पटना: बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) के नतीजों के बाद कांग्रेस (Congress) पार्टी उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है. शक्ति सिंह गोहिल के इस्तीफे के बाद भक्त चरण दास (Bhakt Charan Das) को बिहार की कमान सौंपी गई और नए प्रभारी के समक्ष कांग्रेस को रिवाइव करने की चुनौती है. फिलहाल अध्यक्ष पद को लेकर मंथन का दौर जारी है.
ये भी पढ़ें- ये दिल्ली वाले चाहते क्या हैं? मांझी को गले लगाया, नीतीश को देखने तक नहीं गए
मझधार में कांग्रेस पार्टी
बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी का परफारमेंस उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा था. पार्टी महज 19 सीटों पर ही सिमट गई. बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने नतीजों को देखते हुए पद से इस्तीफा दे दिया. शक्ति सिंह गोहिल की जगह केंद्रीय नेतृत्व ने भक्त चरण दास को कमान सौंपी.
बिहार में सक्रिय भक्त चरण दास
कांग्रेस बिहार प्रभारी भक्त चरण दास बिहार की राजनीति को बेहतर समझते हैं और पिछले कई महीनों से वो जिलों का दौरा कर रहे हैं और कार्यकर्ताओं से मुलाकात भी कर रहे हैं. भक्त चरण दास के समक्ष दोहरी चुनौती है. पहला तो ये कि वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा का कार्यकाल खत्म हो रहा है. उनकी जगह प्रदेश अध्यक्ष का चयन करना है. वहीं, दूसरी तरफ कार्यकारी अध्यक्ष की सूची में भी फेरबदल करना है. भक्त चरण दास के समस्त संगठन में धार देने की चुनौती भी है.
प्रदेश अध्यक्ष चुनने की बड़ी चुनौती
भक्त चरण दास के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती प्रदेश अध्यक्ष के चयन की है. पार्टी में दावेदारों की फेहरिस्त भी लंबी है. जानकारी के मुताबिक बिहार कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष पद की रेस में राजेश राम, कौकब कादरी, तारिक अनवर, समीर सिंह, अनिल शर्मा और प्रेमचंद्र मिश्रा मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं.
खोए जनाधार को पाने में जुटी कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी खोए हुए जनाधार को वापस पाना चाहती है. पार्टी अल्पसंख्यक अगड़ी जाति और दलितों को अपना पारंपरिक वोट बैंक मानती है. बिहार में 18% आबादी मुसलमानों की है. जबकि दलित 14% के आसपास हैं. अगड़ी जाति का वोट शेयर 9 से 10% के बीच है. कुल मिलाकर पार्टी की नजर 42% वोट बैंक पर है. वोट बैंक को देखते हुए पार्टी अल्पसंख्यक दलित या अगड़ी जाति पर दाव लगा सकती है. जानकारी के मुताबिक राजेश राम का नाम सुर्खियों में है.
ये भी पढ़ें- मंजीत सिंह ने नीतीश कुमार को बताया 'राजनीतिक पिता', कहा- तेजस्वी से सिर्फ हुई शिष्टाचार मुलाकात
''बिहार में प्रदेश अध्यक्ष की ताजपोशी होनी है, लेकिन अंतिम फैसला केंद्रीय नेतृत्व को करना है. दावेदारों की सूची लंबी है, तमाम सोशल इंजीनियरिंग को देखते हुए अध्यक्ष पद को लेकर अंतिम फैसला लिया जाएगा.''- राजेश राठौर, कांग्रेस प्रवक्ता
''प्रदेश अध्यक्ष को लेकर शीघ्र ही अंतिम फैसला ले लिया जाएगा. अध्यक्ष ऐसे नेता को बनाया जाएगा, जो लंबे समय से कांग्रेस के प्रति समर्पित है. मैं तीन जनरेशन से कांग्रेस पार्टी की सेवा करता रहा हूं''- समीर सिंह, पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष
''कांग्रेस पार्टी फिलहाल मझधार में है. फिलहाल पार्टी यह फैसला नहीं ले पा रही है कि किस जाति पर दाव लगाया जाए. वर्तमान राजनीतिक हालात को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस पार्टी दलित कार्ड खेल सकती है''- कौशलेंद्र प्रियदर्शी, वरिष्ठ पत्रकार
ये भी पढ़ें- तेजस्वी की भविष्यवाणी पर उठ रहे सवाल, दो माह में क्या बदलेगा बिहार?
ये भी पढ़ें- बिहार में बेलगाम ब्यूरोक्रेसी: अपने मंत्री की भी नहीं सुनते नीतीश के नौकरशाह
ये भी पढ़ें- समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी का इस्तीफा, कहा- नहीं सुनते हैं अधिकारी