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धारा 370 पर JDU ने लिया यू टर्न, RCP सिंह बोले- कानून बनने के बाद कर लेना चाहिए स्वीकार - Jammu and Kashmir

आरसीपी सिंह ने अनुच्छेद 370 पर कहा कि कोई भी विवादित मुद्दा पर अपना विचार रख सकता है. लेकिन एक बार कानून बन जाने के बाद उसे सभी को स्वीकार करना चाहिए.

आरसीपी सिंह
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Published : Aug 8, 2019, 2:37 PM IST

पटना: अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर पूरे देश में राजनीति गरमाई हुई है. इस मुद्दे को लेकर जदयू ने अब अपना स्टैंड बदल लिया है. जदयू के राष्ट्रीय महासचिव आरसीपी सिंह ने कहा कि विवादित मुद्दे पर भी कानून बनने के बाद सभी को स्वीकार करना चाहिए.

आरसीपी सिंह ने कहा कि कॉमन मिनिमम प्रोग्राम वहां बनाई जाती है, जहां गठबंधन सरकार हो. अटल सरकार में किसी एक पार्टी के पास पूर्ण बहुमत नहीं था. अभी बीजेपी को पूर्ण बहुमत है. कॉमन मिनिमम प्रोग्राम का भी मुख्य मुद्दा देश का विकास ही होता है.

आरसीपी सिंह का बयान

'सभी को स्वीकार करना चाहिए'
इसके साथ आरसीपी सिंह ने अनुच्छेद 370 पर कहा कि कोई भी विवादित मुद्दे पर अपना विचार रख सकता है. लेकिन एक बार कानून बन जाने के बाद उसे सभी को स्वीकार करना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए.

जेडीयू ने किया था विरोध
बता दें कि नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने अनुच्छेद 370 का पहले विरोध किया था. दोनों सदनों से पार्टी के सांसदों ने वॉकआउट किया था. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा अनुच्छेद 370 को रद्द किए जाने के प्रस्ताव की घोषणा और राज्य को दो हिस्सों में बांटने व जम्मू एवं कश्मीर व लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के लिए प्रस्ताव लाए जाने के बाद वरिष्ठ जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा था कि पार्टी रद्द किए जाने का विरोध करती है.

पटना: अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर पूरे देश में राजनीति गरमाई हुई है. इस मुद्दे को लेकर जदयू ने अब अपना स्टैंड बदल लिया है. जदयू के राष्ट्रीय महासचिव आरसीपी सिंह ने कहा कि विवादित मुद्दे पर भी कानून बनने के बाद सभी को स्वीकार करना चाहिए.

आरसीपी सिंह ने कहा कि कॉमन मिनिमम प्रोग्राम वहां बनाई जाती है, जहां गठबंधन सरकार हो. अटल सरकार में किसी एक पार्टी के पास पूर्ण बहुमत नहीं था. अभी बीजेपी को पूर्ण बहुमत है. कॉमन मिनिमम प्रोग्राम का भी मुख्य मुद्दा देश का विकास ही होता है.

आरसीपी सिंह का बयान

'सभी को स्वीकार करना चाहिए'
इसके साथ आरसीपी सिंह ने अनुच्छेद 370 पर कहा कि कोई भी विवादित मुद्दे पर अपना विचार रख सकता है. लेकिन एक बार कानून बन जाने के बाद उसे सभी को स्वीकार करना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए.

जेडीयू ने किया था विरोध
बता दें कि नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने अनुच्छेद 370 का पहले विरोध किया था. दोनों सदनों से पार्टी के सांसदों ने वॉकआउट किया था. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा अनुच्छेद 370 को रद्द किए जाने के प्रस्ताव की घोषणा और राज्य को दो हिस्सों में बांटने व जम्मू एवं कश्मीर व लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के लिए प्रस्ताव लाए जाने के बाद वरिष्ठ जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा था कि पार्टी रद्द किए जाने का विरोध करती है.

Intro:पटना-- अटल जी के समय एनडीए नेताओं ने केंद्र में सरकार चलाने के लिए कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनाया था । लेकिन नरेंद्र मोदी की सरकार ने कोई कॉमन मिनिमम प्रोग्राम नहीं बनाया है जदयू नेता पहले विवादास्पद मुद्दों को लेकर कहते थे कि सरकार कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत काम कर रही है और उससे विवादास्पद मुद्दों को दूर रखा गया है लेकिन अब खुद जदयू के नेता कह रहे हैं कि कॉमन मिनिमम प्रोग्राम की कोई जरूरत नहीं है। पहले 370 और अब कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर भी जदयू यूटन लेती दिख रही है।



Body:केंद्र में बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिला है इसके बावजूद सहयोगियों के सांकेतिक भागीदारी का प्रस्ताव बीजेपी ने दिया और कई सहयोगी दल केंद्र सरकार में शामिल है लेकिन जदयू शामिल नहीं हुई । हालांकि बिहार में जेडीयू बीजेपी और लोजपा की सरकार चल रही है बावजूद अब जदयू के राष्ट्रीय महासचिव और सांसद आरसीपी सिंह का कहना है कि कॉमन मिनिमम प्रोग्राम की कोई जरूरत नहीं है केंद्र में बीजेपी को पूर्ण बहुमत है और जब सरकार में अल्पमत में होती है तब कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत समर्थन लिया जाता है लेकिन अब स्थिति नहीं है बिहार में भी कॉमन मिनिमम प्रोग्राम की कोई जरूरत नहीं है बिहार में विकास के कार्य हो रहे हैं सरकार में कोई भी दल हो सात निश्चय योजना पर काम हो रहा है ।
बाईट--आर सी पी सिंह, राष्ट्रीय महासचिव जदयू।


Conclusion:आरसीपी सिंह का कहना है कि विवादास्पद मुद्दों पर अपनी राय रख देनी चाहिए और जब एक बार कानून बन जाए तो फिर सबको उसे मानना चाहिए।
लेकिन जदयू के नेता पहले विवादास्पद मुद्दों पर कॉमन मिनिमम प्रोग्राम का हवाला देकर अपना विरोध जताते थे अब कॉमन मिनिमम प्रोग्राम को लेकर भी जदयू ने यू-टर्न ले लिया है।
अविनाश, पटना।
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