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आखिर क्या है 'चिराग मॉडल' जिसको लेकर बिहार में मचा है सियासी संग्राम

बिहार में Chirag Model को लेकर सियासत शुरू हो गई है. सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. जदयू के नेता आरसीपी सिंह को चिराग मॉडल बता रहे हैं. वहीं, भाजपा भी अब जदयू को इस मुद्दे को लेकर कठघरे में खड़ा किया है. पढ़ें पूरी खबर..

लोजपा रामविलास के नेता चिराग पासवान
लोजपा रामविलास के नेता चिराग पासवान
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Published : Aug 10, 2022, 10:58 PM IST

पटना: बिहार में दो दिनों से चल रहे सियासी ड्रामे के बाद भाजपा और जदयू के बीच तलाक हो गया है. नीतीश कुमार ने महागठबंधन के साथ मिलकर नई सरकार बना ली है. इन सबके बीच चिराग पासवान को लेकर सियासत शुरू हो गई है. जदयू चिराग मॉडल (Chirag Model In Bihar) का मुद्दा उठाकर बीजेपी के नेताओं को घेर रही है. जदयू आरसीपी सिंह की तुलना चिराग पासवान से कर रही है. अब भाजपा भी जदयू को कटघरे में खड़ा किया है.

ये भी पढ़ें-'चिराग मॉडल' : 'मामा कंस की तरह मां देवकी के हर पुत्र को मार देना चाहते हैं नीतीश'

विधानसभा चुनाव में जदयू को हुआ नुकसान: साल 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने कई सीटों पर जदयू को किया नुकसान पहुंचाया था. अब भाजपा और जदयू के बीच गठबंधन टूट चुकी है और नीतीश कुमार एनडीए का हिस्सा नहीं है. गठबंधन टूटने के लिए जो तर्क दिए गए, उसमें यह भी कहा गया कि भाजपा ने चिराग पासवान के जरिए जदयू को कमजोर करने का काम किया. जिसके चलते जदयू कोटे के कई मंत्री चुनाव हार गए.

चिराग ने जदयू उम्मीदवारों के विरुद्ध उतारे अपने प्रत्याशी: आपको बता दें कि, 2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान के नेतृत्व वाली पार्टी लोजपा को सम्मान जनक सीटें नहीं मिली और इसके लिए चिराग पासवान ने नीतीश कुमार को दोषी माना था. नाराज चिराग पासवान ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लिया और जदयू के खिलाफ सभी सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए. जिसका परिणाम यह हुआ है कि जदयू को तकरीबन 39 सीटों का नुकसान हुआ. जदयू को चुनाव के दौरान जिन सीटों पर सबसे ज्यादा नुकसान हुआ, उसमें जहानाबाद, दिनारा, कुर्था, महुआ, मटिहानी, महिषी और महुआ प्रमुख है. कुर्था और सासाराम सीट पर जदयू को लोजपा की वजह से हार की मुंह खानी पड़ी.

कई सीटों पर कम अंतर से हारे जदयू के उम्मीदवार: महुआ विधानसभा सीट पर जदयू को एलजेपी के चलते शिकस्त मिली. एलजीपी उम्मीदवार संजय कुमार सिंह को मिले 12000 वोटों ने जेडीयू को नुकसान पहुंचाया. महिषी विधानसभा सीट पर भी आरजेडी उम्मीदवार जीते. इस सीट पर एलजेपी के प्रत्याशी जेडीयू के लिए हार का कारण बनी. एलजेपी उम्मीदवार ने तकरीबन 7000 वोट काट लिए. बेगूसराय के मटिहानी सीट पर भी जेडीयू को झटका लगा, बेगूसराय सीट से सीपीआई प्रत्याशी की जीत हुई. लोक जनशक्ति पार्टी के उम्मीदवार को 26000 मत हासिल हुए और जेडीयू के उम्मीदवार की 31000 वोटों से हार हुई.

