पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए में सीटों पर अंतिम मुहर लगने वाली है. बिहार बीजेपी के सभी नेता और जदयू के नेता दिल्ली पहुंच चुके हैं. एनडीए में सीटों के बंटवारे को लेकर लोजपा की नाराजगी देखने को मिल रही है. जदयू और बीजेपी के 2010 और 2015 के विधानसभा में अलग समीकरण थे. इसका असर सीटों के बंटवारे पर देखने को मिल सकता है.
49 सीटों पर आमने-सामने
2010 में एनडीए के बैनर तले जदयू और बीजेपी साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ी थी. 2015 में जदयू आरजेडी और कांग्रेस के साथ महागठबंधन में थी. 2015 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और जदयू 49 सीटों पर एक दूसरे के आमने-सामने थे. इसमें से 27 सीट पर जदयू और 22 सीट पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. इसके साथ ही दोनों दलों के बीच आरजेडी के विधायक जदयू में आए हैं उन्हें लेकर 7 सीटों का भी पेंच है. इन सीटों को लेकर दोनों दल बीच रास्ता निकालने की कोशिश कर रहे हैं.
2015 में भाजपा और जदयू ने जिन सीटों पर जीत हासिल की वह इस प्रकार हैं.
2015 में भाजपा ने जिन सीटों पर जदयू को हराया उसमें बिहारशरीफ, बाढ़, दीघा, भभुआ, गोह, हिसुआ, वारसलीगंज, झाझा, चनपटिया, कल्याणपुर, पिपरा, मधुबन, अमन, कटिहार, जाले, कुटनी, मुजफ्फरपुर, बैकुंठपुर, सिवान और लखीसराय शामिल हैं.
वहीं जदयू ने 2015 में भाजपा को जिन सीटों पर हराया उसमें महाराजगंज, लौकहा, जीरादेई, नालंदा, एकमा, निर्मली, परबत्ता, अगिआंव, महनार, सुपौल , गोपालपुर , राजपुर , मैरवा , रानीगंज, अमरपुर , दिनारा, सरायरंजन, रुपौली, बेलहर, नबीनगर, मटिहानी, बिहारीगंज, राजगीर, दरौंदा, फुलपरास, बेनीपुर और इस्लामपुर शामिल है.
बीजेपी की दावेदारी
बीजेपी और जदयू कुछ सीटें आसानी से एक दूसरे के लिए छोड़ देंगे, लेकिन कई सीटों पर मुश्किलें बढ़ सकती है. परसा, गायघाट, पातेपुर, केवटी, सासाराम, तेघड़ा और पालीगंज के विधायक आरजेडी से जदयू में आए हैं. इनमें कई सीटों पर बीजेपी की दावेदारी बनती है.
सीटों का बंटवारा
2015 बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू 101 सीट पर चुनाव लड़ी थी जिसमें से 71 प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी. इस बार पार्टी के 115 सीट पर चुनाव लड़ने के कयास लगाए जा रहे हैं. वहीं बीजेपी डेढ़ सौ के करीब सीटों पर चुनाव लड़ी थी और इस बार 100 सीट के आसपास चुनाव लड़ सकती है.
कुछ सीटों पर करनी पड़ सकती है अदला-बदली
बता दें कि बीजेपी और जदयू के बीच 49 सीट के अलावा 7 सीटों पर बंटवारे में समस्या बनी हुई है. हालांकि, दोनों दल के नेता एक दूसरे के साथ मिलकर सहमति बनाने की कोशिश कर रहे हैं. कुछ सीटों पर समझौता भी करेंगे तो कुछ सीटों पर अदला-बदली भी कर सकते हैं. लेकिन कुल मिलाकर दोनों दलों की कुछ सीटों पर कुर्बानी से ही हल निकल सकता है.