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अयोध्या की तरह दरभंगा में भी है राम मंदिर, काले रूप में विराजमान हैं प्रभु, 300 साल से हो रही पूजा - temple is 300 years old

Ram Temple In Darbhanga : 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. जिसको लेकर देशभर के भक्तों में उत्साह का माहौल है. वहीं बिहार के दरभंगा में भी अयोध्या के तर्ज पर राम मंदिर है, जहां प्रभु श्री राम की मूर्ति काले पत्थर से बनी हुई है. पढ़िए पूरी खबर.

दरभंगा श्रीराम का मंदिर
दरभंगा श्रीराम का मंदिर
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 11, 2024, 8:55 AM IST

दरभंगा श्रीराम का मंदिर

दरभंगा: देश भर में जहां भगवान राम के मंदिर प्रतिष्ठा समारोह की धूम मची हुई है. वहीं इस प्रतिष्ठा समारोह के लिए देश भर में भक्तों को निमंत्रण भी दिए जा रहे हैं. ऐसे में सभी भक्तों के मन में उत्साह है कि सैकड़ों सालों के बाद भगवान राम का मंदिर बनकर तैयार हो रहा है. वहीं अयोध्या राम मंदिर की तर्ज पर दरभंगा में भी प्रभु श्रीराम का मंदिर है, जो बिल्कुल उसी तरह से निर्मित है. इसका ढांचा भी बिल्कुल अयोध्या राम मंदिर की तरह है. इसके अंदर की कलाकृति सैकड़ों वर्ष पुरानी कारीगरी को दर्शाती है.

काले पत्थर से बनी है श्री राम की मूर्ति: खास बात यह है कि मंदिर में रामजी सिंहासन पर विराजमान हैं, उनके साथ मां सीता भी हैं. राज परिसर स्थित श्रीराम मंदिर नेपाल के जनकपुरधाम से भी प्राचीन है. जानकारी के अनुसार वर्ष 1807 में तत्कालीन महाराज क्षत्र सिंह ने इस मंदिर की स्थापना कराई थी. आज ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय परिसर के नरगौना पैलेस परिसर के नाम से प्रसिद्ध है. राम मंदिर की बनावट की बात करें तो दक्षिण मुख में रामदरबार बना हुआ है. जिसमें प्रभु श्री राम की मूर्ति काले पत्थर से बनी हुई है

दरभंगा के राम दरबार मंदिर
दरभंगा के राम दरबार मंदिर

MBA की छात्रा परिसर में मनाएगी दीपोत्सव: MBA छात्रा शिखा ने कहा कि हमलोग कॉमर्स एंड बिजनेश एडमिस्ट्रेसन की पढ़ाई कर रहे हैं. यहां आने के बाद पता चला कि यह राममंदिर 300 सौ साल पुराना मंदिर है. यहां पर श्रीराम मंदिर में पूजा-अर्चना करने से मन को शांति मिलती है.उन्होंने कहा कि मंदिर काफी पुराना है, लेकिन आज भी मंदिर के अंदर शान्ति मिलती है. हमलोगों ने तय किया है कि 22 जनवरी को अयोध्या में रामलाला का उद्घाटन है. हमलोग तो वहां नहीं जा सकते है. इसीलिए हमलोगों ने फैसला लिया है कि यहां पर दीपोत्सव मनायेगें.

300 वर्ष पुराना है मंदिर: मंदिर के संबंध में कन्हाई कांत झा ने बताया की "1542 में जब राजपरिवार को सम्राट अकबर के द्वारा राजगद्दी प्राप्त हुआ. उस वक्त से हमारा परिवार राजपरिवार से जुड़े रहे है. राम मंदिर लगभग 300 वर्ष पुराना मंदिर है." इस मंदिर में राजपरिवार के महाराज और महारानी प्रतिदिन सामने वाले तालाब में स्नान कर यहां पूजा-पाठ करते थे.

1934 के भूकंप में मंदिर क्षतिग्रस्त हो गया था: उन्होंने कहा कि 1934 के भूकंप में मंदिर के क्षतिग्रस्त होने पर तात्कालिक महाराज कामेश्वर सिंह ने इसका जीर्णोद्धार कराया था. लंबे समय तक कामेश्वर सिंह इस मंदिर के सेवक रहे. वहीं उन्होंने कहा कि वर्तमान में यह मंदिर क्षतिग्रस्त हो गया है. जिसके जीणोद्धार के लिए प्रयास किये जा रहे हैं.

1807 में मंदिर की स्थापना : वहीं मंदिर के मुख्य पुजारी कामेश्वर झा ने कहा कि "राजपरिवार के 14वें महाराज क्षत्र सिंह ने 1807 में इस मंदिर की स्थापना की गई थी. वर्तमान में यह मंदिर कामेश्वर धर्म न्यास के अंदर संचालित होता है. राम मंदिर की बनावट की बात करें तो दक्षिण मुख में रामदरबार बना हुआ है. जिसमें प्रभु श्री राम की मूर्ति काले पत्थर से बनी हुई है."

