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Bihar Caste Census: जातीय जनगणना में शिक्षकों की ड्यूटी लगाने का विरोध, संघ ने उठाए सवाल

बिहार में जातीय जनगणना में शिक्षकों की ड्यूटी लगाने का विरोध शुरू हो गया है. शिक्षक संघ ने इसका विरोध करते हुए केके पाठक पर सवाल उठाए. टीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम ने इस पर आपत्ति जताई. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Aug 2, 2023, 6:08 PM IST

पटनाः बिहार में जातीय जनगणना में शिक्षकों की ड्यूटी लगाने का विरोध शुरू हो गया है. टीईटी शिक्षक संघ ने जातीय जनगणना में शिक्षकों की ड्यूटी लगाए जाने पर सवाल उठाया है. संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम ने कहा कि विद्यालय समय से चलता रहे इसके लिए शिक्षकों को विद्यालय में रहना जरूरी है, लेकिन विभाग शिक्षकों की ड्यूटी लगा रही है.

यह भी पढ़ेंः बिहार में जातीय गणना में शामिल होने को लेकर शिक्षकों को नया आदेश, बैकफुट पर IAS KK Pathak

गैर शैक्षणिक काम नहीं करना हैः बुधवार को बयान जारी करते हुए अमित विक्रम ने कहा कि अभी कुछ दिनों पहले ही शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने जिले के पदाधिकारियों के नाम चिट्ठी निकाली है कि शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में प्रतिनियुक्त नहीं किया जाए. ताकि विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था ठीक रूप से चलती रहे. इसीलिए सभी शिक्षकों का प्रशिक्षण अविलंब खत्म करने का निर्देश दिया गया था.

शिक्षकों से जनगणना करवाना गलतः दूसरी ओर जब कोर्ट ने बिहार सरकार की जातीय गणना को स्वीकृति दे दी है. अब वही केके पाठक शिक्षकों से जनगणना करवाने को लेकर कोई आपत्ति जाहिर नहीं की. उल्टे चिट्ठी निकाल कर शिक्षकों को जनगणना में हिस्सा लेने की अनुमति दे दी. सभी डीएम को यह भी निर्देश दिया गया है कि शिक्षकों की ड्यूटी लगाते समय विद्यालय पूरी तरह शिक्षक विहीन न हो इसका ध्यान रखा जाए.

जातीय जनगणना ड्यूटी लगाने का विरोधः प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम व प्रदेश महासचिव बलवंत सिंह ने इसका विरोध जताया है. कहा कि अब सवाल यह है कि जो केके पाठक शिक्षकों को बीएलओ प्रशिक्षण में भी जाने की अनुमति नहीं दे रहे थे, वे आज जातीय जनगणना में जाने की अनुमति कैसे दे दी? शिक्षकों से शैक्षणिक कार्य के अलावा और किसी भी प्रकार का कार्य नहीं करवाना चाहिए.

दोहरा मापदंडः जब शिक्षकों को हक देने की बारी आती है तो उनपर केवल सवाल उठाए जाते हैं. परंतु जब काम करवाने की बारी आती है तो उन्हें गैर शैक्षणिक कार्यों में भाग लेने के लिए कहा जाता है. एक तरफ शिक्षा विभाग शिक्षकों के साथ इतनी कड़ाई से पेश आ रही है ताकि विद्यालय का काम ससमय सुचारू ढंग से चले तो दूसरी तरफ उनसे अन्य काम भी करवाए जा रहे. दोहरा मापदंड अपनाया जा रहा है.

"पहले शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक शिक्षकों से गैर शैक्षणिक काम नहीं कराने का निर्देश दिया था. लेकिन अब शिक्षकों की ड्यूटी जातीय जनगणना में लगाई जा रही है. इससे स्कूल का शैक्षणिक काम बाधित होगा. केके पाठक दोहरा मापदंड अपना रहे हैं. जातीय जनगणना में शिक्षकों की ड्यूटी कैसे लगाई जा सकती है." - अमित विक्रम, प्रदेश अध्यक्ष, टीईटी शिक्षक संघ

पटनाः बिहार में जातीय जनगणना में शिक्षकों की ड्यूटी लगाने का विरोध शुरू हो गया है. टीईटी शिक्षक संघ ने जातीय जनगणना में शिक्षकों की ड्यूटी लगाए जाने पर सवाल उठाया है. संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम ने कहा कि विद्यालय समय से चलता रहे इसके लिए शिक्षकों को विद्यालय में रहना जरूरी है, लेकिन विभाग शिक्षकों की ड्यूटी लगा रही है.

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गैर शैक्षणिक काम नहीं करना हैः बुधवार को बयान जारी करते हुए अमित विक्रम ने कहा कि अभी कुछ दिनों पहले ही शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने जिले के पदाधिकारियों के नाम चिट्ठी निकाली है कि शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में प्रतिनियुक्त नहीं किया जाए. ताकि विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था ठीक रूप से चलती रहे. इसीलिए सभी शिक्षकों का प्रशिक्षण अविलंब खत्म करने का निर्देश दिया गया था.

शिक्षकों से जनगणना करवाना गलतः दूसरी ओर जब कोर्ट ने बिहार सरकार की जातीय गणना को स्वीकृति दे दी है. अब वही केके पाठक शिक्षकों से जनगणना करवाने को लेकर कोई आपत्ति जाहिर नहीं की. उल्टे चिट्ठी निकाल कर शिक्षकों को जनगणना में हिस्सा लेने की अनुमति दे दी. सभी डीएम को यह भी निर्देश दिया गया है कि शिक्षकों की ड्यूटी लगाते समय विद्यालय पूरी तरह शिक्षक विहीन न हो इसका ध्यान रखा जाए.

जातीय जनगणना ड्यूटी लगाने का विरोधः प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम व प्रदेश महासचिव बलवंत सिंह ने इसका विरोध जताया है. कहा कि अब सवाल यह है कि जो केके पाठक शिक्षकों को बीएलओ प्रशिक्षण में भी जाने की अनुमति नहीं दे रहे थे, वे आज जातीय जनगणना में जाने की अनुमति कैसे दे दी? शिक्षकों से शैक्षणिक कार्य के अलावा और किसी भी प्रकार का कार्य नहीं करवाना चाहिए.

दोहरा मापदंडः जब शिक्षकों को हक देने की बारी आती है तो उनपर केवल सवाल उठाए जाते हैं. परंतु जब काम करवाने की बारी आती है तो उन्हें गैर शैक्षणिक कार्यों में भाग लेने के लिए कहा जाता है. एक तरफ शिक्षा विभाग शिक्षकों के साथ इतनी कड़ाई से पेश आ रही है ताकि विद्यालय का काम ससमय सुचारू ढंग से चले तो दूसरी तरफ उनसे अन्य काम भी करवाए जा रहे. दोहरा मापदंड अपनाया जा रहा है.

"पहले शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक शिक्षकों से गैर शैक्षणिक काम नहीं कराने का निर्देश दिया था. लेकिन अब शिक्षकों की ड्यूटी जातीय जनगणना में लगाई जा रही है. इससे स्कूल का शैक्षणिक काम बाधित होगा. केके पाठक दोहरा मापदंड अपना रहे हैं. जातीय जनगणना में शिक्षकों की ड्यूटी कैसे लगाई जा सकती है." - अमित विक्रम, प्रदेश अध्यक्ष, टीईटी शिक्षक संघ

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