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93 साल का हुआ राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज अस्पताल, 'स्वर्णप्राशन' टीके की होगी शुरुआत

93वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में देशभर के आयुर्वेद विशेषज्ञ भाग लेंगे. स्थापना दिवस समारोह 3 दिनों तक चलेगा और इस दिन बच्चों को स्वर्णप्राशन यानी एक विशेष प्रकार का आयुर्वेदिक टीका दिया जाएगा.

राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज पटना
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Published : Jul 24, 2019, 5:53 PM IST

पटना: राजधानी के राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज ने 93 साल पूरे कर लिए हैं. बिहार के इस एकमात्र आयुर्वेदिक कॉलेज की स्थापना 26 जुलाई 1946 को हुई थी. स्थापना दिवस के मौके पर आयुर्वेद कॉलेज ने एक विशेष पहल शुरु करने की ठानी है. इस दिन बच्चों को स्वर्णप्राशन यानी एक विशेष प्रकार का आयुर्वेदिक टीका दिया जाएगा. इससे बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है, जिससे वे संक्रामक बीमारियों से लड़ने में कामयाब होंगे.

Patna Rajkiya Ayurvedic College
राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज परिसर

3 दिनों तक चलेगा स्थापना दिवस समारोह
93वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में देशभर के आयुर्वेद विशेषज्ञ भाग लेंगे. स्थापना दिवस समारोह 3 दिनों तक चलेगा. कॉलेज के प्राचार्य डॉ दिनेश्वर प्रसाद ने कहा कि स्वर्णप्राशन टीके के माध्यम से बच्चों को कई बीमारियों से बचाया जा सकता है. जन्म के बाद से लेकर 14 साल तक के बच्चों को इसका डोज दिया जाता है.

बच्चों को दिया जाएगा 'स्वर्णप्राशन' टीका
प्राचार्य ने बताया कि 'स्वर्णप्राशन' टीके की विशेषता यह है कि इसमे सोने की भरपूर मात्रा होती है. इस कारण इसे स्वर्णप्राशन नाम दिया गया है. इस टीके की खोज आचार्य कश्यप ने की थी. कश्यप संहिता में इसका विशेष रूप से उल्लेख किया गया है. उन्होंने बताया कि कई आयुर्वेद चिकित्सा प्रणाली के ग्रंथों में स्वर्ण भस्म देने की भी बात कही गई है. स्वर्ण भस्म से बच्चों का बौद्धिक विकास होता है.

पटना राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज के 93 साल पूरे.

जुटेंगें देशभर के आयुर्वेद विशेषज्ञ
आयुर्वेद कॉलेज की स्थापना दिवस के तीन दिवसीय कार्यक्रम में पहले दिन पूर्ववर्ती छात्रों का सम्मेलन होगा. वहीं दूसरे दिन सेमिनार का आयोजन किया गया है. सेमिनार में बच्चों पर होने वाले विभिन्न तरह के जापानी इंसेफेलाइटिस, चमकी बुखार, डेंगू पर चर्चा की जाएगी. तीसरे दिन देशभर के आयुर्वेद विशेषज्ञ एवं वैज्ञानिक के कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे
.

पटना: राजधानी के राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज ने 93 साल पूरे कर लिए हैं. बिहार के इस एकमात्र आयुर्वेदिक कॉलेज की स्थापना 26 जुलाई 1946 को हुई थी. स्थापना दिवस के मौके पर आयुर्वेद कॉलेज ने एक विशेष पहल शुरु करने की ठानी है. इस दिन बच्चों को स्वर्णप्राशन यानी एक विशेष प्रकार का आयुर्वेदिक टीका दिया जाएगा. इससे बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है, जिससे वे संक्रामक बीमारियों से लड़ने में कामयाब होंगे.

Patna Rajkiya Ayurvedic College
राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज परिसर

3 दिनों तक चलेगा स्थापना दिवस समारोह
93वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में देशभर के आयुर्वेद विशेषज्ञ भाग लेंगे. स्थापना दिवस समारोह 3 दिनों तक चलेगा. कॉलेज के प्राचार्य डॉ दिनेश्वर प्रसाद ने कहा कि स्वर्णप्राशन टीके के माध्यम से बच्चों को कई बीमारियों से बचाया जा सकता है. जन्म के बाद से लेकर 14 साल तक के बच्चों को इसका डोज दिया जाता है.

