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धीरे-धीरे JDU ने हाशिए पर पहुंचायी आरसीपी सिंह की राजनीति, जानिए कैसे

एक जमाने में जदयू में नंबर 2 के नेता माने जाने वाले आरसीपी सिंह को आज उनकी ही पार्टी में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. सीएम नीतीश कुमार हमेशा उन्हें अपना करीबी मानते थे लेकिन केंद्र से नजदीकी ने नीतीश से दूर कर दिया. पार्टी के अंदर जमे उनके सख्त जड़ों को काट दिया गया. जदयू ने धीरे-धीरे करके आरसीपी सिंह की राजनीति को हाशिए पर पहुंचा दिया है. पढ़िए पूरी रिपोर्ट..

RCP Singh JDU Rift
RCP Singh JDU Rift
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Published : Jun 15, 2022, 5:56 PM IST

पटना: जनता दल यूनाइटेड के अंदर आरसीपी सिंह (Union Minister RCP Singh) को संगठन का नेता माना जाता था. उनसे नीतीश की नजदीकी अब दूरी में बदल गई है. एक समय था जब छोटे बड़े हर फैसले के लिए सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) आरसीपी सिंह से विचार-विमर्श करते थे. ऐसे में जो बदलाव हुए हैं उसे देख लोगों को बहुत अचरज है. ये भी कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार के इशारे पर जदयू आरसीपी सिंह की राजनीति को हाशिये (RCP Singh JDU Rift) पर पहुंचाने की रणनीति बनाने में लगी है.

पढ़ें- RCP सिंह पर उपेंद्र कुशवाहा का बड़ा बयान, बोले- कार्यकाल पूरा करने से पहले देना चाहिए मंत्रिमंडल से इस्तीफा

आरसीपी सिंह के खिलाफ JDU की अप्रत्यक्ष कार्रवाई: केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह के समर्थकों पर कार्रवाई की गई है. पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया है. जदयू प्रवक्ता अजय आलोक (JDU spokesperson Ajay Alok), जदयू महासचिव अनिल कुमार (JDU General Secretary Anil Kumar), जदयू महासचिव विपिन कुमार यादव (JDU General Secretary Vipin Kumar Yadav) और समाज सुधार सेनानी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष जितेंद्र नीरज (Social Reform Fighter Cell President Jitendra Neeraj) को पद से मुक्त करते हुए प्राथमिक सदस्यता से भी निलंबित (JDU expelled many leaders) कर दिया गया है. कहा जा रहा है कि 40 से अधिक लोगों की लिस्ट भी पार्टी नेतृत्व ने तैयार की है जिस पर कार्रवाई की तैयारी हो रही है.

केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफे की मांग: जेडीयू नेता व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (RCP Singh politics) अपने कार्यकाल का 1 साल भी पूरा कर सकेंगे या नहीं कल तक इस सवाल का जवाब देने से जनता दल यूनाइटेड के सभी नेता कतराते थे लेकिन अब जदयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने बड़ा बयान (Upendra Kushwaha statement on RCP) देते हुए कहा था कि आरसीपी सिंह को कार्यकाल पूरा करने से पहले ही मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे देना चाहिए (RCP Singh Resignation Issue) . उपेंद्र कुशवाहा के बयान से साफ हो गया है कि शायद आरसीपी सिंह अपने कार्यकाल का 1 साल भी पूरा नहीं कर सकेंगे. राज्यसभा में आरसीपी सिंह का कार्यकाल 7 जुलाई को खत्म हो रहा है. अब भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से ही आरसीपी सिंह को उम्मीदें हैं

नीतीश से बढ़ती दूरी: पिछले डेढ़ दशक से नीतीश कुमार से नजदीकी के कारण आरसीपी सिंह का सिक्का जदयू में बोलता रहा. नीतीश कुमार के बाद दो नंबर कुर्सी के दावेदार माने जाते रहे हैं. जदयू में आरसीपी सिंह का कद इसी से पता चलता था कि बिना उनकी अनुमति के विधानसभा लोकसभा और विधान परिषद के लिए उम्मीदवार बनना संभव नहीं था. पार्टी में ललन सिंह जैसे दिग्गज नेताओं के रहते हुए आरसीपी सिंह केंद्र में मंत्री बन गए. लेकिन केंद्र में मंत्री बनने के बाद से ही आरसीपी सिंह की पार्टी पर पकड़ कमजोर होती गई.

