पटना : बिहार में जहां राजनीति सोशल मीडिया पर हो रही है, तो अब धरना और प्रोटेस्ट भी सोशल मीडिया पर देखने को मिल रहा है. दरअसल, मंगलवार को ट्विटर पर तेजी के साथ 'नियोजन नहीं, तो वोट नहीं' ट्रेंड करने लगा. प्रदेशभर के तमाम डीएलएड अभ्यर्थियों ने रुकी हुई नियोजन प्रक्रिया को लेकर सरकार के खिलाफ बिगुल फूंका.
बिहार में वर्ष 2018 के आखिरी महीने में ही सरकार ने डेढ़ लाख शिक्षकों के नियोजन की घोषणा की थी. नियोजन की प्रक्रिया पिछले साल जुलाई महीने में शुरू हुई. प्राथमिक शिक्षकों के करीब 90 हजार और माध्यमिक, उच्च माध्यमिक शिक्षकों के करीब 30 हजार पदों पर नियोजन होना है. लेकिन पिछले 1 साल में भी यह नियोजन पूरा नहीं हो पाया है. इसी को लेकर अभ्यर्थी लगातार ट्वीट कर सरकार पर निशाना साध रहे हैं.
ऑनलाइन प्रोटेस्ट
कोरोना काल के दौरान जहां चुनावी तैयारियां तेज हैं. वर्चुअल मीटिंग कर चुनाव की रणनीति बनाई जा रही है. सत्तारूढ़ दल हो या विपक्ष सोशल मीडिया के माध्यम से एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं. ऐसे में अब सोशल मीडिया पर प्रोटेस्ट देखने को मिल रहा है. एक अभ्यर्थी ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'ये 1.25 लाख शिक्षकों का सवाल नहीं है. ये इतने ही परिवारों का सवाल है. नियोजन नहीं तो वोट नहीं.
प्रेम चंद्र मिश्रा ने किया ट्वीट
वहीं, कांग्रेस एमएलसी प्रेम चंद्र मिश्रा ने भी ट्वीट करते हुए शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया पर सवाल किया. उन्होंने लिखा, 'वर्षों से अधर में लटकी प्राथमिक शिक्षकों की बहाली की प्रक्रिया को कब पूरी करेंगे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी?लाखों की संख्या में टीईटी अभ्यर्थियों की मांगों का मैं और मेरी पार्टी कांग्रेस समर्थन करते हैं.'
इसलिए प्रभावित हुए नियोजन
- 10 साल से एसटेट परीक्षा का आयोजन नहीं होना
- 2011 में एस टीईटी पास करने वाले शिक्षकों के सर्टिफिकेट को मान्यता देने में देरी करना
- एनआईओएस डीएलएड पास करने वाले शिक्षकों की डिग्री को अमान्य करार देना
- प्राथमिक और मध्य शिक्षकों के नियोजन में डीएलएड और बीएड को लेकर सरकार की स्थिति स्पष्ट नहीं
- ऑनलाइन और केंद्रीकृत व्यवस्था के तहत नियोजन की बजाए अलग-अलग पंचायत में अभ्यर्थियों को आवेदन करने के लिए मजबूर करना