पटना: बिहार में नीतीश कुमार ने सत्ता संभालने के बाद लंबे समय तक जनता दरबार चलाया था. हर सोमवार को आयोजन होता था और उससे नीतीश कुमार को खूब लोकप्रियता मिली. बाद में लोक शिकायत निवारण अधिकार कानून लागू होने के बाद नीतीश कुमार ने कहा कि अब जनता दरबार की जरूरत नहीं है. लेकिन विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद एक बार फिर से जनता दरबार शुरू करने का फैसला लिया और उसकी तैयारी जोर-शोर से चल रही है. हालांकि जब फैसला लिया था, तब कोरोना नियंत्रण में था. अब स्थिति गड़बड़ हो गई है.
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शुरू होने की संभावना कम
लगातार कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं. ऐसे में फिलहाल जनता दरबार शुरू होगा, इसकी संभावना कम ही है. मुख्यमंत्री सचिवालय संवाद और राजकीय अतिथिशाला के खाली पड़े ग्राउंड में जनता दरबार के लिए हॉल का निर्माण जोर-शोर से हो रहा है. इस महीने कार्य को पूरा कर लिया जाएगा. साथ ही बाहर के परिसर में भी फुटपाथ को नया रूप दिया जा रहा है.
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तीसरे नंबर की पार्टी
असल में बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू इस बार तीसरे नंबर की पार्टी हो गई है. खराब प्रदर्शन के बाद मुख्यमंत्री को लगा कि जनता से कटने के कारण पार्टी को नुकसान हुआ है और उसी के बाद जनता दरबार फिर से शुरू करने का नीतीश कुमार ने फैसला लिया. जब फैसला लिया गया, उस समय बिहार में कोरोना पूरी तरह से नियंत्रण में था. लेकिन होली के आसपास कोरोना के मामले बढ़ने शुरू हुए और आज विस्फोटक स्थिति है.
जनता दरबार का आयोजन
ऐसे में नीतीश कुमार फिलहाल जनता दरबार शुरू करेंगे, इसकी उम्मीद कम ही है. लेकिन जनता दरबार की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. कोरोना फिर से नियंत्रण में आने के बाद जनता दरबार मुख्यमंत्री शुरू करेंगे. नीतीश कुमार 2006 से 2016 तक लगातार 10 सालों तक जनता दरबार का आयोजन करते रहे. लेकिन लोक शिकायत निवारण अधिकार कानून लागू होने के बाद नीतीश ने जनता दरबार लगाना बंद कर दिया.
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सोमवार को लगता था जनता दरबार
हर महीने के पहले सोमवार को जनता दरबार लगता था और हर सोमवार को अलग-अलग विभाग की समस्याएं मुख्यमंत्री सुनते थे. इस बार देखना है कि जब जनता दरबार शुरू करेंगे, तो किस प्रकार से व्यवस्था होती है. लेकिन इस बार मुख्यमंत्री आवास की जगह मुख्यमंत्री के सचिवालय संवाद के ठीक बगल में जनता दरबार की व्यवस्था की जा रही है.