हाशिए पर RCP सिंह की पॉलिटिक्स!: आज स्थिति यहां तक आ गई कि राज्यसभा के लिए उन्हें उम्मीदवार तक नहीं बनाया गया. केंद्र में मंत्री पद भी जाना तय है. जिस बंगले में पिछले 10 सालों से भी अधिक समय से रह रहे थे वह भी हाथ से चला गया और चुन-चुन कर उनके समर्थकों पर कार्रवाई भी होने लगी है. अभी तक आधा दर्जन उनके समर्थकों पर कार्रवाई हो चुकी है जिसमें दो प्रवक्ता सहेली मेहता और अजय आलोक शामिल हैं. उसके अलावा पार्टी मुख्यालय में संगठन का कामकाज देख रहे अनिल कुमार, विपिन यादव जैसे नेताओं पर भी गाज गिरी है. अब सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि 40 से अधिक समर्थकों की लिस्ट तैयार की गई है उन्हें चेतावनी दी जा रही है और अनुशासन के नाम पर आने वाले दिनों में उनपर भी कार्रवाई तय मानी जा रही है. आरसीपी सिंह को पूरी तरह से पंगु बनाने की कोशिश जदयू में हो रही है. एक तरह से आरसीपी सिंह को राजनीतिक रूप से हाशिए पर पहुंचाने की रणनीति तैयार की गई है.

"सोशल मीडिया का जमाना है और अनुशासनहीनता की गतिविधियां बर्दाश्त नहीं की जाएगी. वैसे लोगों के लिए यह कार्रवाई एक चेतावनी है. कोई पार्टी के खिलाफ बोलता है तो निश्चित रूप से पार्टी एक्शन लेती है कार्रवाई करती है."- उमेश कुशवाहा, प्रदेश अध्यक्ष,जदयू

"किसी का नजदीकी और दूर को देख कर कार्रवाई नहीं की जाती है. अनुशासन का पालन नहीं करने वालों पर कार्रवाई होती है. किसी भी दल में अनुशासन को लेकर एक्शन लिया जाता है और यहां भी कार्रवाई हो रही है."- उपेंद्र कुशवाहा, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जदयू संसदीय बोर्ड

"श्रवण कुमार के समर्थक हों या किसी भी कद्दावर नेता के समर्थक पार्टी के खिलाफ काम करेंगे तो पार्टी भी कार्रवाई करेगी. पार्टी की नीति सिद्धांत को नहीं मानेंगे तो उनके खिलाफ कार्रवाई होगी. पहले भी कई पर कार्रवाई हो चुकी है कोई नई बात नहीं है."- श्रवण कुमार, ग्रामीण विकास मंत्री, बिहार

"यह जदयू का अंदरूनी मामला है. पार्टी नेतृत्व ही कद बनाता है और समाप्त करता है. अभी साफ दिख रहा है पार्टी नेतृत्व के इशारे पर ही प्रदेश नेतृत्व कार्रवाई कर रहा है."- एजाज अहमद, प्रवक्ता आरजेडी

बिहार भ्रमण पर निकलेंगे आरसीपी!: पूर्व विधायक अभय कुशवाहा, शिक्षा प्रकोष्ठ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया सिंह, सवर्ण प्रकोष्ठ के पूर्व अध्यक्ष और भंग किए गए प्रकोष्ठ के अधिकांश लोग आरसीपी सिंह के साथ दिखते हैं. जदयू के लिए यही एक बड़ी चिंता की बात है. जानकारी मिल रही है कि आरसीपी सिंह जल्द ही पूरे बिहार में भ्रमण का कार्यक्रम भी शुरू कर सकते हैं और संभवत उसमें अपनी बात कार्यकर्ता और जनता के बीच रखेंगे. सबसे बड़ी बात कि आरसीपी सिंह ने अभी तक नीतीश कुमार के खिलाफ कुछ नहीं बोला है. ललन सिंह के खिलाफ भी खुलकर बोलने से बचते रहे हैं लेकिन लगातार हो रहे हमले से उनके समर्थकों में बेचैनी जरूर है.

बड़े उथल-पुथल के संकेत: पूरे मामले में अभी तक आरसीपी सिंह ने चुप्पी साध रखी है. राज्यसभा का उम्मीदवार नहीं बनाए जाने के बाद मीडिया से बातचीत में जरूर कहा था 33 प्रकोष्ठ को घटाकर 13 प्रकोष्ठ बनाना सही नहीं है. उसके अलावा किसी के खिलाफ आरसीपी सिंह ने अभी तक कुछ नहीं बोला है लेकिन आरसीपी सिंह की बीजेपी के साथ नजदीकी और चुप्पी जदयू में आने वाले दिनों में बड़े उथल-पुथल के संकेत दे रहे हैं इसलिए पार्टी नेतृत्व उनके समर्थकों पर एक के बाद एक गाज गिरा रहा है.

