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जम्मू-कश्मीर के 2 पूर्व मुख्यमंत्रियों पर लगा PSA, विपक्ष ने पूछा- हालात सामान्य तो कार्रवाई क्यों?

जम्मू-कश्मीर में बड़े नेताओं को नजरबंद करने को लेकर विपक्ष ने सवाल खड़े किए हैं. वहीं, बीजेपी का कहना है कि इन नेताओं की वजह से ही उस प्रदेश का विकास नहीं हो पाया है.

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विपक्ष ने उठाया सवाल
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Published : Feb 7, 2020, 5:12 PM IST

पटना: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती को पिछले 6 महीने से नजरबंद रखने के बाद केंद्र सरकार ने उन पर जनसुरक्षा कानून लगा दिया है. जिसके बाद विपक्ष के नेताओं ने सरकार के इस फैसले को तानाशाही रवैया कहा है. वहीं, सत्ता पक्ष ने कहा कि इन नेताओं की वजह से जम्मू-कश्मीर का आज तक विकास नहीं हो सका है.

4 नेताओं पर जनसुरक्षा कानून लगाया
जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद से कई नेताओं को केंद्र सरकार ने नजरबंद कर रखा है, जिसमें फारुक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती प्रमुख हैं. इसके अलावा अलगाववादी और कट्टरपंथी कई नेताओं को जेल में भी बंद किया गया था. सरकार ने जम्मू-कश्मीर के 4 नेताओं पर जनसुरक्षा कानून लगा दिया है. इस कार्रवाई को विपक्ष तानाशाही कार्रवाई बता रही है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'जम्मू-कश्मीर सरकार के नियंत्रण से बाहर'
आरजेडी नेता विजय प्रकाश ने बताया कि अगर कश्मीर में हालात बेहतर और सामान्य हैं, तो इस तरह की कार्रवाई ही क्यों हो रही है. 80 वर्षीय फारुक अब्दुल्ला जैसे नेताओं को नजरबंद क्यों रखा गया है. इसका एक ही कारण है कि केंद्र सरकार के नियंत्रण से जम्मू-कश्मीर बाहर है. जिसका विरोध बहुत जल्द विस्फोट के रूप में सामने आएगा. वहीं, इस मामले पर कांग्रेस कुछ भी कहने से इंकार कर रही है. कांग्रेस नेता का कहना है जिस तरह से द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हिटलर ने जर्मनी में माहौल बना दिया था, आज देश का वही माहौल है.

'जम्मू-कश्मीर को विकास से दूर रखा गया'
वहीं, भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता अजीत चौधरी ने बताया जिन नेताओं ने 70 साल तक जम्मू कश्मीर को विकास से दूर रखा है. उस पर सरकार नियम संगत कार्रवाई कर रही है. अगर जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों के ऊपर नजरबंद या पीएसए के तहत कार्रवाई की जा रही है, तो यह उचित कार्रवाई है.

पटना: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती को पिछले 6 महीने से नजरबंद रखने के बाद केंद्र सरकार ने उन पर जनसुरक्षा कानून लगा दिया है. जिसके बाद विपक्ष के नेताओं ने सरकार के इस फैसले को तानाशाही रवैया कहा है. वहीं, सत्ता पक्ष ने कहा कि इन नेताओं की वजह से जम्मू-कश्मीर का आज तक विकास नहीं हो सका है.

