पटना: जदयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने मुंबई में शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से क्या मुलाकात की, बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया. कोई इसे नीतीश कुमार के एजेंडे की तरह देखने लगा तो कोई मार्केटिंग की शक्ल देने लगा.
'दो प्लान पर काम कर रहे हैं नीतीश कुमार'
लोगों के मन में कई सवाल उठने लगे हैं. कहीं नीतीश कुमार अपनी फिल्डिंग तो सेट नहीं कर रहे हैं. चुंकी नीतीश कुमार से देश के ज्यादातर नेताओं के अच्छे संबंध हैं. इस लिहाज से वह चाहते हैं कि अगर 'प्लान A' काम नहीं किया तो 'प्लान B' तैयार रखा जाए. मतलब, अगर अभी के एनडीए को लोकसभा में पूर्ण बहुमत नहीं मिले तो नीतीश कुमार खुद अपना चेहरा आगे कर सरकार का गठन कर लें.
'बिना नीतीश की अनुमति के PK की मुलाकात नहीं'
तभी तो राजनीतिक विश्लेषक इस मुलाकात को राजनीतिक आइने से ही देखते हैं. एएन सिन्हा इस्टीट्यूट के पूर्व निदेशक डीएम दिवाकर की मानें तो बिना नीतीश कुमार की अनुमति के प्रशांत किशोर शिवसेना अध्यक्ष से मुलाकात कर ही नहीं सकते हैं. नीतीश कुमार जरूर भविष्य की राजनीति कर रहे हैं. नई संभावनाओं की तलाश कर रहे हैं.
कांग्रेस का शिवसेना पर वार
वैसे राजनेता अपनी राग अलाप रहे हैं. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा कहते हैं, हम तो राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं. यदि छोटी पार्टियों को भी लगता है कि उनके नेता प्रधानमंत्री हो सकते हैं तो हमें क्या आपत्ति हो सकती है. लेकिन शिवसेना का जो रवैया बिहारियों के प्रति रहा है वह ठीक नहीं रहा है.
'PK नीतीश और BJP के मार्केटिंग ऑफिसर हैं'
हालांकि आरजेडी के विधान पार्षद सुबोध राय कहते हैं कि प्रशांत किशोर, नीतीश कुमार और बीजेपी दोनों के मार्केटिंग ऑफिसर हैं. जिस प्रकार से शिवसेना का पिछले दिनों बीजेपी के साथ तल्ख रवैया रहा है तो सब कुछ मैनेज करने के लिए ही प्रशांत किशोर रणनीति के तहत काम कर रहे हैं.