ETV Bharat / state

पटना पुस्तक मेला: डिजिटल बुक को पाठको ने किया खुब पसंद - लेखक संतोष उपाध्याय

पुस्तक मेला में डिजिटल बुक का भी विशेष डिमांड देखने को मिल रहा है. वहीं, इस मेले में पाठकों ने डिजिटल बुक को खूब पसंद किया. लेखक संतोष उपाध्याय ने बताया कि बारकोड के माध्यम से कम लागत में ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पुस्तक को पहुंचाया जा सकता है.

fair at patna
author img

By

Published : Nov 19, 2019, 2:13 AM IST

Updated : Nov 19, 2019, 5:05 AM IST

पटना: राजधानी के गांधी मैदान में चल रहे पुस्तक मेला में कई प्रकाशकों ने अपने स्टॉल लगा रखा है. जहां पर विभिन्न लेखकों के पुस्तक मौजूद है. वहीं, इस पुस्तक मेला में डिजिटल बुक का भी विशेष डिमांड देखने को मिल रहा है. लेखक संतोष उपाध्याय ने पुस्तक मेला में अपनी डिजिटल बुक के साथ मौजूद रहे, जिसे पाठकों ने खूब पसंद किया.

एंड्राइड फोन यूजर फ्री में फढ़ सकते है बुक
इस पुस्तक मेला में लेखक संतोष उपाध्याय 'सलाखों के पीछे बचपन' पुस्तक का एक कार्ड लेकर घूम रहे है. जिसके पीछे बारकोड है और उस बारकोड को अमेजन पर स्कैन करने के बाद निशुल्क कोई भी एंड्राइड फोन यूजर पुस्तक को पढ़ सकते है.

पटना पुस्तक मेला में डिजिटल बुक का क्रेज

बारकोड के माध्यम से पढ़ सकते है पुस्तक
संतोष उपाध्याय ने बताया कि एक एक्सपोर्ट से उनकी बात हुई कि कैसे कम लागत में ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पुस्तक को पहुंचाया जा सके, जिसके बाद कार्ड पर बारकोड के रूप में इसे तैयार किया गया. उन्होंने कहा कि अपनी जेब में एक बार में 100 से ज्यादा पुस्तके भी रख सकते हैं और अपने मित्रों में बांट सकते हैं.

patna
एंड्राइड फोन यूजर फ्री में पढ़ सकते है बुक

आपके लिए रोचक: RJD ने सुशील मोदी को बताया नीतीश का प्रवक्ता, कहा- लालू यादव के नाम पर चला रहे हैं राजनीति

बच्चों पर अधारित है यह पुस्तक
संतोष उपाध्याय ने बताया कि यह पुस्तक उन बच्चों पर है, जो जेल में बंद है और रिमांड होम में रखा गया है. यह उनके दुख-दर्द की कहानी है, कि किस प्रकार वो जीवन जी रहे हैं. जूविनाइल जस्टिस सिस्टम इस देश में किस प्रकार काम कर रहा है. इसके बारे में उन्होंने इस पुस्तक में लिखा है.

पटना: राजधानी के गांधी मैदान में चल रहे पुस्तक मेला में कई प्रकाशकों ने अपने स्टॉल लगा रखा है. जहां पर विभिन्न लेखकों के पुस्तक मौजूद है. वहीं, इस पुस्तक मेला में डिजिटल बुक का भी विशेष डिमांड देखने को मिल रहा है. लेखक संतोष उपाध्याय ने पुस्तक मेला में अपनी डिजिटल बुक के साथ मौजूद रहे, जिसे पाठकों ने खूब पसंद किया.

एंड्राइड फोन यूजर फ्री में फढ़ सकते है बुक
इस पुस्तक मेला में लेखक संतोष उपाध्याय 'सलाखों के पीछे बचपन' पुस्तक का एक कार्ड लेकर घूम रहे है. जिसके पीछे बारकोड है और उस बारकोड को अमेजन पर स्कैन करने के बाद निशुल्क कोई भी एंड्राइड फोन यूजर पुस्तक को पढ़ सकते है.

पटना पुस्तक मेला में डिजिटल बुक का क्रेज

बारकोड के माध्यम से पढ़ सकते है पुस्तक
संतोष उपाध्याय ने बताया कि एक एक्सपोर्ट से उनकी बात हुई कि कैसे कम लागत में ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पुस्तक को पहुंचाया जा सके, जिसके बाद कार्ड पर बारकोड के रूप में इसे तैयार किया गया. उन्होंने कहा कि अपनी जेब में एक बार में 100 से ज्यादा पुस्तके भी रख सकते हैं और अपने मित्रों में बांट सकते हैं.

patna
एंड्राइड फोन यूजर फ्री में पढ़ सकते है बुक

आपके लिए रोचक: RJD ने सुशील मोदी को बताया नीतीश का प्रवक्ता, कहा- लालू यादव के नाम पर चला रहे हैं राजनीति

बच्चों पर अधारित है यह पुस्तक
संतोष उपाध्याय ने बताया कि यह पुस्तक उन बच्चों पर है, जो जेल में बंद है और रिमांड होम में रखा गया है. यह उनके दुख-दर्द की कहानी है, कि किस प्रकार वो जीवन जी रहे हैं. जूविनाइल जस्टिस सिस्टम इस देश में किस प्रकार काम कर रहा है. इसके बारे में उन्होंने इस पुस्तक में लिखा है.

Intro:राजस्थानी पटना के गांधी मैदान में चल रहे पटना पुस्तक मेला में कई प्रकाशकों ने अपने स्टॉल लगाएं जहां पर विभिन्न लेखकों के पुस्तक स्टॉल पर मौजूद रहे. वहीं इस पुस्तक मेला में डिजिटल बुक का भी विशेष डिमांड रहा. लेखक संतोष उपाध्याय ने पटना पुस्तक में अपनी डिजिटल बुक के साथ मौजूद रहे जिसे पाठकों ने खूब पसंद किया. संतोष उपाध्याय की पुस्तक सलाखों के पीछे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है.


Body:पुस्तक मेला में लेखक संतोष उपाध्याय सलाखों के पीछे बचपन पुस्तक का एक कार्ड लेकर घूम रहे हैं जिसके पीछे बारकोड है और उस बारकोड को अमेज़न पर स्कैन करने के बाद निशुल्क कोई भी एंड्राइड फोन यूजर पढ़ सकता है. संतोष उपाध्याय ने बताया कि एक एक्सपोर्ट से उनकी बात हुई कि कैसे कम लागत में ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पुस्तक को पहुंचाया जा सके. जिसके बाद कार्ड पर बारकोड के रूप में इसे तैयार किया गया. उन्होंने कहा कि अपनी जेब में एक बार में 100 से ज्यादा पुस्तके भी रख सकते हैं और अपने मित्रों में बांट सकते हैं.


Conclusion:संतोष उपाध्याय ने बताया कि यह पुस्तक उन बच्चों पर है जो जेल में बंद है और रिमांड होम में हैं. यह उनके दुख दर्द की कहानी है कि किस प्रकार व जीवन जी रहे हैं. जूविनाइल जस्टिस सिस्टम इस देश में किस प्रकार काम कर रहा है इसके बारे में उन्होंने पुस्तक में लिखा है.
Last Updated : Nov 19, 2019, 5:05 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.