4 नेताओं पर जनसुरक्षा कानून लगाया
जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद से कई नेताओं को केंद्र सरकार ने नजरबंद कर रखा है, जिसमें फारुक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती प्रमुख हैं. इसके अलावा अलगाववादी और कट्टरपंथी कई नेताओं को जेल में भी बंद किया गया था. सरकार ने जम्मू-कश्मीर के 4 नेताओं पर जनसुरक्षा कानून लगा दिया है. इस कार्रवाई को विपक्ष तानाशाही कार्रवाई बता रही है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'जम्मू-कश्मीर सरकार के नियंत्रण से बाहर'
आरजेडी नेता विजय प्रकाश ने बताया कि अगर कश्मीर में हालात बेहतर और सामान्य हैं, तो इस तरह की कार्रवाई ही क्यों हो रही है. 80 वर्षीय फारुक अब्दुल्ला जैसे नेताओं को नजरबंद क्यों रखा गया है. इसका एक ही कारण है कि केंद्र सरकार के नियंत्रण से जम्मू-कश्मीर बाहर है. जिसका विरोध बहुत जल्द विस्फोट के रूप में सामने आएगा. वहीं, इस मामले पर कांग्रेस कुछ भी कहने से इंकार कर रही है. कांग्रेस नेता का कहना है जिस तरह से द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हिटलर ने जर्मनी में माहौल बना दिया था, आज देश का वही माहौल है.

'जम्मू-कश्मीर को विकास से दूर रखा गया'
वहीं, भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता अजीत चौधरी ने बताया जिन नेताओं ने 70 साल तक जम्मू कश्मीर को विकास से दूर रखा है. उस पर सरकार नियम संगत कार्रवाई कर रही है. अगर जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों के ऊपर नजरबंद या पीएसए के तहत कार्रवाई की जा रही है, तो यह उचित कार्रवाई है.

Intro:सब हेड..
जम्मू कश्मीर के दो पूर्व मुख्यमंत्री पर लगा जन सुरक्षा कानून। उमर अब्दुल्ला वह महबूबा मुक्ति पर केंद्र सरकार ने लगाया पीएसए। विपक्ष ने उठाया सवाल।

पिछले तकरीबन 6 महीने से नजरबंद रहने के बाद केंद्र सरकार ने उमर अब्दुल्ला और महबूब मुफ़्ती पर जनसुरक्षा कानून लगा दिया है। इसके बाद से हैं विपक्ष के नेताओं ने सरकार के इस रवैया को तानाशाह रवैया बताया। वहीं सत्ता पक्ष का मानना है कि इन नेताओं के वजह से जम्मू कश्मीर का नहीं हो सका आज तक विकास।


Body:जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटाने के बाद से ही वहां के कई नेताओं को केंद्र सरकार नजर बंद कर रखी थी। जिसमें फारूक अब्दुल्ला उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती मुख्य रूप से है। इसके अलावा अलगाववादी और कट्टरपंथी कई नेताओं को जेल में भी बंद किया गया है। कल किन सरकार ने जम्मू कश्मीर के 4 नेताओं पर जनसुरक्षा कानून लगा दिया है। इस कार्रवाई को विपक्ष तानाशाही कार्यवाही बता रहा है।
राजद नेता विजय प्रकाश का मानना है कि अगर कश्मीर में हालात बेहतर और सामान्य है तो इस तरह की कार्यवाही क्यों हो रही है ? क्यों 80 वर्षीय फारूक अब्दुल्ला जैसे नेताओं को नजरबंद कर रखा गया है ? इसका एक ही कारण है कि केंद्र सरकार के नियंत्रण से जम्मू कश्मीर बाहर है। जिसका विरोध बहुत जल्द विस्फोट के रूप में सामने आएगा।
वह पीएसए मामले पर कांग्रेस कुछ भी नहीं कह रही। उनका कहना है कि इसमें कई मामले सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। कांग्रेस नेता हर कुछ और कहते हैं कि जिस तरह से द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हिटलर ने जर्मनी में माहौल बना दिया था आज देश का वही माहौल है।


Conclusion:इस मामले पर भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता अजीत चौधरी का मानना है कि जिन नेताओं ने 70 साल तक जम्मू कश्मीर को विकास से दूर रखा उस पर सरकार नियम संगत कार्रवाई कर रही है। अगर जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों को नजरबंद या पीएसए के तहत कार्रवाई की जा रही है तो यह उचित कार्रवाई है।
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