसर्च और मरीजों का इलाज करना है, लेकिन यहां फिलहाल छात्रों को प्रशिक्षण एवं इलाज करने के लिए ही मिलता है.
PMCH में रिसर्च के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति
राज्य सरकार ने मेडिकल कॉलेज में फिलहाल एमबीबीएस की 150 सीटें कर दी हैं. लगभग 200 पीजी की भी सीटें हैं. छात्रों के लिए शोध अनिवार्य है, उनका प्रकाशन भी जरूरी है. पीएमसीएच से प्रतिवर्ष 200 मेडिकल छात्रों को बिना रिसर्च के डिग्री प्रदान की जा रही है. क्योंकि कॉलेज में रिसर्च काउंसिल ही नहीं है. ऐसे में बड़ा सवाल है कि जब रिसर्च ही नहीं हो रही है तो कॉलेज में छात्रों को पीजी की डिग्री कैसे दी जा रही है. ऐसे में कॉलेज की ओर से दी जा रही डिग्री संदेह के घेरे में आ गई है. जानकार बताते हैं कि रिसर्च के नाम पर पीएमसीएच में खानापूर्ति की जा रही है.
रिसर्च को लेकर कॉलेज प्रशासन पूरी तरह से है उदासीन
पीएमसीएच में पिछले 20 वर्षों से एक भी ऐसा रिसर्च नहीं किया गया जिसके बारे में देश या प्रदेश में प्रसिद्धि मिली हो. पीएमसीएच के ही पद्म श्री डॉ. सीपी ठाकुर ने कालाजार पर रिसर्च कर विश्व में नाम कमाया था. लेकिन अभी कॉलेज प्रशासन रिसर्च को लेकर पूरी तरह उदासीन है. पीएमसीएच के कई विभागों के विभागाध्यक्ष का कहना है कि किसी भी बीमारी पर रिसर्च करने के लिए काफी धन की जरूरत होती है, लेकिन कॉलेज प्रशासन छात्रों को धन नहीं मुहैया करा पाता है. ऐसे में कॉलेज प्रशासन ही रिसर्च में खानापूर्ति को बढ़ावा दे रहा है.