रामचरित मानस का होता है पाठ : वहीं पूर्व की दिशा में राधा कृष्ण तथा पश्चिम की ओर गौरी शकर का दरबार है. इस मंदिर में आज भी वैदिक रीति से पूजा-पाठ होता है. रामनवी, जानकी नवमी जैसे अवसर पर विशेष पूजा का आयोजन होता है. इस मंदिर की देखरेख कामेश्वर सिंह धार्मिक न्यास के माध्यम से होती है. यहां पर नियमित रूप से सत्संग के माध्यम से रामचरित मानस का पाठ होता है.

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दरभंगा श्रीराम का मंदिर

दरभंगा: देश भर में जहां भगवान राम के मंदिर प्रतिष्ठा समारोह की धूम मची हुई है. वहीं इस प्रतिष्ठा समारोह के लिए देश भर में भक्तों को निमंत्रण भी दिए जा रहे हैं. ऐसे में सभी भक्तों के मन में उत्साह है कि सैकड़ों सालों के बाद भगवान राम का मंदिर बनकर तैयार हो रहा है. वहीं अयोध्या राम मंदिर की तर्ज पर दरभंगा में भी प्रभु श्रीराम का मंदिर है, जो बिल्कुल उसी तरह से निर्मित है. इसका ढांचा भी बिल्कुल अयोध्या राम मंदिर की तरह है. इसके अंदर की कलाकृति सैकड़ों वर्ष पुरानी कारीगरी को दर्शाती है.

काले पत्थर से बनी है श्री राम की मूर्ति: खास बात यह है कि मंदिर में रामजी सिंहासन पर विराजमान हैं, उनके साथ मां सीता भी हैं. राज परिसर स्थित श्रीराम मंदिर नेपाल के जनकपुरधाम से भी प्राचीन है. जानकारी के अनुसार वर्ष 1807 में तत्कालीन महाराज क्षत्र सिंह ने इस मंदिर की स्थापना कराई थी. आज ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय परिसर के नरगौना पैलेस परिसर के नाम से प्रसिद्ध है. राम मंदिर की बनावट की बात करें तो दक्षिण मुख में रामदरबार बना हुआ है. जिसमें प्रभु श्री राम की मूर्ति काले पत्थर से बनी हुई है

दरभंगा के राम दरबार मंदिर
दरभंगा के राम दरबार मंदिर

MBA की छात्रा परिसर में मनाएगी दीपोत्सव: MBA छात्रा शिखा ने कहा कि हमलोग कॉमर्स एंड बिजनेश एडमिस्ट्रेसन की पढ़ाई कर रहे हैं. यहां आने के बाद पता चला कि यह राममंदिर 300 सौ साल पुराना मंदिर है. यहां पर श्रीराम मंदिर में पूजा-अर्चना करने से मन को शांति मिलती है.उन्होंने कहा कि मंदिर काफी पुराना है, लेकिन आज भी मंदिर के अंदर शान्ति मिलती है. हमलोगों ने तय किया है कि 22 जनवरी को अयोध्या में रामलाला का उद्घाटन है. हमलोग तो वहां नहीं जा सकते है. इसीलिए हमलोगों ने फैसला लिया है कि यहां पर दीपोत्सव मनायेगें.

300 वर्ष पुराना है मंदिर: मंदिर के संबंध में कन्हाई कांत झा ने बताया की "1542 में जब राजपरिवार को सम्राट अकबर के द्वारा राजगद्दी प्राप्त हुआ. उस वक्त से हमारा परिवार राजपरिवार से जुड़े रहे है. राम मंदिर लगभग 300 वर्ष पुराना मंदिर है." इस मंदिर में राजपरिवार के महाराज और महारानी प्रतिदिन सामने वाले तालाब में स्नान कर यहां पूजा-पाठ करते थे.

1934 के भूकंप में मंदिर क्षतिग्रस्त हो गया था: उन्होंने कहा कि 1934 के भूकंप में मंदिर के क्षतिग्रस्त होने पर तात्कालिक महाराज कामेश्वर सिंह ने इसका जीर्णोद्धार कराया था. लंबे समय तक कामेश्वर सिंह इस मंदिर के सेवक रहे. वहीं उन्होंने कहा कि वर्तमान में यह मंदिर क्षतिग्रस्त हो गया है. जिसके जीणोद्धार के लिए प्रयास किये जा रहे हैं.

1807 में मंदिर की स्थापना : वहीं मंदिर के मुख्य पुजारी कामेश्वर झा ने कहा कि "राजपरिवार के 14वें महाराज क्षत्र सिंह ने 1807 में इस मंदिर की स्थापना की गई थी. वर्तमान में यह मंदिर कामेश्वर धर्म न्यास के अंदर संचालित होता है. राम मंदिर की बनावट की बात करें तो दक्षिण मुख में रामदरबार बना हुआ है. जिसमें प्रभु श्री राम की मूर्ति काले पत्थर से बनी हुई है."

रामचरित मानस का होता है पाठ : वहीं पूर्व की दिशा में राधा कृष्ण तथा पश्चिम की ओर गौरी शकर का दरबार है. इस मंदिर में आज भी वैदिक रीति से पूजा-पाठ होता है. रामनवी, जानकी नवमी जैसे अवसर पर विशेष पूजा का आयोजन होता है. इस मंदिर की देखरेख कामेश्वर सिंह धार्मिक न्यास के माध्यम से होती है. यहां पर नियमित रूप से सत्संग के माध्यम से रामचरित मानस का पाठ होता है.

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