पटना: पटना विश्वविद्यालय को उत्तर भारत का तीसरा सबसे बड़ा विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता है. यह विश्वविद्यालय शैक्षणिक और सामाजिक आंदोलन का गढ़ रहा है. इसका इतिहास 100 साल पुराना है. इसके अतीत के आईने में आज भी कई यादें और इतिहास दफन है. इसी में से एक है पटना विश्वविद्यालय के प्रांगण में बने व्हीलर सीनेट हॉल, जिसमें कई क्रांति की कहानी लिखी गई है.
व्हीलर सीनेट हॉल का निर्माण मुंगेर के तत्कालीन राजा देवकीनंदन सिंह ने कराया था. निर्माण कार्य में लगभग एक लाख 75 हजार रूपये खर्च हुए थे. 1925 में निर्माण प्रारंभ हुआ था और 1928 में इसका उद्घाटन बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री और उड़ीसा के गवर्नर सर हेनरी व्हीलर ने किया था. बनावट ऐसी की गई है कि हर कोने में सूर्य की रोशनी पहुंच जाती है.
कई बड़े नेता यहां कर चुके है सभा
बिहार में संपूर्ण क्रांति की पूरी पटकथा इसी सीनेट हॉल में लिखी गई थी. पटना विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ लोकनायक जयप्रकाश नारायण और उस दौर के बड़े नेताओं की सभा व्हीलर सीनेट हॉल में हुआ करती थी. देश भर के शायद ही कोई बड़े नेता होंगे, जिनकी यादें इस हॉल से नहीं जुड़ी होगी.
'विश्वविद्यालय का इतिहास काफी पुराना'
पटना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रासबिहारी प्रसाद ने कहा कि पटना विश्वविद्यालय में कई ऐतिहासिक भवन है. जिसका इतिहास काफी पुराना है. जिसमें एक दरभंगा हाउस है जो दरभंगा महाराज महाराज काममेश्वर सिंह का भवन था. इसमे अभी फिलहाल कई स्तर पर काम कर रहा है. दरभंगा हाउस जहां जवाहरलाल नेहरू आए थे और दरभंगा महाराज के साथ उन्होंने इसका शुभारंभ किया था. दरभंगा महाराज ने 1956 में इस भवन को पटना विश्वविद्यालय को सुपुर्द किया था. इस भवन के पूर्वी भाग में रानी और पश्चिमी भाग को राजा ब्लॉक कहा जाता है.
'सभी क्षेत्रों के नामचीन हस्ती यहां दे चुके हैं दस्तक'
जानकार बताते हैं कि इस व्हीलर सीनेट हॉल में लगभग सभी क्षेत्रों के नामचीन हस्ती दस्तक दे चुके हैं. इसमें पंडित जवाहरलाल नेहरु, रविंद्र नाथ टैगोर, सरोजनी नायडू, सरदार बल्लभ भाई पटेल, जयप्रकाश नारायण, सर सीवी रमन, जगदीश चंद्र बोस, मेघनाथ साहा, सत्येन्द्र नाथ बोस, गंगानाथ झा सहित कई नामचीन हस्ती यहां पर अपनी सभा कर चुके हैं. गौरतलब यह है कि पटना विश्वविद्यालय का व्हीलर सीनेट हॉल और दरभंगा हाउस इतिहास के कई याद को गोद में समेटे हुए है.