इन सीटों पर जदयू को मिली थी हार: लोजपा की वजह से जदयू को अलौली, अतरी, बाजपट्टी, बड़हरिया, चकाई, चेनारी, दरभंगा ग्रामीण, धोरैया, दिनारा, एकमा, गायघाट, इस्लामपुर, जगदीशपुर, जमालपुर, करहगर, खगड़िया, लौकहा, महाराजगंज, महनार, महुआ, मटिहानी, मीनापुर, मोरवा, नाथनगर, रघुनाथपुर, ओबरा, साहेबपुर कमाल, राजापाकर, समस्तीपुर, शेखपुरा, शेरघाटी, सिंघेश्वर, सूरजगढ़, बनीपुर, मधुबनी, सिमरी बख्तियारपुर, सुगौली, विधानसभा सीट पर जदयू की हार हुई थी.

43 सीटों पर सिमटी जदयू: जनता दल यूनाइटेड 115 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ी थी और महज 43 सीटों पर पार्टी को जीत मिली थी. चिराग पासवान ने जदयू के खिलाफ सभी सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे. चिराग पासवान के कुल 140 उम्मीदवार मैदान में थे. बता दें कि नीतीश कुमार जब महागठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़े थे तो उनकी पार्टी जदयू को 71 सीटों पर जीत मिली थी. चिराग पासवान ने भाजपा के खिलाफ अपने उम्मीदवार नहीं खड़े किए थे. जिससे जदयू के लोगों ने यह माना कि कहीं ना कहीं चिराग पासवान के साथ भाजपा का समर्थन था.

जदयू के कई मंत्रियों को मिली थी हार: लोक जनशक्ति पार्टी के वजह से जदयू के कई मंत्री चुनाव हार गए थे. उद्योग मंत्री जय कुमार सिंह को मुंह की खानी पड़ी थी. उनको हराने में भाजपा से लोजपा में आए राजेंद्र सिंह की भूमिका अहम रही थी. आरजेडी के विजय कुमार मंडल को 50,000 से ज्यादा मतों से जीत हासिल हुई थी और जय कुमार सिंह महज 21 हजार के करीब वोटों के आसपास सिमट गए थे. राजेंद्र सिंह को 46,000 वोट मिले थे. वहीं, बिहार सरकार के तत्कालीन शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन वर्मा भी जहानाबाद से चुनाव हार गए थे. उन्हें 35,242 मत मिले थे. जबकि आरजेडी के सुधा यादव को 63,225 वोट हासिल हुए थे. जबिक, एलजेपी की इंदु देवी कश्यप ने 20,000 वोट हासिल की थी.

नीतीश-चिराग के बीच पुरानी अदावत: चिराग और नीतीश कुमार के बीच पुरानी अदावत थी, जदयू नेता आरसीपी सिंह की तुलना भी चिराग पासवान से कर रहे हैं और कहा जा रहा है कि आरसीपी के सिंह के जरिए जदयू को कमजोर करने की साजिश चल रही थी. पूर्व मंत्री और जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार सिंह ने कहा है कि स्थिति पूरी तरह स्पष्ट है कि किस तरीके से चिराग पासवान को जदयू को कमजोर करने के लिए उपयोग किया गया. इस बाबत चिराग पासवान के चाचा पशुपति पारस ने भी पुष्टि की है. जदयू नेता ने कहा कि हमें जो खत्म करने की कोशिश करेगा वह खुद ही खत्म हो जाएगा.

नेता एक दूसरे पर मढ़ रहे आरोप: लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के प्रवक्ता राजेश भट्ट ने कहा कि नीतीश कुमार के नीतियों से उनका विरोध है. बिहार को उन्होंने रसातल में धकेलने का काम किया है और चिराग पासवान ने संघर्ष का रास्ता चुना है. वहीं, भाजपा प्रवक्ता संजय टाइगर ने कहा है कि नीतीश कुमार और ललन सिंह भाजपा पर अनर्गल आरोप लगा रहे हैं. नरेंद्र मोदी ने खुले तौर पर चिराग पासवान के खिलाफ भाषण दिया और उन्हीं के नाम पर जीत हुई है. नीतीश कुमार को जब ज्यादा सीटें आती है. तब क्रेडिट खुद लेते हैं और जब सीटें कम जाती है तो दोष दूसरे के सर मढ़ते हैं.

चुनाव में चिराग ने किया अपनी राह अलग: वरिष्ठ पत्रकार कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि चिराग पासवान और नीतीश कुमार के बीच अदावत पहले से चली आ रही थी. चुनाव में चिराग पासवान को सम्मान जनक सीटें नहीं मिली नीतीश कुमार की ओर से भी कोई ठोस पहल नहीं हुआ, जिसका नतीजा था कि चिराग पासवान ने जदयू के खिलाफ सभी सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए. नीतीश कुमार ने भी लोजपा के बागी उम्मीदवारों को सामने आने का मौका दिया. जिसकी वजह से उनकी स्थिति खराब हुई.

