ETV Bharat / state

सीएम नीतीश के विचारों से अलग है आरसीपी सिंह के विचार, जवाहरलाल नेहरू को लेकर दिया बड़ा बयान - etv bihar

केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (RCP Singh on Jawaharlal Nehru) के एक बयान से खलबली मच गयी है. सीएम नीतीश कुमार के विचारों से बिल्कुल अलग बयान देते हुए उन्होंने कहा कि आजादी के बाद कांग्रेस के अंदर कोई भी नेहरू को पीएम नहीं बनाना चाहता था. सभी की पसंद सरदार वल्लभ भाई पटेल थे. आरसीपी सिंह के भाजपा के करीब पहुंचने के पहले से लगाए जा रहे कयासों को इस बयान के बाद और बल मिला है. पढ़ें पूरी खबर

RCP Singh on Jawaharlal Nehru
RCP Singh on Jawaharlal Nehru
author img

By

Published : May 20, 2022, 12:43 PM IST

पटना: केंद्रीय मंत्री और जनता दल (यूनाइटेड) के नेता आरसीपी सिंह (Union Minister RCP Singh) गुरुवार को आरएसएस (RSS) की थिंक टैंक संस्था रामभाऊ म्हालगिनी प्रबोधिनी ( Rambhau Mhalgi Prabodhini Seminar) की ओर से 'परिवारवाद और उसके राजनीतिक परिणाम' शीर्षक पर आयोजित एक समारोह में बोल रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi) और नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) इस मामले में उदाहरण हैं, जिनके लिए उनकी जनता ही उनका परिवार है. जेडीयू नेता और केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह का यह बयान निश्चित तौर पर बीजेपी को बहुत अच्छा लगेगा.

पढ़ें- पत्रकार पूछते रहे सवाल- RCP सिंह जी आप राज्यसभा फिर से जाएंगे क्या? मिला ये जवाब

जवाहर लाल नेहरू के खिलाफ दिया बयान: आरसीपी सिंह ने परिवारवाद की शुरुआत के लिए भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू (India's First PM Jawahar Lal Nehru) और उनके परिवार पर जमकर हमला बोला. जेडीयू नेता ने दावा किया कि आजादी के बाद कांग्रेस के भीतर कोई भी नेहरू जी को प्रधानमंत्री नहीं बनाना चाहता था. उनके मुताबिक कांग्रेस में संगठन और कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य वल्लभभाई पटेल को प्रधानमंत्री बनना चाहते थे. आरसीपी सिंह ने परिवारवाद के संदर्भ में कहा कि देश की राजनीति में परिवारवाद की नींव तभी पड़ गई थी.

कांग्रेस पर परिवारवाद का लगाया आरोप: आरसीपी सिंह ने विस्तार से बताया कि किस तरह परिवारवाद के चलते कांग्रेस के भीतर पटेल और अंबेडकर जैसे नेताओं की अवहेलना की गई. उन्होंने कहा कि 1954 में भारत रत्न की शुरुआत होने के अगले ही साल यानी 1955 में नेहरू ने भारत रत्न ले लिया जबकि पटेल को 1991 में राजीव गांधी के साथ भारत रत्न दिया गया. आरसीपी सिंह का ये बयान चौंकाने वाला है क्योंकि आज तक नीतीश कुमार और जेडीयू के अन्य नेता सीधा जवाहर लाल नेहरू पर हमला करने से बचते रहे हैं.

नीतीश के साथ नहीं आए नजर : बता दें कि आरसीपी सिंह का राज्यसभा में कार्यकाल खत्म हो रहा है और बिहार की राजनीति में इस बात को लेकर सस्पेंस है कि नीतीश कुमार उन्हें दोबारा राज्यसभा भेजेंगे या नहीं. अगले महीने बिहार में राज्यसभा की 5 सीटों के लिए चुनाव है जिसके लिए नामांकन भरने की आखिरी तारीख 30 मई है. बिहार में राज्यसभा के लिए होने वाले उपचुनाव के लिए पार्टी के उम्मीदवार अनिल हेगड़े ने पटना में अपना नामांकन भरा जिसमें नीतीश कुमार समेत पार्टी के सभी बड़े नेता शरीक हुए. हालांकि दिल्ली में रहने के चलते आरसीपी सिंह नामांकन में नहीं पहुंच पाए.

कई मुद्दों पर हो चुका है मतभेद : यह कोई पहला मौका नहीं है जब आरसीपी सिंह ने जदयू की विचारधारा को दरकिनार करते हुए बयान दिया हो. पार्टी के अंदर दो खेमे बन गए हैं. आरसीपी सिंह और ललन सिंह के बीच अंदरखाने में वर्चस्व की लड़ाई चल रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने जेडीयू (JDU) में आमूलचूल परिवर्तन करते हुए कुर्मी और कुशवाहा को एकजुट करने की कोशिश की तो वहीं संगठन स्तर पर भी बड़े बदलाव किए. इस बीच ललन सिंह ने आरसीपी सिंह के समय बनाए गए सभी प्रकोष्ठों और इकाई को भंग करवा दिया था. तभी से गुटबाजी का खेल पार्टी के अंदर जारी है. यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान भी पार्टी के अंदर तल्खी काफी बढ़ गयी थी. बीजेपी से गठबंधन न होने का ठिकरा ललन सिंह ने आरसीपी सिंह के ऊपर फोड़ा था.

