पटना: चंद्रयान 3 की चांद पर सफल लैंडिंग के बाद हर तरफ इसकी चर्चा हो रही है. अब बिहार में रक्षाबंधन को लेकर चंद्रयान राखी का क्रेज बढ़ गया है. 31 अगस्त को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा. हर साल रक्षाबंधन पर बाजार में नई-नई डिजाइनों में राखियां मिलती हैं. नई चीजों का ट्रेड रहता है. इसी कड़ी में राजधानी की रहने वाली विजेता ने चंद्रयान की सफल लैंडिंग की खुशी में चंद्रयान राखी बनाया है.
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पटना में चंद्रयान वाली राखी का क्रेज: विजेता का कहना है कि देश ने चंद्रयान की सफल लैंडिंग कर इतिहास रचा है. इसलिए चंद्रयान राखी लोकप्रियता और खुशी को दर्शाता है. ऐसे तो विजेता कुमारी ने पारंपरिक सिक्की आर्ट के जरिए कई डिजाइनर राखी बनाई है. लेकिन उनकी सभी राखियों में सबसे खास चंद्रयान राखी है. चंदा मामा अब दूर के नहीं रहे इसी कांसेप्ट को लेकर विजेता कुमारी ने चंद्रयान राखी बनाई है. इस बार राखी में बहन अपने भाइयों की कलाई पर चंद्रयान राखी बाधेंगी.
पटना की सिक्की आर्टिस्ट का कमाल: राजधानी के खाजपुरा निवासी विजेता कुमारी बिहार की पारंपरिक सिक्की आर्ट की कलाकार हैं. विजेता कुमारी 2019 से सिक्की आर्ट से जुड़ी हुईं हैं. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि मैंने टेलीविजन पर चंद्रयान की सफल लैंडिंग देखी और उसके बाद मैंने सोचा कि चंद्रयान राखी बनाकर देश के प्रति आभार व्यक्त करूं. चंद्रयान के चांद पर सफल लैंडिंग की खुशी में पूरा देश है तो क्यों नहीं राखी का त्यौहार आ रहा है इस खुशी को और दुगना किया जाए.
"23 अगस्त को चंद्रयान चांद पर उतरा और 24 अगस्त को हमने चंद्रयान राखी बनाना शुरू किया. 25 अगस्त को मेरा चंद्रयान राखी बनकर तैयार हो गया है. चंद्रयान राखी के साथ-साथ विजेता बुलडोजर राखी बनाई है. बुलडोजर अभी देश में लोकप्रिय है. इसलिए बुलडोजर राखी भी बनाई है."- विजेता कुमार, सिक्की आर्टिस्ट
बुलडोजर राखी की भी डिमांड: उन्होंने कहा कि बुलडोजर राखी बनाने का कॉन्सेप्ट मुझे मेरे भाई से मिला. मेरा भाई बुलडोजर और कई गाड़ी रखे हुए है. इसको ध्यान में रखते हुए हमने बुलडोजर राखी बनाई है. विजेता कुमारी बताती है कि सिक्की (घास) को ग्रामीण क्षेत्र से मंगाती हूं और अलग-अलग पर्व त्योहार के समय में जिस चीज की उपयोग होती उसे बनाती हैं.
मिल रहे ऑर्डर: विजेता बताती है कि सिर्फ चंद्रयान राखी और बुलडोजर राखी ही नहीं है बल्कि कई अलग-अलग प्रकार की राखी भी है. इनमें प्रकृति को बचाने का भी संदेश देने वाली राखी है. इंद्रदेव के वज्र वाली राखी है जो बच्चो को खूब पसंद आ रहा है. उन्होंने कहा कि राखी की डिमांड है. बिहार सरकार के खादी मॉल बिहार म्यूजियम में ये सारी राखियां उपलब्ध हैं. सरकार से जितना ऑर्डर आता है, ऑर्डर के अनुरूप राखी तैयार कर मुहैया करायी जाती है.
चंद्रयान वाली राखी की कीमत: चंद्रयान राखी की जहां कीमत 450 रुपए है. वहीं बुलडोजर राखी की कीमत 350 रुपए है. अन्य राखियों की कीमत ₹35 ₹60 कलर और डिजाइन के हिसाब से रखा गया है.
कब है शुभ मुहूर्त?: राखी का त्योहार 30 अगस्त को रात 9:01 बजे के बाद ही शुरू होगा. ऐसे में जो बहनें रात 9:01 बजे के बाद राखी नहीं बांध सकती हैं वे अगले दिन यानी कि 31 अगस्त को सुबह 7:05 मिनट से पहले राखी बांध सकती हैं. इसी समय पूर्णिमा तिथि समाप्त होगी.