ये भी पढ़ें- 'नीतीश जी.. इस बार पाला बदलना भी काम नहीं आएगा', CM पर चिराग का तगड़ा हमला

पटना: बिहार में दो दिनों से चल रहे सियासी ड्रामे के बाद भाजपा और जदयू के बीच तलाक हो गया है. नीतीश कुमार ने महागठबंधन के साथ मिलकर नई सरकार बना ली है. इन सबके बीच चिराग पासवान को लेकर सियासत शुरू हो गई है. जदयू चिराग मॉडल (Chirag Model In Bihar) का मुद्दा उठाकर बीजेपी के नेताओं को घेर रही है. जदयू आरसीपी सिंह की तुलना चिराग पासवान से कर रही है. अब भाजपा भी जदयू को कटघरे में खड़ा किया है.

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विधानसभा चुनाव में जदयू को हुआ नुकसान: साल 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने कई सीटों पर जदयू को किया नुकसान पहुंचाया था. अब भाजपा और जदयू के बीच गठबंधन टूट चुकी है और नीतीश कुमार एनडीए का हिस्सा नहीं है. गठबंधन टूटने के लिए जो तर्क दिए गए, उसमें यह भी कहा गया कि भाजपा ने चिराग पासवान के जरिए जदयू को कमजोर करने का काम किया. जिसके चलते जदयू कोटे के कई मंत्री चुनाव हार गए.

चिराग ने जदयू उम्मीदवारों के विरुद्ध उतारे अपने प्रत्याशी: आपको बता दें कि, 2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान के नेतृत्व वाली पार्टी लोजपा को सम्मान जनक सीटें नहीं मिली और इसके लिए चिराग पासवान ने नीतीश कुमार को दोषी माना था. नाराज चिराग पासवान ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लिया और जदयू के खिलाफ सभी सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए. जिसका परिणाम यह हुआ है कि जदयू को तकरीबन 39 सीटों का नुकसान हुआ. जदयू को चुनाव के दौरान जिन सीटों पर सबसे ज्यादा नुकसान हुआ, उसमें जहानाबाद, दिनारा, कुर्था, महुआ, मटिहानी, महिषी और महुआ प्रमुख है. कुर्था और सासाराम सीट पर जदयू को लोजपा की वजह से हार की मुंह खानी पड़ी.

कई सीटों पर कम अंतर से हारे जदयू के उम्मीदवार: महुआ विधानसभा सीट पर जदयू को एलजेपी के चलते शिकस्त मिली. एलजीपी उम्मीदवार संजय कुमार सिंह को मिले 12000 वोटों ने जेडीयू को नुकसान पहुंचाया. महिषी विधानसभा सीट पर भी आरजेडी उम्मीदवार जीते. इस सीट पर एलजेपी के प्रत्याशी जेडीयू के लिए हार का कारण बनी. एलजेपी उम्मीदवार ने तकरीबन 7000 वोट काट लिए. बेगूसराय के मटिहानी सीट पर भी जेडीयू को झटका लगा, बेगूसराय सीट से सीपीआई प्रत्याशी की जीत हुई. लोक जनशक्ति पार्टी के उम्मीदवार को 26000 मत हासिल हुए और जेडीयू के उम्मीदवार की 31000 वोटों से हार हुई.

इन सीटों पर जदयू को मिली थी हार: लोजपा की वजह से जदयू को अलौली, अतरी, बाजपट्टी, बड़हरिया, चकाई, चेनारी, दरभंगा ग्रामीण, धोरैया, दिनारा, एकमा, गायघाट, इस्लामपुर, जगदीशपुर, जमालपुर, करहगर, खगड़िया, लौकहा, महाराजगंज, महनार, महुआ, मटिहानी, मीनापुर, मोरवा, नाथनगर, रघुनाथपुर, ओबरा, साहेबपुर कमाल, राजापाकर, समस्तीपुर, शेखपुरा, शेरघाटी, सिंघेश्वर, सूरजगढ़, बनीपुर, मधुबनी, सिमरी बख्तियारपुर, सुगौली, विधानसभा सीट पर जदयू की हार हुई थी.

