पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दिनों एक के बाद एक पार्टी का कार्यक्रम लॉन्च कर रहे हैं. आधा दर्जन से अधिक पार्टी का कार्यक्रम चल रहा है. हाल ही में 5 नवंबर को पटना में बड़े स्तर पर भीम संवाद करने की भी घोषणा की गई है. उससे पहले पूरे बिहार में भीम संवाद को सफल बनाने के लिए अभियान चलेगा. मुख्यमंत्री 11 और 12 सितंबर को जिला अध्यक्ष से लेकर प्रखंड अध्यक्ष तक मुलाकात करेंगे. एक साथ पार्टी में इतने बड़े स्तर पर कार्यक्रम चलाने के पीछे पार्टी नेताओं का कहना है कि यह 2024 की तैयारी है.
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नीतीश कुमार दबाव में हैं-भाजपाः वहीं बीजेपी का कहना है कि जिस प्रकार से नीतीश कुमार बैठक पर बैठक कर रहे हैं साफ दिख रहा है लालू प्रसाद का तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने का दबाव है. नीतीश कुमार को कुर्सी जाने का डर है इसीलिए दबाव से निकलने के लिए कवायद कर रहे हैं. नीतीश कुमार के कार्यक्रम और पार्टी नेताओं से मुलाकात को लेकर बीजेपी प्रवक्ता सुमित शशांक का कहना है कि नीतीश कुमार दबाव में हैं.
"नीतीश कुमार को कुर्सी जाने का डर है. क्योंकि कुर्सी चली जाएगी तो फिर बिहार में कहीं के नहीं रहेंगे. इसलिए पार्टी के कई कार्यक्रम एक के बाद एक लॉन्च कर रहे हैं. खुद पार्टी नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं. नीतीश कुमार को जदयू के टूट का खतरा भी है."- सुमित शशांक, भाजपा प्रवक्ता
राजद-जदयू ने भाजपा पर किया पलटवारः राजद और जदयू नेताओं का कहना है कहीं से कोई दबाव की बात नहीं है. आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी का तो कहना है कि यह जदयू का कार्यक्रम है हर पार्टी अपना कार्यक्रम करती है, इसमें दबाव की बात कहां है. उन्होंने कहा कि बीजेपी क्या बोलेगी, उसका तो 2024 में इंडिया गठबंधन बनने के बाद सफाया तय है. वहीं जदयू प्रवक्ता हेमराज राम का कहना है कि भाजपा के खिलाफ पार्टी का कई कार्यक्रम चल रहा है. हम लोग पोल खोल कार्यक्रम चला रहे हैं तो वहीं केंद्र सरकार के 9 साल में जो उन्होंने वादा किया था एक भी वादा पूरा नहीं किया उसको लेकर जनता के बीच जा रहे हैं. प्रेशर से इंकार किया है.
दबाव की राजनीति में माहिर हैं लालू प्रसादः बिहार में आरजेडी विधानसभा में सीटों के लिहाज से सबसे बड़ी पार्टी है. तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री बनाने को लेकर पहले राजद नेताओं के बयान जिस प्रकार से आते रहे हैं किसी से छिपा नहीं है. राजनीतिक जानकार रवि उपाध्याय तो यहां तक कहते हैं कि लालू यादव पहले भी दबाव की राजनीति में माहिर माने जाते रहे हैं. नीतीश कुमार पर जब भी दबाव होता है अपने सहयोगी दलों का तो उससे निकलने के लिए बैठक उनकी रणनीति का हिस्सा होता है.
महागठबंधन में शांति हैः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के महागठबंधन में जाने के बाद कई तरह की चर्चा होने लगी थी. जदयू के विलय से लेकर तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने तक की बात कही जा रही थी. मुख्यमंत्री ने भी कई मौकों पर तेजस्वी को आगे बढ़ाने की बात कही थी. एक बैठक में मुख्यमंत्री ने यह घोषणा भी की थी कि 2025 का चुनाव तेजस्वी यादव के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा. इसके कारण जदयू के अंदर उठा पटक भी शुरू हो गया था. उपेंद्र कुशवाहा ने जदयू छोड़ अपनी अलग पार्टी बना ली. हालांकि 2024 को लेकर विपक्षी एकजुटता की मुहिम के कारण बिहार में महागठबंधन के अंदर चल रही उठा पठक फिलहाल शांत दिख रहा है.