पढ़ें- RCP सिंह के बंगला खाली कराने पर बोले अशोक चौधरी- 'राजनीतिक या व्यक्तिगत कारणों से नहीं लिया गया फैसला'


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पटना: जनता दल यूनाइटेड के अंदर आरसीपी सिंह (Union Minister RCP Singh) को संगठन का नेता माना जाता था. उनसे नीतीश की नजदीकी अब दूरी में बदल गई है. एक समय था जब छोटे बड़े हर फैसले के लिए सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) आरसीपी सिंह से विचार-विमर्श करते थे. ऐसे में जो बदलाव हुए हैं उसे देख लोगों को बहुत अचरज है. ये भी कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार के इशारे पर जदयू आरसीपी सिंह की राजनीति को हाशिये (RCP Singh JDU Rift) पर पहुंचाने की रणनीति बनाने में लगी है.

पढ़ें- RCP सिंह पर उपेंद्र कुशवाहा का बड़ा बयान, बोले- कार्यकाल पूरा करने से पहले देना चाहिए मंत्रिमंडल से इस्तीफा

आरसीपी सिंह के खिलाफ JDU की अप्रत्यक्ष कार्रवाई: केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह के समर्थकों पर कार्रवाई की गई है. पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया है. जदयू प्रवक्ता अजय आलोक (JDU spokesperson Ajay Alok), जदयू महासचिव अनिल कुमार (JDU General Secretary Anil Kumar), जदयू महासचिव विपिन कुमार यादव (JDU General Secretary Vipin Kumar Yadav) और समाज सुधार सेनानी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष जितेंद्र नीरज (Social Reform Fighter Cell President Jitendra Neeraj) को पद से मुक्त करते हुए प्राथमिक सदस्यता से भी निलंबित (JDU expelled many leaders) कर दिया गया है. कहा जा रहा है कि 40 से अधिक लोगों की लिस्ट भी पार्टी नेतृत्व ने तैयार की है जिस पर कार्रवाई की तैयारी हो रही है.

केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफे की मांग: जेडीयू नेता व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (RCP Singh politics) अपने कार्यकाल का 1 साल भी पूरा कर सकेंगे या नहीं कल तक इस सवाल का जवाब देने से जनता दल यूनाइटेड के सभी नेता कतराते थे लेकिन अब जदयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने बड़ा बयान (Upendra Kushwaha statement on RCP) देते हुए कहा था कि आरसीपी सिंह को कार्यकाल पूरा करने से पहले ही मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे देना चाहिए (RCP Singh Resignation Issue) . उपेंद्र कुशवाहा के बयान से साफ हो गया है कि शायद आरसीपी सिंह अपने कार्यकाल का 1 साल भी पूरा नहीं कर सकेंगे. राज्यसभा में आरसीपी सिंह का कार्यकाल 7 जुलाई को खत्म हो रहा है. अब भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से ही आरसीपी सिंह को उम्मीदें हैं

नीतीश से बढ़ती दूरी: पिछले डेढ़ दशक से नीतीश कुमार से नजदीकी के कारण आरसीपी सिंह का सिक्का जदयू में बोलता रहा. नीतीश कुमार के बाद दो नंबर कुर्सी के दावेदार माने जाते रहे हैं. जदयू में आरसीपी सिंह का कद इसी से पता चलता था कि बिना उनकी अनुमति के विधानसभा लोकसभा और विधान परिषद के लिए उम्मीदवार बनना संभव नहीं था. पार्टी में ललन सिंह जैसे दिग्गज नेताओं के रहते हुए आरसीपी सिंह केंद्र में मंत्री बन गए. लेकिन केंद्र में मंत्री बनने के बाद से ही आरसीपी सिंह की पार्टी पर पकड़ कमजोर होती गई.

