पटना: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती को पिछले 6 महीने से नजरबंद रखने के बाद केंद्र सरकार ने उन पर जनसुरक्षा कानून लगा दिया है. जिसके बाद विपक्ष के नेताओं ने सरकार के इस फैसले को तानाशाही रवैया कहा है. वहीं, सत्ता पक्ष ने कहा कि इन नेताओं की वजह से जम्मू-कश्मीर का आज तक विकास नहीं हो सका है.
4 नेताओं पर जनसुरक्षा कानून लगाया
जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद से कई नेताओं को केंद्र सरकार ने नजरबंद कर रखा है, जिसमें फारुक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती प्रमुख हैं. इसके अलावा अलगाववादी और कट्टरपंथी कई नेताओं को जेल में भी बंद किया गया था. सरकार ने जम्मू-कश्मीर के 4 नेताओं पर जनसुरक्षा कानून लगा दिया है. इस कार्रवाई को विपक्ष तानाशाही कार्रवाई बता रही है.
'जम्मू-कश्मीर सरकार के नियंत्रण से बाहर'
आरजेडी नेता विजय प्रकाश ने बताया कि अगर कश्मीर में हालात बेहतर और सामान्य हैं, तो इस तरह की कार्रवाई ही क्यों हो रही है. 80 वर्षीय फारुक अब्दुल्ला जैसे नेताओं को नजरबंद क्यों रखा गया है. इसका एक ही कारण है कि केंद्र सरकार के नियंत्रण से जम्मू-कश्मीर बाहर है. जिसका विरोध बहुत जल्द विस्फोट के रूप में सामने आएगा. वहीं, इस मामले पर कांग्रेस कुछ भी कहने से इंकार कर रही है. कांग्रेस नेता का कहना है जिस तरह से द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हिटलर ने जर्मनी में माहौल बना दिया था, आज देश का वही माहौल है.
'जम्मू-कश्मीर को विकास से दूर रखा गया'
वहीं, भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता अजीत चौधरी ने बताया जिन नेताओं ने 70 साल तक जम्मू कश्मीर को विकास से दूर रखा है. उस पर सरकार नियम संगत कार्रवाई कर रही है. अगर जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों के ऊपर नजरबंद या पीएसए के तहत कार्रवाई की जा रही है, तो यह उचित कार्रवाई है.