पढ़ें: JDU के राज्यसभा प्रत्याशी अनिल हेगड़े.. आर्थिक उदारीकरण के प्रबल विरोधी, रिकार्ड बार दी है गिरफ्तारी

पढ़ें: आरसीपी सिंह को लेकर सस्पेंस! क्या राज्यसभा नहीं भेजने का नीतीश कुमार ले सकते हैं जोखिम!

विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP


पटना: केंद्रीय मंत्री और जनता दल (यूनाइटेड) के नेता आरसीपी सिंह (Union Minister RCP Singh) गुरुवार को आरएसएस (RSS) की थिंक टैंक संस्था रामभाऊ म्हालगिनी प्रबोधिनी ( Rambhau Mhalgi Prabodhini Seminar) की ओर से 'परिवारवाद और उसके राजनीतिक परिणाम' शीर्षक पर आयोजित एक समारोह में बोल रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi) और नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) इस मामले में उदाहरण हैं, जिनके लिए उनकी जनता ही उनका परिवार है. जेडीयू नेता और केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह का यह बयान निश्चित तौर पर बीजेपी को बहुत अच्छा लगेगा.

पढ़ें- पत्रकार पूछते रहे सवाल- RCP सिंह जी आप राज्यसभा फिर से जाएंगे क्या? मिला ये जवाब

जवाहर लाल नेहरू के खिलाफ दिया बयान: आरसीपी सिंह ने परिवारवाद की शुरुआत के लिए भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू (India's First PM Jawahar Lal Nehru) और उनके परिवार पर जमकर हमला बोला. जेडीयू नेता ने दावा किया कि आजादी के बाद कांग्रेस के भीतर कोई भी नेहरू जी को प्रधानमंत्री नहीं बनाना चाहता था. उनके मुताबिक कांग्रेस में संगठन और कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य वल्लभभाई पटेल को प्रधानमंत्री बनना चाहते थे. आरसीपी सिंह ने परिवारवाद के संदर्भ में कहा कि देश की राजनीति में परिवारवाद की नींव तभी पड़ गई थी.

कांग्रेस पर परिवारवाद का लगाया आरोप: आरसीपी सिंह ने विस्तार से बताया कि किस तरह परिवारवाद के चलते कांग्रेस के भीतर पटेल और अंबेडकर जैसे नेताओं की अवहेलना की गई. उन्होंने कहा कि 1954 में भारत रत्न की शुरुआत होने के अगले ही साल यानी 1955 में नेहरू ने भारत रत्न ले लिया जबकि पटेल को 1991 में राजीव गांधी के साथ भारत रत्न दिया गया. आरसीपी सिंह का ये बयान चौंकाने वाला है क्योंकि आज तक नीतीश कुमार और जेडीयू के अन्य नेता सीधा जवाहर लाल नेहरू पर हमला करने से बचते रहे हैं.

नीतीश के साथ नहीं आए नजर : बता दें कि आरसीपी सिंह का राज्यसभा में कार्यकाल खत्म हो रहा है और बिहार की राजनीति में इस बात को लेकर सस्पेंस है कि नीतीश कुमार उन्हें दोबारा राज्यसभा भेजेंगे या नहीं. अगले महीने बिहार में राज्यसभा की 5 सीटों के लिए चुनाव है जिसके लिए नामांकन भरने की आखिरी तारीख 30 मई है. बिहार में राज्यसभा के लिए होने वाले उपचुनाव के लिए पार्टी के उम्मीदवार अनिल हेगड़े ने पटना में अपना नामांकन भरा जिसमें नीतीश कुमार समेत पार्टी के सभी बड़े नेता शरीक हुए. हालांकि दिल्ली में रहने के चलते आरसीपी सिंह नामांकन में नहीं पहुंच पाए.

कई मुद्दों पर हो चुका है मतभेद : यह कोई पहला मौका नहीं है जब आरसीपी सिंह ने जदयू की विचारधारा को दरकिनार करते हुए बयान दिया हो. पार्टी के अंदर दो खेमे बन गए हैं. आरसीपी सिंह और ललन सिंह के बीच अंदरखाने में वर्चस्व की लड़ाई चल रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने जेडीयू (JDU) में आमूलचूल परिवर्तन करते हुए कुर्मी और कुशवाहा को एकजुट करने की कोशिश की तो वहीं संगठन स्तर पर भी बड़े बदलाव किए. इस बीच ललन सिंह ने आरसीपी सिंह के समय बनाए गए सभी प्रकोष्ठों और इकाई को भंग करवा दिया था. तभी से गुटबाजी का खेल पार्टी के अंदर जारी है. यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान भी पार्टी के अंदर तल्खी काफी बढ़ गयी थी. बीजेपी से गठबंधन न होने का ठिकरा ललन सिंह ने आरसीपी सिंह के ऊपर फोड़ा था.

पढ़ें: JDU के राज्यसभा प्रत्याशी अनिल हेगड़े.. आर्थिक उदारीकरण के प्रबल विरोधी, रिकार्ड बार दी है गिरफ्तारी

पढ़ें: आरसीपी सिंह को लेकर सस्पेंस! क्या राज्यसभा नहीं भेजने का नीतीश कुमार ले सकते हैं जोखिम!

विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP


ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.