हाशिए पर RCP सिंह की पॉलिटिक्स!: आज स्थिति यहां तक आ गई कि राज्यसभा के लिए उन्हें उम्मीदवार तक नहीं बनाया गया. केंद्र में मंत्री पद भी जाना तय है. जिस बंगले में पिछले 10 सालों से भी अधिक समय से रह रहे थे वह भी हाथ से चला गया और चुन-चुन कर उनके समर्थकों पर कार्रवाई भी होने लगी है. अभी तक आधा दर्जन उनके समर्थकों पर कार्रवाई हो चुकी है जिसमें दो प्रवक्ता सहेली मेहता और अजय आलोक शामिल हैं. उसके अलावा पार्टी मुख्यालय में संगठन का कामकाज देख रहे अनिल कुमार, विपिन यादव जैसे नेताओं पर भी गाज गिरी है. अब सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि 40 से अधिक समर्थकों की लिस्ट तैयार की गई है उन्हें चेतावनी दी जा रही है और अनुशासन के नाम पर आने वाले दिनों में उनपर भी कार्रवाई तय मानी जा रही है. आरसीपी सिंह को पूरी तरह से पंगु बनाने की कोशिश जदयू में हो रही है. एक तरह से आरसीपी सिंह को राजनीतिक रूप से हाशिए पर पहुंचाने की रणनीति तैयार की गई है.

"सोशल मीडिया का जमाना है और अनुशासनहीनता की गतिविधियां बर्दाश्त नहीं की जाएगी. वैसे लोगों के लिए यह कार्रवाई एक चेतावनी है. कोई पार्टी के खिलाफ बोलता है तो निश्चित रूप से पार्टी एक्शन लेती है कार्रवाई करती है."- उमेश कुशवाहा, प्रदेश अध्यक्ष,जदयू

"किसी का नजदीकी और दूर को देख कर कार्रवाई नहीं की जाती है. अनुशासन का पालन नहीं करने वालों पर कार्रवाई होती है. किसी भी दल में अनुशासन को लेकर एक्शन लिया जाता है और यहां भी कार्रवाई हो रही है."- उपेंद्र कुशवाहा, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जदयू संसदीय बोर्ड

"श्रवण कुमार के समर्थक हों या किसी भी कद्दावर नेता के समर्थक पार्टी के खिलाफ काम करेंगे तो पार्टी भी कार्रवाई करेगी. पार्टी की नीति सिद्धांत को नहीं मानेंगे तो उनके खिलाफ कार्रवाई होगी. पहले भी कई पर कार्रवाई हो चुकी है कोई नई बात नहीं है."- श्रवण कुमार, ग्रामीण विकास मंत्री, बिहार

"यह जदयू का अंदरूनी मामला है. पार्टी नेतृत्व ही कद बनाता है और समाप्त करता है. अभी साफ दिख रहा है पार्टी नेतृत्व के इशारे पर ही प्रदेश नेतृत्व कार्रवाई कर रहा है."- एजाज अहमद, प्रवक्ता आरजेडी

बिहार भ्रमण पर निकलेंगे आरसीपी!: पूर्व विधायक अभय कुशवाहा, शिक्षा प्रकोष्ठ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया सिंह, सवर्ण प्रकोष्ठ के पूर्व अध्यक्ष और भंग किए गए प्रकोष्ठ के अधिकांश लोग आरसीपी सिंह के साथ दिखते हैं. जदयू के लिए यही एक बड़ी चिंता की बात है. जानकारी मिल रही है कि आरसीपी सिंह जल्द ही पूरे बिहार में भ्रमण का कार्यक्रम भी शुरू कर सकते हैं और संभवत उसमें अपनी बात कार्यकर्ता और जनता के बीच रखेंगे. सबसे बड़ी बात कि आरसीपी सिंह ने अभी तक नीतीश कुमार के खिलाफ कुछ नहीं बोला है. ललन सिंह के खिलाफ भी खुलकर बोलने से बचते रहे हैं लेकिन लगातार हो रहे हमले से उनके समर्थकों में बेचैनी जरूर है.

बड़े उथल-पुथल के संकेत: पूरे मामले में अभी तक आरसीपी सिंह ने चुप्पी साध रखी है. राज्यसभा का उम्मीदवार नहीं बनाए जाने के बाद मीडिया से बातचीत में जरूर कहा था 33 प्रकोष्ठ को घटाकर 13 प्रकोष्ठ बनाना सही नहीं है. उसके अलावा किसी के खिलाफ आरसीपी सिंह ने अभी तक कुछ नहीं बोला है लेकिन आरसीपी सिंह की बीजेपी के साथ नजदीकी और चुप्पी जदयू में आने वाले दिनों में बड़े उथल-पुथल के संकेत दे रहे हैं इसलिए पार्टी नेतृत्व उनके समर्थकों पर एक के बाद एक गाज गिरा रहा है.

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