बच्चों को दिया जाएगा 'स्वर्णप्राशन' टीका
प्राचार्य ने बताया कि 'स्वर्णप्राशन' टीके की विशेषता यह है कि इसमे सोने की भरपूर मात्रा होती है. इस कारण इसे स्वर्णप्राशन नाम दिया गया है. इस टीके की खोज आचार्य कश्यप ने की थी. कश्यप संहिता में इसका विशेष रूप से उल्लेख किया गया है. उन्होंने बताया कि कई आयुर्वेद चिकित्सा प्रणाली के ग्रंथों में स्वर्ण भस्म देने की भी बात कही गई है. स्वर्ण भस्म से बच्चों का बौद्धिक विकास होता है.

पटना राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज के 93 साल पूरे.

जुटेंगें देशभर के आयुर्वेद विशेषज्ञ
आयुर्वेद कॉलेज की स्थापना दिवस के तीन दिवसीय कार्यक्रम में पहले दिन पूर्ववर्ती छात्रों का सम्मेलन होगा. वहीं दूसरे दिन सेमिनार का आयोजन किया गया है. सेमिनार में बच्चों पर होने वाले विभिन्न तरह के जापानी इंसेफेलाइटिस, चमकी बुखार, डेंगू पर चर्चा की जाएगी. तीसरे दिन देशभर के आयुर्वेद विशेषज्ञ एवं वैज्ञानिक के कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे
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Intro:93 साल का हुआ राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज अस्पताल
26 जुलाई को होगा स्थापना दिवस का कार्यक्रम स्थापना दिवस के मौके पर स्वर्ण प्राशन टीके का होगा शुभारंभ


Body:बिहार का एकमात्र राजधानी के राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज 93 साल का हो गया है, 26 जुलाई 1946 को स्थापित इस कॉलेज का 93 वर्षगांठ मनाने जा रहा है और इस स्थापना दिवस के मौके पर आयुर्वेद कॉलेज में बच्चों को स्वर्णप्राशन यानी एक विशेष प्रकार का टीका जो बच्चों को दिए जाने वाला आयुर्वेदिक टीका है, इससे बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है, बच्चे संक्रामक बीमारियों से लड़ने में सक्षम होंगे,
गौरतलब है कि 26 जुलाई को आयुर्वेद कॉलेज अपना 93 स्थापना दिवस मना रहा है, इस अवसर पर देशभर के आयुर्वेद विशेषज्ञ भाग लेंगे, कॉलेज में स्थापना दिवस समारोह अगले 3 दिनों तक चलेगा, आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य डॉ दिनेश्वर प्रसाद का कहना है, कि स्वर्णप्राशन के माध्यम से बच्चों को कई बीमारियों से बचाया जा सकता है, स्वर्णप्राशन जन्म के बाद से लेकर 14 साल तक के बच्चों को दिया जाता है, इसकी खोज आचार्य कश्यप ने की थी, कश्यप संहिता में इसका विशेष रूप से उल्लेख किया गया है, इस टीका में स्वर्ण की प्रचुरता होती है, जिसके कारण स्वर्ण प्राशन नाम दिया गया है, हालांकि कई आयुर्वेद चिकित्सा प्रणाली के ग्रंथों में स्वर्ण भस्म देने की बात कही गई है स्वर्ण भस्म से बच्चों का बौद्धिक विकास होता है।


Conclusion:बहरहाल आयुर्वेद कॉलेज की स्थापना दिवस के तीन दिवसीय कार्यक्रम में पहले दिन पूर्वर्ती छात्रों का सम्मेलन का कार्यक्रम होगा, वहीं दूसरे दिन सेमिनार का आयोजन किया गया है, जहां बच्चों पर होने वाले विभिन्न तरह के जापानी इंसेफेलाइटिस, चमकी बुखार ,डेंगू इत्यादि पर सेमिनार आयोजित किया जाएगा वहीं
तीसरे दिन देशभर के आयुर्वेद विशेषज्ञ एवं वैज्ञानिक के कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे


बाईट:-प्रोफेसर डॉ दिनेश्वर प्रसाद
प्राचार्य, राजकीय आयुर्वेदिकॉलेज अस्पताल, पटना
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