पटना: सरकार का सबसे अधिक दिखने वाला चेहरा रहे रविशंकर प्रसाद (Ravi Shankar Prasad) को बुधवार को मोदी कैबिनेट (Modi Cabinet Expansion) से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. इसके बाद से अटकलों का बाजार एक बार फिर से गर्म हो गया है. भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद की भूमिका को लेकर संशय की स्थिति है. भूपेंद्र यादव के मंत्रिमंडल में एंट्री के बाद संगठन को धार देने की जरूरत है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि रविशंकर प्रसाद को संगठन में अहम जिम्मेदारी मिल सकती है.
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पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद बिहार भाजपा के कद्दावर नेता हैं. रविशंकर प्रसाद अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में भी मंत्री थे और नरेंद्र मोदी सरकार में भी मंत्री रहे. लेकिन ट्विटर विवाद के चलते रविशंकर प्रसाद को मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा.
'रविशंकर प्रसाद डिक्टेटर नेता थे. जनता और जनप्रतिनिधियों से उनका मेलजोल नहीं था, इसलिए शायद उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ा.'- भाई वीरेंद्र, राजद प्रवक्ता
बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव संगठन में राष्ट्रीय महामंत्री के पद पर थे और उन्हें मंत्रिमंडल में जगह दी गई है. भूपेंद्र यादव जेपी नड्डा टीम के सक्रिय और मजबूत स्तंभ थे. राज्यों में भाजपा को मिल रही हार के बाद संगठन को धार देने की जरूरत है. ऐसे में कुछ वरिष्ठ नेताओं को संगठन के काम में लगाने का फैसला लिया गया है. खासतौर पर उत्तर प्रदेश चुनाव को देखते हुए बिहार के बड़े नेताओं की भूमिका अहम हो जाती है.
'भाजपा बड़ी पार्टी है और पार्टी नेताओं की भूमिका बदलती रहती है. रविशंकर प्रसाद लंबे समय तक केंद्र में मंत्री रहे और अब संभव है कि उन्हें संगठन में बड़ी जिम्मेदारी मिले. हालांकि इस पर अंतिम फैसला केंद्रीय नेतृत्व को लेना है.'- संजय टाइगर, भाजपा प्रवक्ता
रविशंकर प्रसाद से पहले राजीव प्रताप रूडी को भी मंत्री पद छोड़ना पड़ा था. राजीव प्रताप रूडी को अब तक संगठन में बड़ी जिम्मेदारी नहीं मिली है, लेकिन रविशंकर प्रसाद को लेकर पार्टी नेता सकारात्मक हैं. बता दें कि रविशंकर प्रसाद बिहार में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक सदस्य ठाकुर प्रसाद के पुत्र हैं. रविशंकर प्रसाद अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कोयला एवं खान मंत्री थे और पहली बार साल 2000 में सांसद बने.
'केंद्रीय कैबिनेट में कायस्थ समाज से एक भी नेता नहीं है. कायस्थ समाज, रविशंकर प्रसाद को हटाए जाने से दुखी है. मैं चाहूंगा कि प्रधानमंत्री हमारे समाज को भी प्रतिनिधित्व दें.'- राजीव रंजन, बिहार प्रदेश अध्यक्ष, कायस्थ समाज
कायस्थ समाज से एक के बाद एक नेता धीरे-धीरे बीजेपी छोड़ रहे हैं. पहले यशवंत सिन्हा ने भाजपा छोड़ा उसके बाद शत्रुघ्न सिन्हा को भी भाजपा छोड़ना पड़ा. जयंत सिन्हा को भी मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली और फिर रविशंकर प्रसाद को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. इसकी वजह से कायस्थ समाज में आक्रोश देखा जा रहा है.
'रविशंकर प्रसाद बिहार भाजपा के कद्दावर नेता हैं और संभव है कि पार्टी उन्हें संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपे. कई राज्यों में चुनाव होने हैं और चुनाव को देखते हुए संगठन को भी धार देने की जरूरत है.'- डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक
प्रधानमंत्री मोदी शुरू से ही अपने मंत्रियों और सांसदों को सोशल मीडिया के बेहतर इस्तेमाल और इसके जरिए लोगों तक पहुंच बढ़ाने के लिए कहते रहे हैं. माना जा रहा है कि प्रसाद ने ट्विटर विवाद को सही से हैंडल नहीं किया, जिसकी वजह से सरकार और पीएम पर भी सवाल उठे, जो उनकी छुट्टी की एक वजह बना.
केंद्रीय मंत्रिपरिषद से रविशंकर प्रसाद की विदाई के बाद इनके राजनीतिक भविष्य को लेकर कयास लगाए जाने लगे हैं. संभावना है कि इन्हें भारतीय जनता पार्टी (BJP) संगठन में अहम जिम्मेदारी सौंपी जाए. भाजपा में ‘एक व्यक्ति, एक पद’ का सिद्धांत लागू है, इसलिए माना जा रहा है कि सरकार में शामिल किए गए नेताओं की जगह संगठन में नए लोगों को जिम्मेदारी दी जा सकती है. यह संभावना जताई जा रही है कि प्रसाद सहित केंद्रीय मंत्रिपरिषद से बाहर किए गए कुछ और नेताओं को संगठन में अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है.