पटना(मसौढ़ी): बिहार में बाढ़ (Flood In Bihar) के आने से हर साल लाखों लोग प्रभावित होते हैं. ऐसे में सरकार और प्रशासन इस आपदा से बचने के लिए युद्धस्तर पर तैयारी कर रही है. लेकिन इन सबके बीच मसौढ़ी क्षेत्र का एक ऐसा भी गांव है, जिसे सरकार सालों से नजर अंदाज कर रही है. बाढ़ के दौरान यह गांव पानी से चारों तरफ से घिर जाता है और लोग यहां कैदी बन जाते है. गांव का नाम है रोहिलाचक, जो धनरूआ प्रखंड में स्थित है. महादलित परिवार का इस गांव में सैकड़ों लोग रहते है.
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आवागमन के लिए पुल बनाने की मांग: बिहार में एक बार फिर से बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है. ऐसे में रोहिलाचक गांव के लोगों की चिंताएं भी बढ़ गई है. लोगों को डर सता रहा है कि फिर से उन्हें कैद होना पड़ेगा. ऐसे में लोगों ने बाढ़ से पहले आवागमन के लिए पुल बनाने की मांग करते हुए प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारी लोगों का कहना है कि बाढ़ के दौरान यह गांव एक टापू में तब्दील हो जाता है. आवागमन का कोई रास्ता नहीं बचता है और लोग फंस जाते है. ऐसे में लोगों को रोजी रोजगार से लेकर भोजन और दवाई तक के लिए जूझना पड़ता है.
"रोहिल्लाचक गांव की ओर से आवेदन मिला है. बाढ़ आने पर पूरा गांव में पानी भर जाता है. ऐसे में आहर पाईन पर पुलिया बनाने की मांग कर रहे हैं. जिसको लेकर ग्रामीण कार्य विभाग से बात की गई है. जल्द ही इस पर विकल्प निकाला जाएगा" -ऋषि कुमार, अंचलाधिकारी, धनरूआ
सालों से नजरअंदाज कर रही सरकार: बिहार में जब भी बाढ़ आती है, यह गांव चोरों तरफ से बाढ़ के पानी से घिर जाता है. इस गांव में महादलित समुदाय से सैकड़ों परिवार रहते है. हर साल स्थानीय लोग पार्षद से लेकर प्रशासनिक अधिकारी तक आवागमन के लिए पुल बनाने की गुहार लगाते है. बावजूद इसके अभी तक इनके हाथ निराशा ही आई है. स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि पुल बनाने की मांग पूरा नहीं होता है तो इससे बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा. बाढ़ के दौरान आवागमन के लिए रास्ता नहीं होने से काफी परेशानी होती है.
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