43 सीटों पर सिमटी जदयू: जनता दल यूनाइटेड 115 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ी थी और महज 43 सीटों पर पार्टी को जीत मिली थी. चिराग पासवान ने जदयू के खिलाफ सभी सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे. चिराग पासवान के कुल 140 उम्मीदवार मैदान में थे. बता दें कि नीतीश कुमार जब महागठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़े थे तो उनकी पार्टी जदयू को 71 सीटों पर जीत मिली थी. चिराग पासवान ने भाजपा के खिलाफ अपने उम्मीदवार नहीं खड़े किए थे. जिससे जदयू के लोगों ने यह माना कि कहीं ना कहीं चिराग पासवान के साथ भाजपा का समर्थन था.

जदयू के कई मंत्रियों को मिली थी हार: लोक जनशक्ति पार्टी के वजह से जदयू के कई मंत्री चुनाव हार गए थे. उद्योग मंत्री जय कुमार सिंह को मुंह की खानी पड़ी थी. उनको हराने में भाजपा से लोजपा में आए राजेंद्र सिंह की भूमिका अहम रही थी. आरजेडी के विजय कुमार मंडल को 50,000 से ज्यादा मतों से जीत हासिल हुई थी और जय कुमार सिंह महज 21 हजार के करीब वोटों के आसपास सिमट गए थे. राजेंद्र सिंह को 46,000 वोट मिले थे. वहीं, बिहार सरकार के तत्कालीन शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन वर्मा भी जहानाबाद से चुनाव हार गए थे. उन्हें 35,242 मत मिले थे. जबकि आरजेडी के सुधा यादव को 63,225 वोट हासिल हुए थे. जबिक, एलजेपी की इंदु देवी कश्यप ने 20,000 वोट हासिल की थी.

नीतीश-चिराग के बीच पुरानी अदावत: चिराग और नीतीश कुमार के बीच पुरानी अदावत थी, जदयू नेता आरसीपी सिंह की तुलना भी चिराग पासवान से कर रहे हैं और कहा जा रहा है कि आरसीपी के सिंह के जरिए जदयू को कमजोर करने की साजिश चल रही थी. पूर्व मंत्री और जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार सिंह ने कहा है कि स्थिति पूरी तरह स्पष्ट है कि किस तरीके से चिराग पासवान को जदयू को कमजोर करने के लिए उपयोग किया गया. इस बाबत चिराग पासवान के चाचा पशुपति पारस ने भी पुष्टि की है. जदयू नेता ने कहा कि हमें जो खत्म करने की कोशिश करेगा वह खुद ही खत्म हो जाएगा.

नेता एक दूसरे पर मढ़ रहे आरोप: लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के प्रवक्ता राजेश भट्ट ने कहा कि नीतीश कुमार के नीतियों से उनका विरोध है. बिहार को उन्होंने रसातल में धकेलने का काम किया है और चिराग पासवान ने संघर्ष का रास्ता चुना है. वहीं, भाजपा प्रवक्ता संजय टाइगर ने कहा है कि नीतीश कुमार और ललन सिंह भाजपा पर अनर्गल आरोप लगा रहे हैं. नरेंद्र मोदी ने खुले तौर पर चिराग पासवान के खिलाफ भाषण दिया और उन्हीं के नाम पर जीत हुई है. नीतीश कुमार को जब ज्यादा सीटें आती है. तब क्रेडिट खुद लेते हैं और जब सीटें कम जाती है तो दोष दूसरे के सर मढ़ते हैं.

चुनाव में चिराग ने किया अपनी राह अलग: वरिष्ठ पत्रकार कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि चिराग पासवान और नीतीश कुमार के बीच अदावत पहले से चली आ रही थी. चुनाव में चिराग पासवान को सम्मान जनक सीटें नहीं मिली नीतीश कुमार की ओर से भी कोई ठोस पहल नहीं हुआ, जिसका नतीजा था कि चिराग पासवान ने जदयू के खिलाफ सभी सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए. नीतीश कुमार ने भी लोजपा के बागी उम्मीदवारों को सामने आने का मौका दिया. जिसकी वजह से उनकी स्थिति खराब हुई.

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